बुधवार, 24 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Coronavirus scared the whole year
Written By वेबदुनिया न्यूज डेस्क

पूरे साल डराता रहा Corona, मुश्किलें और भी कम नहीं थीं...

पूरे साल डराता रहा Corona, मुश्किलें और भी कम नहीं थीं... - Coronavirus scared the whole year
कोरोनावायरस (Coronavirus) का डर यूं तो अभी भी खत्म नहीं हुआ है, लेकिन 2021 में कोरोना संक्रमण के चलते जो दृश्य दिखाई दिए उन्होंने पूरी मानवता को हिलाकर रख दिया। चाहे श्मशानों में चिताओं से उठती लपटें हों या फिर अपनों के जीवन की आस में ऑक्सीजन सिलेंडरों के लिए इधर-उधर भटकते असहाय लोग, इन दृश्यों की कल्पना कर आज भी लोग सिहर उठते हैं। और भी कई ऐसी मुश्किलें थीं जो सालभर लोगों को डराती रहीं। 
 
दरअसल, वेबदुनिया सर्वेक्षण में पूछा गया था कि वर्ष 2021 में आपका सबसे बड़ा डर क्या था? इसके जवाब में सर्वाधिक 33.87 फीसदी ने बताया कि इस साल सबसे बड़ा डर कोरोना महामारी ही रहा है। वहीं 15 फीसदी लोगों ने रोजगार एवं व्यवसाय में आई मुश्किलों को भी बड़ा डर माना। इसके अलावा आर्थिक समस्या, लॉकडाउन का डर, अस्पताल का खर्च ऐसे विषय थे, जिनको लेकर लोगों में डर का भाव बना रहा। 
 
कोरोना ने सिखाया फिट रहना है : एक अन्य सवाल कि कोरोना महामारी का आपके जीवन पर क्या असर पड़ा? इसके जवाब में 23 फीसदी से ज्यादा लोगों ने माना कि कोरोना के डर उन्हें फिनेस के प्रति सावधान किया। 14 फीसदी लोगों ने यह भी कहा कि उन्हें रोजगार और व्यवसाय में नुकसान झेलना पड़ा। उन्हें अपनी और अपनों की सेहत की चिंता हमेशा सताती रही। 11 फीसदी से ज्यादा लोगों ने माना कि इस माहौल में उनका धर्म और अधत्यात्मक की तरफ रुझान बढ़ा, वहीं 8 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने माना कि उन्होंने सकारात्मक बने रहने के लिए नए-नए तरीके खोजे।
 
देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर चिंता : इस सर्वेक्षण लोगों की एक चिंता सबसे ज्यादा उभरकर कर सामने आई। जब लोगों से पूछा गया कि देश की स्वास्थ्य सेवाओं में किस तरह के सुधार की जरूरत महसूस करते हैं? इस सवाल के जवाब में 34 फीसदी से ज्यादा लोगों ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाएं आम आदमी की पहुंच में हो होनी चाहिए।

आपको बता दें कोरोना की दूसरी लहर में बहुत से लोगों ने इलाज और ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ दिया था। करीब 29 फीसदी लोगों ने माना कि अस्पतालों इलाज सस्ता होना चाहिए, जबकि 10 प्रतिशत से ज्यादा लोगों ने माना कि मेडिकल इंश्योरेंस की सुविधा सबके लिए होनी चाहिए। 
 
बदलाव जो रास आए : कोरोना काल में सामाजिक स्तर पर कई बदलाव भी देखने को मिले। जब बड़े सामाजिक बदलावों की बात आई तो 23 फीसदी से ज्यादा लोगों ने माना कि शादियों में फिजूलखर्जी कम हुई, वहीं 22 फीसदी ने माना कि लोग सेहत के प्रति पहले से ज्यादा जागरूक हुए। 13 फीसदी से ज्यादा लोगों ने यह भी माना कि इस दौर में निस्वार्थ रूप से समाजसेवा के लिए लोग सामने आए। इसके साथ ही लोगों ने माना कि इस दौरान डिजिटल ट्रांजेक्शन, मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग बढ़ने के साथ ही लोग स्वच्छता को लेकर भी सजग हुए। 
 
रिश्तों मे आई मजबूती : ऐसा नहीं है कि कोरोना काल में सब नकारात्मक ही हुआ, कुछ ऐसी चीजें भी रहीं जो सकारात्मक भी रहीं। 37 फीसदी से ज्यादा लोगों ने माना कि इस दौरान उन्होंने परिवार के साथ ज्यादा वक्त बिताया। इसके चलते उनके रिश्तों में मजबूती आई।

एक बड़े वर्ग ने यह भी माना कि परिवार में सहभागिता भी बढ़ी। वहीं 15 प्रतिशत से ज्यादा लोगों का यह भी मानना था कि कामकाजी महिलाओं पर काम का बोझ ज्यादा बढ़ गया। इस दौरान उन्हें दफ्तर के साथ घर को भी ज्यादा समय देना पड़ा। करीब 13 फीसदी ऐसे लोग भी थे, जिन्होंने माना कि ज्यादा समय तक साथ में रहने से परिवार में कलह बढ़ गई। 
 
ये भी पढ़ें
384 लोगों को वीरता पुरस्कार, ओलंपियन नीरज चोपड़ा को PVSM