महाकुंभ में कौन सा अखाड़ा सबसे पहले करता है स्नान? जानिए अंग्रेजों के समय से चली आ रही परंपरा का इतिहास
Which akhada takes the royal bath first in Kumbh :
Which akhada takes the royal bath first in Kumbh : महाकुंभ में शाही स्नान एक अत्यंत महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। यह माना जाता है कि इस पवित्र स्नान से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत इस अनुष्ठान में भाग लेते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाकुंभ में कौन सा अखाड़ा सबसे पहले स्नान करता है और इस क्रम को कैसे तय किया जाता है? आइए, इस आलेख में आपको आज इस बारे में विस्तार से बताते हैं । साथ ही बताते हैं महाकुंभ में अखड़ों के शाही स्नान का क्या है इतिहास और कैसे यह परंपरा अंग्रेजों के समय से जुड़ी हुई है।
अखाड़ों का स्नान क्रम कैसे तय होता है?
आपने कभी सोचा है कि महाकुंभ में कौन सा अखाड़ा सबसे पहले स्नान करता है? इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए हमें इतिहास में थोड़ा पीछे जाना होगा।
अंग्रेजी काल में हुआ था निर्णय: स्थापित परंपरा के अनुसार, अंग्रेजी राज के दौरान ही सभी अखाड़ों ने आपसी सहमति से स्नान को लेकर एक संहिता बनाई थी।
प्रयागराज में कौन करता है सबसे पहले स्नान: प्रयागराज में होने वाले सभी अर्धकुंभ और पूर्ण कुंभ में सबसे पहले श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के साधु सबसे पहले स्नान करते हैं।
अन्य स्थानों पर अलग-अलग क्रम: हरिद्वार में लगने वाले कुंभ में निरंजनी अखाड़ा सबसे पहले राजसी स्नान करता है। जबकि उज्जैन और नासिक में कुंभ मेला लगने पर जूना अखाड़े को सबसे पहले राजसी स्नान करने का अवसर मिलता है।
क्यों होता है अलग-अलग अखाड़ों का स्नान क्रम?
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ऐतिहासिक कारण: प्रत्येक अखाड़े का अपना एक अलग इतिहास और महत्व है। इन इतिहासों और परंपराओं के आधार पर ही स्नान का क्रम तय किया गया है।
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आपसी सहमति: अंग्रेजी काल में सभी अखाड़ों ने मिलकर यह निर्णय लिया था।
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महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा : हाल के समय में किन्नर अखाड़े को भी आधिकारिक मान्यता मिली है। किन्नर अखाड़ा भी अब महाकुंभ में भाग लेता है
महाकुंभ में शाही स्नान का क्रम एक ऐतिहासिक और धार्मिक परंपरा है। विभिन्न अखाड़ों का अपना-अपना महत्व और स्थान है। इस परंपरा का पालन करके सभी अखाड़े अपनी आस्था और संस्कृति को जीवित रखते हैं।
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