भारतीय परिवारों की बचत 50 साल में सबसे कम, खरगे बोले- अच्छे दिनों की चपत
Savings of Indian families : रिजर्व बैंक द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 में भारतीय परिवारों की वित्तीय बचत जीडीपी की तुलना में घटकर 50 साल के निचले स्तर 5.1 फीसदी पर आ गई। 2021-22 में परिवारों की वित्तीय बचत 7.2 फीसदी थी। रिपोर्ट के अनुसार बचत घटने और महंगाई बढ़ने के पीछे एक बड़ी वजह महंगाई है। रिपोर्ट सामने आने के बाद खरगे ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा।
इस रिपोर्ट के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि 50 सालों में सबसे कम हुई जनता की बचत, मोदी सरकार में अच्छे दिनों की ऐसी लगी चपत! महंगाई द्वारा महालूट, गिरती आमदनी व बढ़ती उधारी, इसका मुख्य कारण हैं।
मोदी सरकार ने न सिर्फ एक आम परिवार के घर का बजट बिगाड़ा है, घरेलू बचत कम होना भारत की अर्थव्यवस्था के लिए भी बेहद हानिकारक है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार चाहे महिलाओं समेत, हर वर्ग के लिए जितने भी चुनावी स्टंट कर ले… देश की जनता, भाजपा द्वारा प्रायोजित बेरोजगारी, महंगाई, असमानता, मुनाफ़ाख़ोरी और जुमलों की झड़ी को नहीं भूलेगी। 2024 में खत्म होगा जनता को सताने का ये अध्याय।
आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि इस अवधि में भारतीय परिवारों पर वित्तीय देनदारियों का बोझ भी बढ़ा है। 2022-23 में परिवारों की वित्तीय देनदारियां जीडीपी की तुलना में बढ़कर 5.8 फीसदी पर पहुंच गई, जबकि 2021-22 में यह आंकड़ा 3.8 फीसदी रहा था। इसका मतलब यह है कि खपत का कुछ हिस्सा कर्ज के जरिये पूरा किया जा रहा था।
2022-23 में वित्तीय देनदारियों की वृद्धि दर आजादी के बाद दूसरी बार सबसे अधिक है। इससे पहले यह केवल 2006-07 में बढ़ी थी। उस समय देनदारियों की वृद्धि दर 6.7% थी। वित्तीय देनदारियों के संदर्भ में घरेलू कर्ज भी 2022-23 में जीडीपी का 37.6% था, जो उसके पहले के वर्ष में 36.9 फीसदी रहा था।
Edited by : Nrapendra Gupta