गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025
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  4. when is dussehra kab hai 2025, what will be the auspicious time for shami, aparajita devi and shastra puja
Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 1 अक्टूबर 2025 (14:42 IST)

Dussehra 2025: दशहरा विजयादशमी कब है, शमी, अपराजिता देवी और शस्त्र पूजा का मुहूर्त क्या रहेगा?

दशहरा 2025
Dussehra 2025: आश्‍विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन विजयादशमी और दशहरे के पर्व मनाया जाता है। इस दिन माता दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था और इसी दिन प्रभु श्रीराम ने रावण का वध किया था। दशहरे के दिन कई घरों में कुल परंपरा के अनुसार शुभ मुहूर्त में अपराजिता देवी और शस्त्र पूजा के साथ ही शमी पूजा भी की जाती है। इस बार 02 अक्टूबर 2025 को दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। 
 
दशमी तिथि प्रारम्भ- 01 अक्टूबर 2025 को शाम 07:01 बजे से।
दशमी तिथि समाप्त- 02 अक्टूबर 2025 को शाम 07:10 बजे तक।
 
दशहरा पूजा का शुभ मुहूर्त:-
अभिजीत मुहूर्त: दिन में 11:46 से दोपहर 12:34 तक।
विजय मुहूर्त: अपराह्न काल 02:09 से 02:56 तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:06 से 06:30 तक।
रवि योग: पूरे दिन।
 
शमी पूजा का महत्व: 
दशहरे पर शमी के वृक्ष की पूजा और उसके पत्ते को बांटने का प्रचलन है। जब लोग रावण दहन करके आते हैं तो एक दूसरे को शमी के पत्ते बांटते हैं। माना जाता है कि दशहरे के दिन कुबेर ने राजा रघु को स्वर्ण मुद्रा देते हुए शमी की पत्तियों को सोने का बना दिया था, तभी से शमी को सोना देने वाला पेड़ माना जाता है।यह भी कहते हैं कि श्रीराम ने रावण से युद्ध लड़ने से पहले शमी के वृक्ष की पूजा की थी। श्री राम ने युद्ध में विजयी होने के बाद अयोध्या वासियों को स्वर्ण दान में दिया था। इसी के प्रतीक स्वरूप परंपरा से अब शमी के पत्ते को बांटा जाता है। पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान अपने अस्त्र-शस्त्रों को शमी के पेड़ में छिपाकर रखा था। उपरोक्त कारणों के चलते दशहरे पर शमी की बांटने और इसकी पूजा का प्रचलन है।
 
अपराजिता देवी की पूजा:
अपराजिता पूजा को विजयादशमी का महत्वपूर्ण भाग माना जाता है। यह देवी दुर्गा का ही स्वरूप है। इसी दिन असुर महिसासुर का वध करके माता कात्यायनी विजयी हुई थीं। जब दशमी, नवमी से संयुक्त हो तो कल्याण एवं विजय के लिए अपराजिता देवी की पूजा का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। दशमी को उत्तर-पूर्व दिशा में अपराह्न में की जाती है।
 
दशहरा पर शस्त्र पूजा: 
शस्त्र पूजा विजयी मुहूर्त में करते हैं। विजयादशमी के शुभ अवसर पर शक्तिरूपा दुर्गा, काली की आराधना के साथ-साथ शस्त्र पूजा की परंपरा है। विजय की कामना के साथ चंद्रिका का स्मरण करते हुए शस्त्रों का पूजन करना चाहिए। दशहरा पर्व के अवसर पर अपने शस्त्र को पूजने से पहले सावधानी बरतना न भूलें।