- 2006 में निठारी में सामने आया था 19 लोगों की हत्या का सनसनीखेज मामला
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नोएडा के निठारी कांड में सुरेंद्र कोली और पंढेर की फांसी की सजा रद्द
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आरोपियों के वकीलों के तर्क के सामने नहीं चले सीबीआई के सबूत
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दो मामलों में अदालत में फांसी की सजा रद्द कर दोनों को बरी कर दिया
Nithari murder case : साल 2006 के 29 दिसंबर को नोएडा के सेक्टर 31 के गांव में एक कोठी नंबर डी-5 में नर कंकाल मिलने से वहां रहने वाले लोग दहशत में आ गए। पुलिस को बुलाया गया, जांच हुई तो बेहद चौंकाने वाले खुलासे सामने आए। जांच में सामने आया कि लापता हुए 18 बच्चे और एक कॉल गर्ल की हत्या हुई है। कुल 19 हत्याओं से पूरा देश हिल गया। केस को सॉल्व करने के लिए जांच का काम सीबीआई को सौंपा गया। यह देश का सबसे सनसनीखेज हत्याकांड मामला बन गया और मीडिया में छा गया।
जांच के बाद सीबीआई ने डी-5 कोठी के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को आरोपी बनाया। कुल जमा 16 केस में ट्रायल शुरू हुआ। कई मामलों में दोनों को फांसी की सजा सुनाई गई। 16 अक्टूबर 2023 को करीब 17 सालों के बाद हाई कोर्ट ने दोनों आरोपियों की फांसी रद्द कर दी। हालांकि कोली को उम्रकैद की सजा सुनाई गई, जबकि पंढेर को बरी कर दिया गया। वहीं, अदालत ने सुरेंद्र को 12 मामलों और पंढेर को दो मामलों में बरी कर दिया है। बता दें कि सुरेंद्र कोली को 14 मामलों में दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई गई थी, जबकि मनिंदर सिंह पंढेर को 6 मामले दर्ज किए और इनमें से 3 मामलों में कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। अब दोनों को बरी किए जाने से सीबीआई पर सवाल उठ रहे हैं।
ऐसे में सवाल यह है कि आखिर इतने मामलों के बाद भी निठारी हत्याकांड के आरोपी कोली और पंढेर कैसे बरी हो गए।
केस की कड़ियां जोड़ने में नाकाम रही CBI
चाकू- कुल्हाड़ी का इस्तेमाल नहीं : जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा और जस्टिस एसएएच रिजवी की खंडपीठ ने कहा कि नोएडा के सेक्टर-31 में मकान संख्या डी-5 से एकमात्र बरामद हथियार दो चाकू और एक कुल्हाड़ी हैं, जिनका उपयोग बलात्कार, हत्या आदि के अपराध को अंजाम देने के लिए नहीं किया गया था, लेकिन आरोप है कि पीड़ितों की गला दबाकर हत्या करने के बाद शरीर के अंगों को काटने के लिए इनका इस्तेमाल किया गया था।
सीबीआई पर सवाल : कोली और पंढेर के वकीलों ने दोनों की गिरफ्तारी से लेकर सीबीआई कोर्ट के फांसी की सजा होने तक के घटनाक्रमों पर गंभीर सवाल उठाए थे। वकीलों ने पुलिस और सीबीआई की जांच, नरकंकालों की बरामदगी, हत्या में प्रयुक्त हथियारों और कोर्ट की विसंगतिपूर्ण कार्यवाही में चौंकाने वाले तथ्य सामने रखे थे।
कोली को यातनाएं : दोनों आरोपियों के वकीलों ने कोली के बयान दर्ज करने के दौरान उसे अमानवीय यातनाएं देना और कोर्ट में उसके इकबालिया बयान की पेश हुई वीडियो रिकॉर्डिंग की सीडी से कोली और मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर गायब होने का मामला भी सामने रखा। यह सब आरोपी पक्ष के लिए एक बड़ी मदद साबित हुए।
दो बार डेथ वारंट से बचा कोली : गाजियाबाद के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कोली को 24 मई 2011 से 31 मई 2011 के बीच किसी भी दिन सुबह 4 बजे फांसी पर लटकाए जाने के लिए एक डेथ वारंट जारी किया था। कोली ने 7 मई 2011 को राज्यपाल के पास दया याचिका दायर की थी, जिससे मौत की सजा पर रोक लग गई थी। राज्यपाल ने 2 अप्रैल 2013 को दया याचिका खारिज कर दी थी।
इसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास दया याचिका दायर की गई, जिन्होंने 20 जुलाई 2014 को इसे खारिज कर दिया था। कोली ने इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देते हुए पुनर्विचार का अनुरोध किया, लेकिन 24 जुलाई 2014 को याचिका खारिज कर दी गई।
क्या है निठारी कांड?
12 नवंबर 2006 को निठारी में रहने वाली एक युवती कोठी डी-5 की सफाई के लिए घर से निकली थी, इसके बाद वो घर वापस नहीं लौटी। स्वजनों ने उसकी तलाश की, लेकिन बेटी नहीं मिली तो पुलिस से शिकायत की गई, लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की।
नाले में मिले कई शव : इसके बाद मनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे नाले में कई शव मिलने के खबर आई। जिससे हड़कंप मच गया। इस मामले में 19 केस दर्ज किए गए थे, जिनमें से 17 केस अभी पंजीकृत हैं। इनमें से 11 मामलों में अदालत पहले ही फैसला सुना चुकी है।
Nithari Kand : कब क्या हुआ
29 दिसंबर 2006 : कोठी के पीछे और आगे नाले में बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले थे, मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली गिरफ्तार।
8 फरवरी 2007 : कोली और पंढेर को 14 दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा गया।
मई 2007 : सीबीआई ने पंढेर को अपनी चार्जशीट में अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोप मुक्त कर दिया था। दो महीने बाद कोर्ट की फटकार के बाद सीबीआई ने उसे फिर सह-अभियुक्त बनाया।
13 फरवरी 2009 : विशेष अदालत ने पंढेर और कोली को 15 साल की किशोरी के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई। यह पहला फैसला था।
3 सितंबर 2014 : कोली के खिलाफ कोर्ट ने मौत का वारंट भी जारी किया।
4 सितंबर 2014 : कोली को डासना जेल से मेरठ जेल फांसी के लिए ट्रांसफर किया गया।
12 सितंबर 2014 : सुरेंद्र कोली को फांसी दी जानी थी। वकीलों के समूह डेथ पेनल्टी लिटिगेशन ग्रुप्स ने कोली को मृत्युदंड दिए जाने पर पुनर्विचार याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजा।
12 सितंबर 2014 : सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा पर अक्तूबर 29 तक के लिए रोक लगाई।
28 अक्तूबर 2014 : सुरेंद्र कोली की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को खारिज किया। 2014 में राष्ट्रपति ने भी दया याचिका रद्द कर दी।
28 जनवरी 2015 : हत्या मामले में कोली की फांसी की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील किया।
16 अक्टूबर 2023 : कोली और पंढेर की फांसी रद्द कर बरी करने के आदेश दिए गए।
Written & Edited By : Navin Rngiyal