जम्मू कश्मीर में फिर शुरू हुआ नेताओं को नजरबंद करने का 'खेल', महबूबा, फारूक, उमर ने लगाया आरोप
जम्मू। वर्ष 2019 के अगस्त महीने की 5 तारीख को जम्मू कश्मीर के 2 टुकड़े करने की कवायद के बाद एक बार फिर प्रदेश में राजनीतिज्ञों को नजरबंद करने का 'खेल' आरंभ हो गया है। कल ही पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया था कि उन्हें उनके घर में नजरबंद किया गया है और आज एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ऐसे आरोप लगाए हैं। उनका कहना था कि सुरक्षाकर्मी उन्हें तथा वर्तमान सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला को घर से बाहर नहीं निकलने दे रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सरकार पर उन्हें व उनके परिजनों को घर में नजरबंद करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अगस्त 2019 के बाद यह नया जम्मू कश्मीर है। हम बिना किसी स्पष्टीकरण के अपने घरों में बंद हो जाते हैं। यह काफी बुरा है कि उन्होंने मेरे पिता, जो कि सांसद हैं और मुझे हमारे घर में बंद कर दिया है। उन्होंने मेरी बहन और उनके बच्चों को भी घर में बंद कर दिया है। इसके प्रति सूचनाएं उन्होंने ट्विटर पर फोटो समेत शेयर की हैं।
इसके बाद उमर ने तंज कसते हुए कहा कि चलो, आपके लोकतंत्र के नए मॉडल का अर्थ है कि हम अपने घरों में बिना किसी स्पष्टीकरण के कैद कर दिए जाते हैं। लेकिन वो कर्मचारी जो घर में काम करते हैं, उन्हें अंदर आने की अनुमति नहीं दी जा रही है। बावजूद इसके आप आश्चर्यचकित हैं कि मैं अभी भी नाराज हूं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, फारूक अब्दुल्ला गांदरबल और उमर अब्दुल्ला गुलमर्ग जा रहे थे।
हालांकि उमर के आरोपों पर श्रीनगर पुलिस ने कहा है कि आज लेथपोरा आतंकी हमले की घटना की दूसरी वर्षगांठ है। प्रतिकूल सूचनाओं के कारण सभी वीआईपी व अन्य को अग्रिम सूचना दी गई थी कि वे आज दौरे की योजना न बनाएं।
इससे पहले कल जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने दावा किया था कि पिछले वर्ष दिसंबर में यहां के पारिमपोरा इलाके में मुठभेड़ में मारे गए तीन आतंकियों में से एक अतहर मुश्ताक के परिजन से मिलने जाने से पहले उन्हें नजरबंद कर दिया गया है।
एक तस्वीर को साझा करते हुए महबूबा ने कहा था कि कश्मीर में दमन का शासन है, जिसे भारत सरकार देश के बाकी हिस्सों से छिपाना चाहती है। एक 16 साल का युवक मारा जाता है और परिवार को अंतिम संस्कार करने का अधिकार और मौका देने से इनकार कर दिया जाता है।