ललितपुर कांड : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘पुलिस थानों में पैरा लीगल वॉलंटियर्स पर स्थिति स्पष्ट करें राज्य’
नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित ललितपुर दुष्कर्म कांड के मामले में दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि पुलिस थानों में पैरा लीगल वॉलंटियर्स (पीएलवी) रखने के बारे में स्टेट्स रिपोर्ट प्रस्तुत करें। इनकी नियुक्ति का आदेश शीर्ष अदालत ने मई 2013 में दिया था।
यह याचिका नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित संगठन बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) ने 13 साल की लड़की के साथ ललितपुर के पुलिस थाने में एसएचओ द्वारा दुष्कर्म करने के मामले में लगाई थी। पीड़िता इससे पहले भी दो बार गैंगरेप का शिकार हो चुकी थी। मामले की अगली सुनवाई 1 सितंबर को होगी।
जस्टिस इंद्रा बनर्जी और जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम की दो सदस्यीय पीठ ने सुनवाई करते हुए यह भी आदेश दिया कि पीड़िता की सुरक्षा व पुनर्वास को पुख्ता रूप से सुनिश्चित करने के लिए एक जिला जज को कानूनी सलाहकार के रूप में नियुक्त किया जाए।
बीबीए की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने कोर्ट के निर्देश पर खुशी जताते हुए कहा, आज का निर्देश, हमारी पहली मांग को पूरा करता है कि देश के सभी पुलिस थानों में पीएलवी की नियुक्ति की जाए। इससे केसों के समय से दर्ज होने में मदद मिलेगी और पीड़ित पक्ष को न्याय हासिल करने में कानूनी सहायता भी मिल सकेगी।
बीबीए ने अपनी याचिका में आग्रह किया कि मई, 2013 में अदालत के उस आदेश, जिसमें कि उसने कहा था कि पुलिस स्टेशनों में शिफ्ट के अनुसार स्पेशल जुवेनाइल ऑफिसर की तैनाती की जाए, ताकि लापता बच्चों और बच्चों से संबंधित अन्य मामलों की शिकायतों को दर्ज करवाने में आसानी हो, को पूरा करने में राज्य सरकारें नाकाम रही हैं। बच्चों के प्रति बढ़ते अपराधों पर चिंता जताते हुए बेंच ने कहा कि स्टेट लीगल अॅथारिटीज को अपना दायित्व समझते हुए इस बारे में सक्रिय एवं जिम्मेदारी भरी भूमिका निभानी चाहिए।
बेंच ने दिल्ली के 60 पुलिस थानों में पीएलवी की नियुक्ति होने में बीबीए के योगदान की भी सराहना की। जस्टिस इंद्रा बनर्जी ने कहा कि दिल्ली को मॉडल मानते हुए पूरे देश में इस व्यवस्था को लागू करना चाहिए। बेंच के अनुसार यह मॉडल पीडि़त व उसके परिजनों को एफआईआर करवाने में महती भूमिका निभा सकता है।
उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले के पाली का यह मामला उस समय सुर्खियों में आया था जब गैंगरेप पीड़िता से पुलिस थाने में ही एसएचओ ने दुष्कर्म किया था। इस मामले में एसएचओ को गिरफ्तार करने के साथ ही पूरे थाने को संस्पेंड कर दिया गया था। साथ ही पीड़िता को भोपाल ले जाकर गैंगरेप करने वाले चार लोगों और पीड़िता की मौसी को भी गिरफ्तार किया गया था।
बीबीए ने जब इस मामले में छानबीन की तो सामने आया कि पिछले साल नवंबर में पहली बार पीड़िता के साथ पांच लोगों ने दुष्कर्म किया था। पुलिस ने इस मामले में शिकायत दर्ज नहीं की थी और अप्रैल में इन्हीं आरोपियों में से चार ने फिर पीड़िता को अगवाकर दुष्कर्म किया।