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Last Updated : शुक्रवार, 3 जनवरी 2025 (18:38 IST)

महाकुंभ प्रयागराज 2025: विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन, 13 अखाड़ों के शाही स्नान का अद्भुत दृश्य

महाकुंभ प्रयागराज 2025: विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन, 13 अखाड़ों के शाही स्नान का अद्भुत दृश्य - Maha Kumbh Prayagraj 2025 is the world's largest religious event
Maha Kumbh Prayagraj 2025: प्रयागराज जिसे प्राचीन काल में इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था, 2025 में महाकुंभ के आयोजन के लिए तैयार है। महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा, और आध्यात्मिकता का भव्य उत्सव है। करोड़ों श्रद्धालु और साधु-संत यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर एकत्रित होंगे। इस आयोजन की विशेषता शाही स्नान है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक है।ALSO READ: महाकुंभ 2025: कुंभ में गंगा स्नान से पहले जान लें ये नियम, मिलेगा पूरा पुण्य लाभ
 
महाकुंभ का महत्व
 
महाकुंभ हिन्दू धर्म का सबसे पवित्र आयोजन है, जो हर 12 वर्षों में 4 स्थानों- प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में बारी-बारी से आयोजित होता है। इसे कुंभ मेले का 'महाकुंभ' तब कहा जाता है, जब इसका आयोजन प्रयागराज में होता है। मान्यता है कि अमृत कलश से गिरे अमृत की बूंदों के कारण इन चार स्थानों पर कुंभ का आयोजन होता है।ALSO READ: प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान जरूर घूमें ये 10 घाट, गंगा आरती से लेकर कई मनोरम दृश्यों का ले सकेंगे आनंद
 
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ की विशेषता इसका भव्य स्वरूप और संगम का महत्व है। यह संगम, जहां तीन नदियां मिलती हैं, पवित्रता का प्रतीक है। यहां स्नान करने से समस्त पापों का नाश और आत्मा की शुद्धि होती है।
 
13 अखाड़ों की परंपरा
 
महाकुंभ में 13 प्रमुख अखाड़े शाही स्नान के अधिकार रखते हैं। इन अखाड़ों की स्थापना वैदिक सनातन धर्म की रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए की गई थी। अखाड़े केवल धार्मिक संगठन नहीं हैं; वे सनातन संस्कृति के संरक्षक हैं और आत्मिक, शारीरिक और मानसिक साधना के केंद्र हैं।ALSO READ: Maha Kumbh 2025 : भस्म लपेटे नागा साधुओं का महाकुंभ में प्रवेश, श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े की पेशवाई देख दंग रह गए लोग
 
अखाड़ों का वर्गीकरण और उनका महत्व
 
1. दशनामी संन्यासी अखाड़े : ये 7 अखाड़े आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किए गए थे। इन अखाड़ों के साधु-संत संन्यास धर्म का पालन करते हैं और तपस्वी जीवन जीते हैं।
 
अटल अखाड़ा: यह सबसे प्राचीन और प्रमुख अखाड़ा माना जाता है।
 
आवाहन अखाड़ा: यह अपनी वैराग्य साधना और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है।
 
आनंद अखाड़ा: यहां के साधु ध्यान और योग में निपुण होते हैं।
 
निरंजनी अखाड़ा: यह वैदिक शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार में प्रमुख भूमिका निभाता है।
 
महानिर्वाणी अखाड़ा: तपस्या और त्याग के लिए जाना जाता है।
 
भैरों अखाड़ा: इस अखाड़े का संबंध शक्ति साधना से है।
 
अग्नि अखाड़ा: अग्नि साधना और यज्ञ का महत्व इस अखाड़े की पहचान है।ALSO READ: महाकुंभ में कौन सा अखाड़ा सबसे पहले करता है स्नान? जानिए अंग्रेजों के समय से चली आ रही परंपरा का इतिहास
 
2. वैष्णव अखाड़े
 
वैष्णव परंपरा के 3 प्रमुख अखाड़े हैं:
 
श्री दिगम्बर अखाड़ा
 
श्री निर्मोही अखाड़ा
 
श्री निर्मणि अखाड़ा
 
ये अखाड़े भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा और भक्ति के लिए समर्पित हैं। इनके साधु-संत वैष्णव परंपराओं का पालन करते हैं।ALSO READ: Prayagraj kumbh mela 2025 date: प्रयागराज में महाकुंभ स्नान कब से कब तक चलेगा?
 
3. उदासीन और निर्मल अखाड़े
 
उदासीन अखाड़े: 2 प्रमुख अखाड़े हैं, जो सिख गुरुओं की शिक्षाओं और संत परंपरा से जुड़े हैं।
 
निर्मल अखाड़ा: 13वां अखाड़ा, जो सिख धर्म और हिन्दू धर्म की समन्वित परंपरा को दर्शाता है।
 
शाही स्नान का महत्व
 
महाकुंभ का मुख्य आकर्षण शाही स्नान है। शाही स्नान उस समय का प्रतीक है जब 13 अखाड़ों के साधु-संत हाथियों, घोड़ों, और रथों पर सवार होकर भव्य जुलूस के साथ संगम तक पहुंचते हैं। इस जुलूस में अखाड़ों के झंडे, नगाड़े, और जयकारों का अद्भुत माहौल होता है।
 
सबसे पहले अखाड़ों के साधु संगम में स्नान करते हैं, जिसके बाद आम श्रद्धालुओं को स्नान का अवसर दिया जाता है। शाही स्नान का न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक महत्व भी है, क्योंकि यह हिन्दू धर्म की शक्ति और एकता का प्रतीक है।
 
महाकुंभ 2025 की तैयारियां
 
प्रयागराज महाकुंभ 2025 को भव्य बनाने के लिए उत्तरप्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं। संगम क्षेत्र को सजाया जा रहा है और लाखों श्रद्धालुओं के ठहरने, खाने-पीने और स्वास्थ्य सुविधाओं का प्रबंध किया जा रहा है।
 
आवास और टेंट सिटी: संगम के पास भव्य टेंट सिटी बनाई जा रही है, जहां श्रद्धालु आराम से ठहर सकेंगे।
 
सुरक्षा प्रबंध: लाखों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। आधुनिक तकनीक और सीसीटीवी कैमरों का उपयोग किया जाएगा।
 
स्वच्छता अभियान: गंगा और यमुना को स्वच्छ रखने के लिए विशेष सफाई अभियान चलाया जा रहा है।
 
अंतरराष्ट्रीय आकर्षण
 
महाकुंभ केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व भर में आकर्षण का केंद्र है। हजारों विदेशी पर्यटक और शोधकर्ता इस आयोजन का हिस्सा बनने आते हैं। यह आयोजन भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करता है।
 
परंपराएं और अखाड़ों की शक्ति
 
महाकुंभ प्रयागराज 2025 भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का संगम है। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमारी परंपराओं, अखाड़ों की शक्ति, और समाज में धर्म के महत्व को भी उजागर करता है। लाखों श्रद्धालु इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनने के लिए उत्साहित हैं। 13 अखाड़ों के साधु-संतों की शाही शोभायात्रा और संगम में स्नान का अद्भुत दृश्य हर किसी के लिए अविस्मरणीय होगा। महाकुंभ 2025 भारतीय संस्कृति और धर्म की अद्वितीयता को फिर से स्थापित करेगा।
 
Edited by: Ravindra Gupta