राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान को नहीं मिल सकता बराबरी का दर्जा : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की अर्जी को खारिज करते हुए राष्ट्रगीत (वंदे मातरम) और राष्ट्रगान (जन गण मण) को बराबरी का दर्जा देने से इनकार कर दिया।
दरअसल भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान को बराबरी का दर्जा दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली थी, जिसे ने खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने अपने आदेश में कहा कि अनुच्छेद 51ए में केवल राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्रगान का उल्लेख किया गया है। इसलिए जहां तक राष्ट्रगीत (वंदे मातरम्) की बात है तो हम इस बारे में कोई नई बहस नहीं छेड़ना चाहते हैं।
न्यायालय ने कार्यालयों, अदालतों, राज्य विधानमंडलों और संसद में राष्ट्रगान को अनिवार्य करने संबंधी याचिका खारिज कर दी, हालांकि स्कूलों में राष्ट्रगान को अनिवार्य करने संबंधी अनुरोध पर अलग से विचार के लिए पीठ ने हामी भर दी।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि स्कूलों में सभी कार्यदिवसों को राष्ट्रगान गाने संबंधी अनुरोध को छोड़कर अन्य सभी अर्जियां ठुकराई जाती हैं।