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Last Updated : सोमवार, 17 अक्टूबर 2022 (21:58 IST)

Russia-Ukraine War: पुतिन रूस और अन्य देशों में तेजी से अलग-थलग पड़ रहे हैं, बढ़ सकती हैं मुश्किलें

Russia-Ukraine War: पुतिन रूस और अन्य देशों में तेजी से अलग-थलग पड़ रहे हैं, बढ़ सकती हैं मुश्किलें - Putin increasingly isolated in Russia and other countries
सिडनी। व्लादिमीर पुतिन के अक्सर उद्धृत सिद्धांतों में से एक यह है कि कभी-कभी यह साबित करने के लिए कि आप सही हैं, अकेला होना आवश्यक है। जैसे-जैसे यूक्रेन पर पुतिन का दुर्भाग्यपूर्ण आक्रमण जारी है, वह अपने इस सिद्धांत पर अमल की दिशा में आगे बढ़ते दिखाई दे रहे हैं।
 
न केवल विश्व मंच पर बल्कि रूस के अंदर भी पुतिन तेजी से अलग-थलग दिख रहे हैं। युद्ध जितना लंबा चलेगा, उनके लिए देश या विदेश में किसी भी विश्वसनीयता के साथ खुद को इससे निकालना उतना ही कठिन होता जाएगा। वे यहां से कहां जाएंगे?
 
घटते सहयोगी : हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव में यूक्रेन में रूस द्वारा किए गए जनमत संग्रह की निंदा की गई जिसमें पुतिन की जमकर आलोचना की गई। इस प्रस्ताव के पक्ष में 143 वोट, 35 इसका हिस्सा नहीं बने और 5 विरोध (स्वयं रूस सहित) में थे।
 
यदि वोट को एक संकेत माना जाए तो रूस के सिर्फ 4 मित्र हैं- उत्तर कोरिया, सीरिया, बेलारूस और निकारागुआ। और मतदान में भाग नहीं लेने वालों में चीन और भारत सहित मॉस्को पर प्रभाव वाले शक्तिशाली देशों ने सार्वजनिक रूप से पुतिन के युद्ध के बारे में अपनी बेचैनी का संकेत दे दिया।
 
मध्य-पूर्व में जहां मॉस्को ने गैर-हस्तक्षेप के लिए अपने अत्यधिक संदिग्ध समर्थन के इर्द-गिर्द राजनयिक दबदबा बनाने की कोशिश की है। कतर और कुवैत दोनों (2 ऊर्जा दिग्गजों) ने यूक्रेन के क्षेत्र का सम्मान करने का आह्वान किया। इसके अलावा स्वतंत्र देशों के राष्ट्रमंडल के सभी सदस्यों ने जनमत में भाग नहीं लिया, जॉर्जिया और मोल्दोवा ने अपवाद के रूप में रूस की निंदा करने के पक्ष में मतदान किया और बेलारूस ने मॉस्को के साथ मतदान किया।
 
घरेलू मोर्चा : घरेलू मोर्चे पर उनकी तस्वीर एक अलग नेता की है जिसके लिए प्रतिद्वंद्वी गुटों को काबू में रखना मुश्किल हो रहा है। रूस के शीर्ष सैन्य नेतृत्व की हालिया आलोचनाओं में रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु और जनरल स्टाफ के प्रमुख वालेरी गेरासिमोव को निशाना बनाया गया है।
 
मुख्य आलोचना वैगनर समूह (कथित रूप से एक निजी सैन्य कंपनी, लेकिन वास्तव में राज्य की एक सैन्य शाखा) के प्रमुख एवगेनी प्रिगोझिन और रमजान कादिरोव, वर्तमान में रूस के चेचन गणराज्य के प्रमुख हैं, पर केंद्रित है।
 
