Jodhpur Lok Sabha Seat: राजस्थान के मारवाड़ की सबसे चर्चित लोकसभा सीट है जोधपुर, जहां से केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह गजेन्द्र सिंह शेखावत एक बार फिर मैदान में हैं। कंग्रेस ने यहां से करण सिंह उचियारड़ा को उम्मीदवार बनाया है। शेखावत ने पिछली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को 2.5 लाख से ज्यादा मतों से हराया था। इस बार उचियारड़ा उनके सामने कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं। हालांकि पिछला चुनाव शेखावत ने जिस बड़े अंतर से जीता था, उससे मुश्किल ही लगता है कि करण सिंह कोई चमत्कार कर पाएं।
स्थानीय बनाम बाहरी : इस बार चुनाव में स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा भी हावी है। शेखावत शेखावाटी के सीकर जिले से आते हैं, जबकि करण सिंह स्थानीय है। हालांकि शेखावत लंबे समय से जोधपुर में ही रह रहे हैं। साथ ही उनकी शिक्षा-दीक्षा भी जोधपुर में ही हुई है। करण सिंह भी बाहरी बनाम स्थानीय मुद्दे को हवा दे रहे हैं। उचियारड़ा खुद को सच्ची बना (सच) और शेखावत को गप्पू बना (झूठ) बोल रहे हैं।
शेखावत को मोदी और राम का सहारा : शेखावत को मोदी का चेहरा और राम मंदिर निर्माण तीसरी जीत की ओर ले जा सकता है। अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का लोकसभा चुनाव में भाजपा को फायदा मिल सकता है। दूसरा नरेन्द्र मोदी का चेहरा भी भाजपा को बढ़त दिला सकता है। हालांकि जानकार यह भी मान रहे हैं कि इस बार मोदी लहर जैसा कुछ भी नहीं है। अमित शाह जोधपुर के भोपालगढ़ में एक रैली कर चुके हैं। उन्होंने उस रैली में मोदी सरकार की उपलब्धियों को गिनाया, वहीं कांग्रेस और राहुल गांधी पर भी जमकर निशाना साधा।
शेखावत का पार्टी में ही विरोध : शेखावत अपने 10 सालों के कामों को लोगों के बीच गिना रहे हैं, लेकिन उन्हें अपनी पार्टी के भीतर ही विरोध झेलना पड़ रहा है। पिछले दिनों शेरगढ़ के विधायक बाबू सिंह राठौड़ के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने उन्हें काले झंडे दिखाए थे। दरअसल, राठौर और शेखावत के बीच विधानसभा चुनाव के दौरान मतभेद हुए थे, जो अब तक कायम हैं।
हालांकि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दोनों के बीच सुलह करवाने की कोशिश की है, लेकिन वक्त ही बताएगा कि शर्मा अपने प्रयास में कितने सफल रहे। माना जाता है कि राठौड़ वसुंधरा गुट से आते हैं, जो स्वयं भी पार्टी से नाराज चल रही हैं। पार्टी के एक अन्य नेता गजेन्द्र सिंह खींवसर भी शेखावत से नाराज बताए जा रहे हैं।
राजपूत फैक्टर : गजेन्द्र सिंह शेखावत एवं करण सिंह दोनों ही राजपूत समुदाय से आते हैं, लेकिन केन्द्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला की राजपूतों पर टिप्पणी के बाद समाज में नाराजगी देखने को मिल रही है। पिछले दिनों फलौदी में राजपूत समाज के लोगों ने प्रतिज्ञा भी ली थी कि वे भाजपा को वोट नहीं देंगे। इस लोकसभा क्षेत्र में राजपूत वोटरों की संख्या सर्वाधिक है।
क्या कहते हैं जातीय समीकरण : जोधपुर लोकसभा सीट राजपूत बहुल है। यहां राजपूतों की संख्या करीब 4 लाख 40 हजार है, जबकि यहां दूसरे नंबर पर 2 लाख 90 हजार के आसपास मुस्लिम हैं। तीसरी बड़ी संख्या यहां बिश्नोई समाज (1 लाख 80 हजार) की है। इनके अलावा ब्राह्मण 1 लाख 40 हजार, इतने ही मेघवाल, जाट 1 लाख 30 हजार, माली समाज 1 लाख, वैश्य 70 हजार के आसपास हैं। माली समाज के अलावा यहां अन्य ओबीसी जातियों की संख्या 4 लाख के आसपास है। इसके साथ ही वाल्मीकि, खटीक, रावणा राजपूत, कुम्हार, चारण, सुथार, पटेल, घांची आदि जातियों के मतदाता भी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
कितने विधानसभा क्षेत्र : जोधपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें फलौदी, लोहावट, शेरगढ़, सरदारपुरा, जोधपुर, सूरसागर, लूनी जोधपुर जिले के अंतर्गत आते हैं, जबकि पोखरण सीट जैसलमेर जिले की है। इन 8 में से 7 विधानसभा सीटें भाजपा ने जीती थी, जबकि सरदारपुरा एकमात्र कांग्रेस की सीट है, जहां से पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जीत हासिल की थी।
क्या है सीट का इतिहास : पहले चुनाव यानी 1952 में यहां से जसवंतराज मेहता स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में जीते थे, जबकि 1957 का चुनाव वे कांग्रेस के टिकट पर जीते थे। 1962 में यहां लक्ष्मीमल सिंघवी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप चुनाव जीते, फिर अगले चुनाव में यह सीट कांग्रेस की झोली में चली गई। 1971 में कृष्णा कुमारी ने स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में विजय हासिल की।
सर्वाधिक 5 बार यहां से अशोक गहलोत सांसद रहे। अटल सरकार में रक्षा, वित्त और विदेश जैसे मंत्रालय का जिम्मा संभालने वाले जसवंत सिंह भी 1989 में इस सीट से सांसद चुने गए थे। गजेन्द्र सिंह शेखावत इस सीट से तीसरी बार मैदान में हैं। शेखावत ने दोनों ही चुनाव बड़े अंतर से जीते हैं।