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Written By WD Feature Desk
Last Updated : बुधवार, 16 जुलाई 2025 (17:20 IST)

चीन को पछाड़ बच्चे पैदा करने में भारत दुनिया में No.1, हर दिन बस रहा एक छोटा शहर

Birth rate
india became no 1 in population: दुनिया की आबादी लगातार बढ़ रही है, और इस वृद्धि में भारत ने एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत अब चीन को पछाड़कर दुनिया में सबसे अधिक बच्चे पैदा करने वाला देश बन गया है। यह एक महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय बदलाव है, जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। यह आंकड़ा इतना बड़ा है कि हर दिन भारत में पैदा होने वाले बच्चों की संख्या से एक छोटा शहर बस सकता है।
 
आंकड़ों की जुबानी भारत की बढ़ती जन्म दर की कहानी
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में एक दिन में औसतन 63,169 बच्चे पैदा होते हैं। यह संख्या इतनी विशाल है कि इसे समझना मुश्किल हो सकता है, लेकिन अगर हम इसे एक छोटे शहर की आबादी से तुलना करें, तो यह आंकड़ा और भी स्पष्ट हो जाता है। कल्पना कीजिए, हर 24 घंटे में एक नया शहर, केवल नवजात शिशुओं से भरा हुआ, भारत की धरती पर आकार ले रहा है। यह आंकड़ा दुनिया में हर दिन जन्म लेने वाले बच्चों का लगभग पांचवा हिस्सा है।
 
यह वृद्धि भारत को चीन से आगे ले गई है, जो दशकों से दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश रहा है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की रिपोर्टों के अनुसार, 2023 के मध्य तक भारत की अनुमानित जनसंख्या चीन से अधिक हो गई है। यह 1950 के बाद पहला मौका है जब भारत इस सूची में पहले नंबर पर आया है।
 
चीन की घटती जन्म दर
जहां भारत में जन्म दर बढ़ रही है, वहीं चीन में एक विपरीत तस्वीर देखने को मिल रही है। चीन में 2022 में 60 साल बाद आबादी में गिरावट दर्ज की गई। चीन के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2022 में देश में जन्म दर प्रति हजार लोगों पर 6.77 थी, जो 2021 में 7.52 थी। चीन की 'एक बच्चा नीति' और अब 'दो बच्चा नीति' के बावजूद, उसकी जन्म दर में लगातार गिरावट आ रही है, जिसका असर उसकी अर्थव्यवस्था और कार्यबल पर भी पड़ने की आशंका है।
 
किस देश में है सबसे कम जन्म दर
दुनिया के देशों में एक दिन में सबसे कम बच्चे पैदा होने वाले देशों में से एक लक्ज़मबर्ग है। रिपोर्ट के अनुसार, लक्ज़मबर्ग में एक दिन में सिर्फ 18 बच्चे पैदा होते हैं। यह आंकड़ा भारत के विशाल जन्म दर के बिल्कुल विपरीत है और यह दर्शाता है कि कैसे विभिन्न देशों में जनसंख्या वृद्धि के पैटर्न अलग-अलग हैं, जो उनकी सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों से प्रभावित होते हैं।
 
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में जनसंख्या, क्या होगा भविष्य का परिदृश्य
भारत में जनसंख्या वृद्धि दर 2011 के बाद से औसतन 1.2 प्रतिशत रही है, जबकि पिछले 10 वर्षों में यह लगभग 1.7 प्रतिशत थी। यह दर्शाता है कि हालांकि कुल संख्या बढ़ रही है, प्रति महिला प्रजनन दर (fertility rate) में गिरावट आई है। 1970 के दशक में, भारत में एक महिला औसतन 5 बच्चों को जन्म देती थी, जो अब घटकर 2.0 या कुछ रिपोर्टों के अनुसार 1.9 तक आ गई है। यह 'हम दो हमारे दो' के लक्ष्य से भी नीचे है, जो भविष्य में जनसंख्या स्थिरीकरण की ओर इशारा करता है।
 
हालांकि, वर्तमान में भारत की बढ़ती आबादी के कई निहितार्थ हैं। यह एक युवा कार्यबल की संभावना प्रदान करता है, लेकिन साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार और बुनियादी ढांचे पर भी भारी दबाव डालता है।

 
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