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उज्‍जैन में घरों को ढहाना पड़ा महंगा, हाईकोर्ट ने दिए मुआवजे के आदेश

Court Order
Demolition of houses in Ujjain proved costly : मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने धार्मिक नगरी उज्जैन में 2 घरों के कुछ हिस्सों को ढहाए जाने को लेकर कहा कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन किए बगैर किसी भी घर को ढहा देना स्थानीय प्रशासन और स्थानीय निकायों के लिए 'फैशन' बन गया है। न्यायालय ने याचिका मंजूर करते हुए उन्हें सरकारी खजाने से एक-एक लाख रुपए का मुआवजा अदा करने का आदेश दिया।
 
अदालत ने दो महिलाओं की याचिका मंजूर करते हुए यह टिप्पणी की और उन्हें सरकारी खजाने से एक-एक लाख रुपए का  मुआवजा अदा करने का आदेश दिया। उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति विवेक रुसिया ने दोनों पक्षों की दलीलों पर गौर करने के बाद उज्जैन निवासी राधा लांगरी और विमला गुर्जर की याचिका को स्वीकार किया।
 
याचिकाकर्ताओं ने घरों को ढहाए जाने को दी थी चुनौती : अदालत ने याचिकाकर्ताओं को चार हफ्तों की तय प्रक्रिया के तहत सुनवाई का अवसर नहीं दिए जाने के कारण उनके घरों के कुछ हिस्सों को उज्जैन नगर निगम द्वारा ढहाए जाने को अवैध करार दिया। दोनों याचिकाकर्ताओं ने उज्जैन के सांदीपनि नगर में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) की आवास योजना के दो घरों के हिस्सों को स्थानीय प्रशासन द्वारा 13 दिसंबर 2022 को ढहाए जाने को चुनौती दी थी।
 
याचिका में कहा गया कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान मध्यप्रदेश नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 के प्रावधानों का  पालन नहीं किया गया था। उच्च न्यायालय ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन कर मकानों को ढहाए जाने की कार्रवाई को लेकर प्रशासन को लताड़ लगाते हुए कहा कि अदालत द्वारा लगातार देखा जा रहा है कि स्थानीय प्रशासन और स्थानीय निकायों के लिए रूपरेखा बनाकर किसी भी घर को ढहा देना ‘फैशन’ बन गया है।
 
अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश : उच्च न्यायालय ने उज्जैन नगर निगम के आयुक्त को उन अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया जिन्होंने याचिकाकर्ताओं के घरों के कुछ हिस्सों को ढहाए जाने की कार्रवाई के संबंध में मौके पर फर्जी पंचनामा बनाया था। एकल पीठ ने अपने फैसले में यह भी कहा कि उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने वाली महिलाएं चाहें तो ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से उन्हें हुए वास्तविक नुकसान के दावे के लिए दीवानी अदालत का दरवाजा खटखटा सकती हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 
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