चमोली में आज 12 शव बरामद, उत्तराखंड हादसे में अब तक 50 की मौत
देहरादून/तपोवन। उत्तराखंड के चमोली जिले के आपदाग्रस्त क्षेत्रों में चलाए जा रहे बचाव अभियान के आठवें दिन रविवार को 12 शव मिलने से आपदा से मरने वालों की संख्या 50 हो गई है।
सात फरवरी को चमोली की ऋषिगंगा घाटी में आई बाढ़ के बाद अब तक 50 शव बरामद हो चुके हैं जबकि 154 अन्य अभी भी लापता हैं। इन लापता लोगों में तपोवन सुरंग में फंसे लोग भी शामिल हैं।
520 मेगावाट की एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड सुरंग से आज कई मिले हैं। यहां फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए पिछले एक सप्ताह से सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा प्रतिवादन बल और भारत तिब्बत सीमा पुलिस का संयुक्त बचाव अभियान युद्धस्तर पर चल रहा है।
चमोली की जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि मौके पर एक हैलीकॉप्टर भी तैयार है जिससे अगर सुरंग से कोई व्यक्ति जीवित अवस्था में मिले तो उसे तत्काल मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई जा सके।
इसके अलावा, राज्य आपदा प्रतिवादन बल के सूत्रों से मिली सूचना के अनुसार, रैंणी गांव से भी रविवार को एक शव बरामद हुआ जिसकी पहचान अभी नहीं हुई है।
बाढ़ के कारण 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना पूरी तरह तबाह हो गई जबकि तपोवन विष्णुगाड को भारी क्षति पहुंची थी।
कहां से मिले कितने शव : दोपहर 2 बजे तक सुरंग से 5 और रैणी गांव से 6 शव मिले हैं। वहीं, एक शव (मानव अंग) रुद्रप्रयाग से मिला है। अब कुल शवों की संख्या 50 हो गई है। डीजीपी अशोक कुमार के अनुसार सुरंग में रेस्क्यू कार्य जारी है। आज 12 शव बरामद हो चुके हैं। इसमें 6 रैणी गांव में 5 शव टनल के अंदर और 1 रुद्रप्रयाग में मिला है। टनल के अंदर जिंदगी की आस लगातार टूट रही है।
झील बनने के संभावित खतरे पर भी नजर : दूूसरी तरफ झील बनने से संभावित खतरे पर नजर रखने को पैंग, तपोवन व रैणी में एसडीआरएफ की एक-एक टीम तैनात की गई है। दूरबीन, सैटेलाइट फोन व पीए सिस्टम से लैस एसडीआरएफ की टीमें किसी भी आपातकालीन स्थिति में आसपास के गांव के साथ जोशीमठ तक के क्षेत्र को सतर्क कर देंगी।
अलर्ट सिस्टम से ऐसी स्थिति में नदी के आस पास के इलाकों को 5 से 7 मिनट में तुरंत खाली कराया जा सकता है। एसडीआरफ के दलों ने रैणी गांव से ऊपर के गांव के प्रधानों से भी समन्वय स्थापित किया है। जल्द ही 2-3 दिनों में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में अर्ली वार्निंग सिस्टम लगा दिया जाएगा, जिससे पानी का स्तर डेंजर लेवल पर पहुंचने पर आम जनमानस को साइरन के बजने से खतरे की सूचना मिल जाएगी। इस बारे में एसडीआरफ की ये टीमें ग्रामीणों को जागरूक भी कर रही हैं।