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  4. fire incident in Jhansi hospital brought back memories of Vivek Vihar fire incident
Last Modified: नई दिल्ली , शनिवार, 16 नवंबर 2024 (19:58 IST)

झांसी अस्पताल हादसे ने विवेक विहार अग्निकांड की ताजा कीं यादें

Jhansi hospital incident
Jhansi hospital incident : उत्तर प्रदेश के झांसी जिले में एक सरकारी अस्पताल में आग लगने की घटना से विवेक विहार घटना की भयावह यादें ताजा हो गईं, जहां 25 मई की रात 7 नवजात शिशुओं की झुलसने से मौत हो गई थी। अग्निकांड में जान गंवाने वाले शिशुओं और घटना में जीवित बच्चे बच्चों के माता-पिता का कहना है कि ऐसी घटनाएं तभी रुक सकती हैं जब प्रशासन संवेदनशीलता दिखाए और परिसर में सुरक्षा को प्राथमिकता दे।
 
नवजात शिशु अस्पताल में आग लगने से अपने जुड़वा बच्चों को गंवाने वाली गृहिणी सीमा ने कहा कि उक्त घटना अधिकारियों की उदासीनता के कारण हुई। सीमा ने कहा, मैं उस घटना को याद नहीं करना चाहती, जिसमें मैंने अपने दो बच्चों को खो दिया। यह सिर्फ एक व्यक्ति की गलती नहीं थी। यह पूरे प्रशासन की गलती थी और वहां (झांसी में) भी ऐसा ही हुआ होगा। उन्होंने कहा कि जब तक इस स्थिति को ठीक नहीं किया जाता, ऐसी घटनाएं होती रहेंगी।
पच्चीस मई की मध्य रात्रि को पूर्वी दिल्ली के विवेक विहार इलाके में स्थित निजी ‘बेबी केयर न्यू बोर्न हॉस्पिटल’ में आग लगने की घटना में सात नवजात शिशुओं की मौत हो गई थी और पांच बच्चे झुलस गए थे। इनमें से चार को उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।
 
पुलिस ने एक प्राथमिकी दर्ज करके अस्पताल के मालिक को गिरफ्तार कर लिया है, जो अभी भी सलाखों के पीछे है। जांच के दौरान यह पाया गया कि अस्पताल में बिस्तरों की संख्या बढ़ा दी गई थी और उसे अवैध रूप से संचालित किया जा रहा था।
पुलिस जांच के अनुसार, अस्पताल में आपातकालीन निकास द्वार नहीं थे। इसके अनुसार साथ ही, आग बुझाने के उपकरण काम नहीं कर रहे थे और फायर अलार्म और पानी के छिड़काव की व्यवस्था भी ठीक से काम नहीं कर रही थी। पुलिस को परिसर में बड़ी संख्या में छोटे और बड़े ऑक्सीजन सिलेंडर भी मिले, जो 'अवैध रीफिलिंग' की ओर इशारा करते हैं।
 
मधुराज का बच्चा आग में बच गया था। उन्होंने कहा कि झांसी की घटना की तस्वीरें देखकर उन्हें अपने साथ हुई घटना की यादें ताजा हो गईं। पेशे से पेंटर मधुराज ने कहा कि अवैध रूप से या बिना उचित दस्तावेज के संचालित अस्पतालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, मैं काम पर जा रहा था, तभी किसी ने मुझे बताया कि बेबी केयर अस्पताल में आग लग गई है। जब तक मैं वहां पहुंचा, अस्पताल की इमारत पूरी तरह जल चुकी थी। उन्होंने कहा, मेरा छह दिन का बेटा भी अस्पताल में भर्ती होने वालों में शामिल था। मैं पूरी तरह से व्याकुल था क्योंकि मुझे बताया गया कि कुछ बच्चों की मौत हो गई है जबकि कुछ को पास के अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया है। मुझे वहां से बचाए गए बच्चों को दिखाया गया और उनमें से एक मेरा बच्चा था।
 
उन्होंने कहा कि हो सकता है कि कई अस्पताल अवैध रूप से या नियमों का पालन किए बिना संचालित हो रहे हों और प्रशासन को उनके खिलाफ त्वरित कदम उठाने चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसी त्रासदी फिर न हो। दीपक गौतम का बेटा भी आग में बच गया था। उन्होंने कहा कि वह दिन उनके दिमाग में हमेशा के लिए अंकित हो गया है।
उन्होंने कहा, मेरे तीन दिन के बेटे को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। खबर सुनने के बाद हम अस्पताल पहुंचे और पाया कि सब कुछ जल गया था। कुछ सेकंड के लिए, हमें लगा कि हमने अपना बेटा खो दिया है लेकिन जल्द ही हमने सुना कि कुछ नवजात शिशुओं को पास के एक निजी नर्सरी में स्थानांतरित कर दिया गया है।
 
उन्होंने कहा, अपने बेटे को वहां देखकर मुझे राहत मिली। उन्होंने कहा, ये घटनाएं तब तक नहीं रुकेंगी जब तक हमारा प्रशासन संवेदनशील नहीं होता। उन्हें समय-समय पर अग्नि सुरक्षा उपकरणों की मरम्मत और नवीनीकरण करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि परिसर में कोई अवैध गतिविधि न हो।
झांसी के सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के बच्चों के वार्ड में शॉर्ट सर्किट के कारण लगी आग में कम से कम 10 बच्चों की मौत हो गई। आग में झुलसे सोलह शिशुओं का इलाज किया जा रहा है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour