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Last Updated : बुधवार, 24 अगस्त 2022 (19:59 IST)

बिहार में महागठबंधन ने हासिल किया 'विश्वास मत', भाजपा का 'वॉकओवर'

बिहार में महागठबंधन ने हासिल किया 'विश्वास मत', भाजपा का 'वॉकओवर' - The newly formed government in Bihar won the trust vote
पटना। बिहार में नवगठित 'महागठबंधन' सरकार ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी विधायकों के बहिर्गमन के बीच आसानी से विश्वास मत हासिल कर लिया। कुल मिलाकर 160 विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि इसके खिलाफ कोई वोट नहीं पड़ा। भाजपा को हाल ही में हुए सियासी उलटफेर में राज्य में सत्ता से बाहर होना पड़ा था।

विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने संसदीय मामलों के मंत्री विजय कुमार चौधरी के अनुरोध पर गिनती का आदेश दिया। चौधरी ने कहा कि ध्वनिमत ने स्पष्ट रूप से बहुमत का समर्थन दर्शाया है, लेकिन गिनती से किसी भी तरह के भ्रम की गुंजाइश नहीं रहेगी।

कुल मिलाकर 160 विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि इसके खिलाफ कोई वोट नहीं पड़ा। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के एकमात्र विधायक अख्तरुल ईमान ने भी विश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया। ईमान की पार्टी सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा नहीं है।

भाजपा के कुछ विधायकों ने सदन में हंगामा किया और मांग की कि उपाध्यक्ष सदस्यों की संख्या गिनने में समय बर्बाद न करें, बल्कि दिन के लिए निर्धारित कामकाज पर ध्यान दें। इन विधायकों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाषण के दौरान सदन से बहिर्गमन भी किया।

इसके बाद भाजपा विधायकों ने सदन की कार्यवाही के बहिष्कार की घोषणा की। इस पर उपाध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया, लेकिन उन्होंने सदन को सूचित किया कि गुरुवार को नए विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया जाएगा। यह पद भाजपा के विजय कुमार सिन्हा के इस्तीफे के बाद रिक्त हुआ है।

नीतीश कुमार ने लगभग आधे घंटे के अपने भाषण में भाजपा के इशारे पर लोजपा के चिराग पासवान द्वारा किए गए विद्रोह के साथ ही आरसीपी सिंह के माध्यम से जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) में विभाजन के प्रयासों की ओर परोक्ष रूप से इशारा किया।

नीतीश ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी कोई व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं है और उन्होंने भाजपा के इस आरोप को खारिज किया कि उनके रुख में ताजा यू-टर्न का उद्देश्य विपक्षी खेमे की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनना है।

उन्होंने वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए एकजुट रहने का आग्रह किया। जदयू नेता ने भाजपा के साथ अपने पुराने जुड़ाव को भी याद किया और मौजूदा सरकार तथा अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के युग के बीच के अंतर का जिक्र किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार काम कम करती है और प्रचार-प्रसार अधिक करती है। भाजपा विधायकों के अपने विरोध में बोलने पर उन्होंने कहा, मेरे खिलाफ बोलें। हो सकता है कि इससे आपको अपने राजनीतिक आकाओं से कुछ पुरस्कार मिल जाए।(भाषा)
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