बिहार में सियासी संग्राम, विधानसभा स्पीकर ने क्यों किया इस्तीफे से इनकार?
पटना। बिहार में महागठबंधन और भाजपा के बीच जारी सियासी संग्राम थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। बिहार में नवगठित महागठंधन की सरकार के बहुमत साबित करने से एक दिन पहले विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि वह सत्तारूढ़ महागठबंधन के विधायकों द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के बावजूद इस्तीफा नहीं देंगे।
स्पीकर सिन्हा ने दावा किया कि उनके खिलाफ लाया गया प्रस्ताव झूठे आरोपों पर आधारित है और विधायी नियमों की परवाह किए बिना लाया गया है। उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव में लगता है कि नियमों (संसदीय नियम) की परवाह नहीं की गई है, मुझ पर पक्षपात और तानाशाही रवैये का आरोप लगाया गया है। दोनों आरोप साफ तौर पर झूठे हैं। ऐसी परिस्थितियों में इस्तीफा देने से मेरे स्वाभिमान को ठेस पहुंचेगी।
सिन्हा ने कहा कि मैं बिहार विधानसभा अध्यक्ष के रूप में, मेरे विरूद्ध लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का प्रतिकार करते हुए इस्तीफा नहीं दूंगा। आसन से बंधे होने के कारण संसदीय नियमों और प्रावधानों से असंगत नोटिस को अस्वीकृत करना मेरी स्वभाविक जिम्मेवारी बनती है।
उन्होंने कहा कि मैं वर्तमान में सदन के अध्यक्ष पद पर आसीन हूं और इस संवैधानिक पद से जुड़े मानदंडों से बंधा रहूंगा। मेरी प्राथमिकता नियमों के अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना होगा। उन्होंने कहा कि सदन की बात सदन में ही होगी।
बिहार विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने इसे गलत परंपरा की शुरुआत बताते हुए कहा कि तकनीकी तौर पर यह होता है कि अध्यक्ष या उपाध्यक्ष किसी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है, तो वे आसन पर नहीं बैठते। उसके बावजूद भी कोई जिद करे कि हम आसन पर बैठेंगे तो इससे दुर्भाग्यपूर्ण बात क्या होगी।
संसदीय कार्य मंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता विजय कुमार चौधरी ने सिन्हा के बारे में कहा कि उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान जो बातें कहीं वह बिल्कुल समझ से परे है कि कोई व्यक्ति संवैधानिक पद पर रहते और यह जानते हुए कि अब हम इस पद पर बने नहीं रह सकते, यह कहे कि हम इस्तीफा नहीं देंगे इसका कोई अर्थ नहीं है।