इस तरह की आलोचनाओं ने पुतिन के लिए समस्या पैदा कर दी है। वे पहले रूस के कुलीन कैडरों के निचले स्तर सेना, खुफिया सेवाओं और रूसी नौकरशाही के अन्य हिस्सों से आने वाली आलोचनाओं को बड़े सहज भाव से झेल पा रहे थे, लेकिन शोइगू रूस में पुतिन के बाद सबसे शक्तिशाली लोगों में से एक हैं। हालांकि उन्हें बर्खास्त करने से पुतिन को एक संभावित प्रतिद्वंद्वी से छुटकारा मिल जाएगा, लेकिन यह संरक्षण और शक्ति के एक नाजुक संतुलित चक्र में भी खलल डालेगा, जो पलटकर पुतिन की ओर ही आ सकता है।
 
पुतिन यहां से कहां जाते हैं? : तो पुतिन अपने ही बुने इस झंझट से खुद को कैसे निकालते हैं? वास्तविक रूप से ऐसा करने का एकमात्र तरीका यूक्रेन में युद्ध जीतना है या कम से कम पर्याप्त रियायतें हासिल करना है जिन्हें वे अपनी जीत के रूप में पेश कर सकें। हालांकि इसकी ज्यादा संभावना नहीं है। पुतिन ने इस कथन का समर्थन करके संघर्ष के मापदंडों को विस्तृत किया है कि वह न केवल यूक्रेन के साथ बल्कि नाटो के साथ युद्ध में हैं।
 
पुतिन के लिए एक और समस्या यह है कि यूक्रेन में पुतिन को युद्ध के मैदान में या सौदेबाजी की मेज पर समायोजित करने की संभावना नहीं है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की पहले ही कह चुके हैं कि वे केवल रूस के नए राष्ट्रपति के साथ ही बातचीत करेंगे। उन्होंने यूक्रेन के युद्ध के उद्देश्यों को भी दुगुना कर दिया है, जो उसके क्षेत्र की पूर्ण मुक्ति के बराबर है।
 
केर्च ब्रिज पर जबर्दस्त हमला, जिसे कभी-कभी पुतिन की क्रीमिया की जीत का प्रतीक कहा जाता है, पुतिन का सीधा अपमान था जिन्होंने व्यक्तिगत रूप से इसके निर्माण की देखरेख की थी। रूसी मनोबल को कमजोर करने की तुलना में यह यूक्रेनियन के बीच इस भावना का भी प्रतीक है कि युद्ध का रुख बदल गया है।
 
अंत में यूक्रेन में रूस की सैन्य स्थिति अब निराशाजनक दिख रही है। उसकी सेना थक चुकी है और वह पीछे हट रही है। रूस के युद्ध की देखरेख के लिए सीरिया और चेचन्या में अंधाधुंध बमबारी का आदेश देने वाले जनरलसर्गेई सुरोविकिन को नियुक्त करने का पुतिन का निर्णय उदासीन रहा है।
 
दरअसल, यूक्रेन के रिहायशी इलाकों और बिजली उत्पादन सुविधाओं पर क्रूज मिसाइलों के बड़े हमलों की रणनीति का उलटा असर हुआ है। इसने यूक्रेनियन को लड़ने के लिए और ज्यादा प्रेरित कर दिया है और विश्वस्तर पर इसे सुरोविकिन की झल्लाहट के रूप में देखा गया है।
 
युद्ध के मैदान में जीत तो मिली नहीं और सुरोविकिन ने अब तक यूक्रेन की आबादी को निशाना बनाने के प्रयास में लगभग 40-70 करोड़ अमेरिकी डॉलर के मिसाइल दाग दिए हैं। इसमें उन शहरों पर भी हमले शामिल हैं जिन्हें रूस ने कथित रूप से अपने क्षेत्र में मिला लिया था। इस तरह यह अपने इलाके और अपने लोगों पर ही हमले थे। नतीजा यह है कि अब जब तक पुतिन नाटकीय रूप से आगे बढ़ने का विकल्प नहीं चुनते, परमाणु सीमा (जो खुद जोखिम से भरा है) को पार करके उनका एकमात्र विकल्प चेहरा बचाने का रास्ता खोजना है।
 
Edited by: Ravindra Gupta
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