SC ने पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन के लिए बाबा रामदेव व सरकार को नोटिस भेजा
नई दिल्ली। एलोपैथी और एलोपैथिक चिकित्सकों की आलोचना करने पर मंगलवार को बाबा रामदेव से अप्रसन्नता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे डॉक्टरों के लिए अपशब्द बोलने से परहेज करें। शीर्ष अदालत ने टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के खिलाफ मुहिम चलाए जाने के आरोपों वाली भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) की याचिका पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आयुष मंत्रालय तथा पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से जवाब मांगे हैं।
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इन गुरु स्वामी रामदेव बाबा को क्या हुआ? हम उनका सम्मान करते हैं, क्योंकि उन्होंने योग को लोकप्रिय बनाया। हम सभी इसे मानते हैं। लेकिन उन्हें अन्य पद्धतियों की आलोचना नहीं करनी चाहिए। इस बात की क्या गारंटी है कि आयुर्वेद, जिसका वे अनुसरण कर रहे हैं, कारगर होगा? आप सभी डॉक्टरों को निशाना बनाने वाले विज्ञापनों को देखिए, जैसे कि वे हत्यारे हों। बड़े-बड़े विज्ञापन दिए गए।
पीठ में न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि योग गुरु डॉक्टरों और उपचार पद्धतियों के लिए अपशब्द नहीं बोल सकते। बेहतर होगा कि वे परहेज करें। आईएमए की ओर से वकील अमरजीत सिंह ने अनेक विज्ञापनों का जिक्र किया जिनमें एलोपैथी और चिकित्सकों को कथित तौर पर खराब छवि के साथ दर्शाया गया है।
उन्होंने कहा कि इन इश्तिहारों में कहा गया है कि आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों का उपयोग करने के बावजूद ये चिकित्सक खुद मर रहे हैं। सिंह ने कहा कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो हमारे खिलाफ गंभीर पूर्वाग्रह का माहौल बन जाएगा। शीर्ष अदालत ने 12 अगस्त को आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के खिलाफ अभियान के आरोप वाली आईएमए की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई थी।(भाषा)