अयोध्या। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन पर आधारित रामलीला तो इन दिनों लाखों स्थानों पर हो रही है, पर श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या की रामलीला में श्रीराम जी का किरदार निभाना बड़े ही भाग्यशाली होने की बात है। यह बात कही अयोध्या में हो रही फ़िल्मी कलाकारों की रामलीला में श्रीराम का किरदार निभा रहे फ़िल्म कलाकार राहुल गुच्चर ने।
उन्होंने अयोध्या वासियों को नवरात्रि की बधाई देते हुए कहा कि मैं अपने को बड़ा भाग्यशाली मानता हूं और ये समझता हूं कि अयोध्या की रामलीला में श्रीराम का किरदार निभाने के लिए स्वयं श्रीराम ने ही मुझे चुना, इसलिए जो बात अयोध्या की रामलीला करने में है, वो और कहां।
उन्होंने कहा कि श्रीराम का किरदार निभाने के बाद से मेरे जीवन में भी बड़ा बदलाव आया हैं। मैं शांत सा हो गया हूं, मेरा गुस्सा खत्म हो गया है, लोगों के प्रति दया की भावना है, साथ ही उन्होंने अपने किरदार निभाने के विषय में कहा कि जब हम मंच पर कदम रखते हैं, तब भूल जाता हूं कि मैं एक कलाकार हूं।
उन्होंने कहा कि मेरे अंदर न जाने क्या आ जाता है कि मैं श्रीराम हूं, क्योंकि एक कलाकार के रूप में जो भी किरदार निभाता हूं, उसमें जीने का प्रयास करता हूं। अपने शरीर के अंदर ढालकर उसके रंग में रंग जाता हूं और ये तो श्रीराम जी का किरदार हैं, उसमें नहीं रंगूंगा तो किसमें रंगूंगा।
उन्होंने रामलीला देख रहे करोड़ों दर्शकों को संदेश देते हुए कहा कि मेरे दो संदेश हैं- एक तो राम भी तुम में, तुम में ही रावण, दोनों ही तुम्हारे, अब किससे तुमको क्या लेना है, यह निर्णय भी तुम्हारे। और दूसरा- अयोध्या एक मर्यादा का केंद्र है।
अयोध्या वासियों से मेरा विनम्र निवेदन है कि आप पूरे विश्व में राम राज्य, राम चरित मानस और रामजी के जीवन चरित्र का खूब प्रचार-प्रसार करो, क्योंकि अयोध्या नगरी में आपका जन्म हुआ। और अगर ऐसा हुआ तो मेरा मंचन सफल है।
''रघुकुल रीत''... पर राजा दशरथ का किरदार निभा रहे गिरजा शंकर बोले : अयोध्या के लक्ष्मण किला के प्रांगण में मंचन हो रही अंतरराष्ट्रीय रामलीला, जिसे सीधा प्रसारण के माध्यम से दुनियाभर में 19 करोड़ से अधिक दर्शक देख रहे हैं, जिसमें राजा दशरथ का किरदार गिरजा शंकर निभा रहे हैं, जिन्होंने बीआर चोपड़ा के सुप्रसिद्ध हिंदी सीरियल 'महाभारत' में धृतराष्ट्र की भूमिका निभाई थी।
वे अयोध्या नगरी, जहां प्रभु श्रीराम ने जन्म लिया, वहां रामलीला में राजा दशरथ का किरदार निभाने पर स्वयं को बड़ा ही भाग्यशाली मान रहे हैं। उनका कहना है कि अयोध्यावासी बड़े ही सौभाग्यशाली हैं, जहां रघुकुल की यह रीत रही है कि 'रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई' पर आज के समय में ऐसा नहीं है।