निर्वाचन आयोग को तृणमूल कांग्रेस का पत्र, चुनाव एजेंट के संबंध में पुराना नियम लागू करने की अपील
नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर उससे हाल के उस आदेश को वापस लेने की अपील की है जिसमें चुनाव एजेंट नियुक्त करने के नियम में ढील दी गई है। पार्टी ने आरोप लगाया कि आयोग ने भाजपा की मदद करने के लिए यह कदम उठाया है।
मार्च 2009 में निर्वाचन आयोग ने एक व्यवस्था दी थी कि उम्मीदवारों द्वारा जो चुनाव एजेंट नियुक्त किए जाते हैं, वे उसी मतदान केंद्र या उसी निर्वाचन क्षेत्र के पड़ोस के मतदान केंद्रों के मतदाता होंगे, लेकिन हाल ही में इस प्रावधान में बदलाव किया गया और विधानसभा क्षेत्र के किसी भी हिस्से से संबंध रखने वाले मतदाता को चुनाव एजेंट नियुक्त करने की अनुमति दी गई है।
तृणमूल कांग्रेस ने 26 मार्च को भेजे गए अपने पत्र में कहा है, (आयोग द्वारा उसे) मिले इनपुट के आधार पर और उम्मीदवारों की सुविधा के लिए ऐसा किया गया। ऐसे कारण न केवल संदिग्ध हैं, बल्कि इससे हम इस निष्कर्ष पर भी पहुंचे हैं कि इसे भारतीय जनता पार्टी जैसे कुछ दलों को सहायता पहुंचाने के लिए लागू किया गया, क्योंकि उनके पास पर्याप्त चुनाव एजेंट जुटाने की ताकत नहीं है। पार्टी ने यह पत्र रविवार को जारी किया।
इसने दावा किया कि नए निर्देश भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों को फायदा पहुंचाने के लिए दुर्भावनापूर्ण मंशा से जारी किए गए। इसने आरोप लगाया, पश्चिम बंगाल में चुनाव की निर्धारित तारीख से महज पहले निर्वाचन आयोग द्वारा ऐसा निर्देश जारी किया जाना मनमानापूर्ण, राजनीति से प्रेरित एवं पक्षपातपूर्ण है। तृणमूल कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से इस निर्देश को वापस लेने और पुराने नियम को बहाल करने की अपील की है।
पार्टी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को निर्वाचन आयोग से मिलकर पुराने नियम को बहाल करने की मांग की थी। प्रतिनिधिमंडल मुख्य निर्वाचन अधिकारी आरिज आफताब से मिला था। पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में विधानसभा चुनाव हैं। पहले चरण का मतदान कल हुआ था।(भाषा)