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Last Modified: रविवार, 26 सितम्बर 2021 (20:37 IST)

योगी सरकार ने किसानों को दिया तोहफा, गन्ना समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी

योगी सरकार ने किसानों को दिया तोहफा, गन्ना समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी - Uttar Pradesh government gave a gift to the farmers
लखनऊ। 3 नए कृषि कानून को लेकर किसान संगठनों के धरना प्रदर्शन के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ना समर्थन मूल्य में 25 रुपए का इजाफा कर किसानों के चेहरे पर मुस्कान ला दी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि अब तक जो गन्ना 325 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जाता था, वह अब 350 रुपए प्रति क्विंटल में खरीदा जाएगा।

इसी तरह 315 रुपए प्रति क्विंटल वाले सामान्य प्रजाति के गन्ने की कीमत अब 340 रुपए प्रति क्विंटल होगी। यही नहीं, अस्वीकृत प्रजाति माने जाने वाले करीब 1 फीसदी गन्ने के मूल्य में भी 25 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ोतरी की गई है। अब तक 310 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदा जाने वाला अस्वीकृत गन्ना भी अब 335 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जाएगा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने किसानों के बिजली बिल के बकाए पर ब्याज माफ करने की घोषणा की है।

लखनऊ स्थित डिफेन्स एक्सपो कार्यक्रम स्थल में आयोजित किसान सम्मेलन को संबोधित करते हुए योगी ने कहा कि केन्द्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं का आधार किसान और गरीब कल्याण है। प्रदेश के 45.44 लाख किसानों को इस वर्ष बढ़े हुए गन्ना मूल्य से लगभग 4,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त धनराशि की प्राप्ति होगी।

उन्होंने सपा-बसपा सरकारों के कार्यकाल में चीनी मिलों की बंदी की याद दिलाते हुए 2004 से 2014 तक के कार्यकाल को देश और प्रदेश के लिए ‘अंधकार युग’ बताया। उन्होंने कहा कि तब यहां अराजकता और गुंडागर्दी का बोलबाला था। प्रदेश का किसान आत्महत्या को मजबूर था और गरीब भूख से मर रहा था।

सपा शासन काल के मुजफ्फरनगर दंगों की याद दिलाते हुए योगी ने कहा कि मुजफ्फरनगर दंगे में मरने वाला अगर कोई था तो किसान था। किसानों के बेटे थे। हमारी सरकार में कोई दंगा नहीं हुआ। अगर किसी ने दंगा करने की कोशिश की तो उसकी सात पीढ़ियां जुर्माना भरते-भरते खप जाएंगी।

योगी ने कहा कि जब किसान आत्महत्या कर रहा था, तब सपा-बसपा और कांग्रेस के लोग कहां थे। पिछली सरकारें किसानों के पेट पर लात मार रही थीं। किसानों से छल करने वाली कांग्रेस को जनता ने बोलने लायक नहीं छोड़ा। मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 के पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लोगों के गाय-भैंस गायब हो जाते थे, चोरी कर लिए जाते हैं। पर आज स्थिति बदल चुकी है।

मुख्यमंत्री ने पिछली सरकारों में गन्ना मूल्य बकाए से लेकर बंद हुईं चीनी मिलों से किसानों की बदहाली की बात भी की। उन्होंने कहा, सपा-बसपा की सरकार में औने-पौने दाम पर चीनी मिलें बेची गईं। 250 करोड़ की चीनी मिलें 25-30 करोड़ रुपए में बिक गईं। सपा की सरकार में 11 चीनी मिलें बंद हुईं, लेकिन हमने 2017 से आज तक एक भी चीनी मिल बंद नहीं की, बल्कि बंद पड़ी चीनी मिलों को चलाने का काम किया।
कोविड काल में किसानों के हित संरक्षित करने की कोशिशों का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान दुनिया परेशान थी। ब्राजील जो चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक है, वहां उद्योग ठप हो गया। महाराष्ट्र की आधी से अधिक चीनी मिलें बंद हो गईं, कर्नाटक की कुछ मिलें बंद हुईं। लेकिन यूपी के गन्ना विभाग ने सभी 119 चीनी मिलें चलाने का कार्य किया।
किसानों के सामने आंकड़े पेश करते हुए सीएम योगी ने कहा कि 2017 में 8 साल पहले के गन्ने का भुगतान बकाया था। जिससे किसान निराश था, परेशान था, पर हमारी सरकार ने टीमवर्क के साथ दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाई और गन्ना विभाग द्वारा साढ़े चार साल में 01.44 लाख करोड़ का भुगतान कराया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों से पूछना चाहिए कि उन्होंने किसानों से अन्न खरीदने की व्यवस्था क्यों नहीं की, जो आज किसानों के हितैषी बने हैं, वो तब कहां थे। हमने साढ़े चार वर्षों में रिकॉर्ड खाद्यान्न खरीद की है और कोरोना काल में यूपी के 15 करोड़ लोगों को बिना भेदभाव के मुफ्त राशन दिया। इससे पहले की सरकारें भी कर सकती थीं, लेकिन उनके पास न तो नीति थी और न ही किसानों के कल्याण की नीयत। हमने पराली जलाने के मामले में किसानों के ऊपर लगे सारे मुकदमे वापस ले लिए हैं।
2017 के चुनाव के भाजपा लोक कल्याण संकल्प पत्र का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार बनते ही हमने 86 लाख किसानों का फसली ऋण माफ़ करने का वादा पूरा किया। वृंदावन योजना सेक्टर-15 स्थित मैदान में आयोजित किसान सम्मेलन को भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद राजकुमार चाहर, भाजपा प्रदेश प्रभारी सांसद राधामोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही, गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने भी सम्बोधित किया।(वार्ता) 
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