राजनीतिक चंदे पर व्यवस्था में बदलाव नहीं चाहतीं पार्टियां : अरुण जेटली
नई दिल्ली। पार्टियों को मिलने वाले चंदे को लेकर पिछले दिनों से चली आ रही बहस के बीच वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को साफ शब्दों में कहा कि राजनीतिक दल मौजूदा व्यवस्था में बदलाव नहीं चाहते।
जेटली ने यहां 7वें दिल्ली इकोनॉमिक्स कॉनक्लेव में कहा कि भारत का लोकतंत्र पिछले 70 साल से अदृश्य पैसों पर पल रहा है। मैंने बजट में एक प्रस्ताव दिया था तथा राजनीतक दलों से संसद में भी और लिखित रूप से भी इस पर सुझाव मांगे हैं कि राजनीतिक चंदे में कालेधन के इस्तेमाल को कैसे समाप्त किया जा सकता है? अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने कोई सलाह नहीं दी है। लगता है वे मौजूदा व्यवस्था में बदलाव ही नहीं चाहते।
वित्तमंत्री ने कहा कि अब तक की सरकारें और चुनाव आयोग दोनों ही इस अदृश्य पैसे पर लगाम लगाने में विफल रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में इस संबंध में कोई बेहतर व्यवस्था सामने आएगी।
जेटली ने वित्त वर्ष 2017-18 का बजट पेश करते हुए राजनीतिक दलों के नकद चंदा स्वीकार करने की सीमा 20 हजार रुपए से घटाकर 2 हजार रुपए करने का प्रस्ताव किया था, हालांकि चेक या डिजिटल माध्यमों से चंदा लेने पर किसी प्रकार की सीमा का प्रस्ताव नहीं था। उन्होंने कहा था कि सरकार जल्द ही इलेक्टोरल बांड के जरिए चंदा लेने के लिए योजना बनाएगी, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ है। (वार्ता)