• Webdunia Deals
  1. चुनाव 2024
  2. लोकसभा चुनाव 2024
  3. लोकसभा चुनाव: स्पेशल स्टोरीज
  4. PM Modi litmus test in Gujarat, tough challenge is facing on these seats

Lok Sabha Election 2024: गुजरात में मोदी की अग्निपरीक्षा, इन सीटों पर कड़ी चुनौती

Lok Sabha Election 2024: गुजरात में मोदी की अग्निपरीक्षा, इन सीटों पर कड़ी चुनौती - PM Modi litmus test in Gujarat, tough challenge is facing on these seats
Gujarat Lok Sabha Elections 2024: गुजरात में पिछली बार सभी 26 लोकसभा सीटें जीतने वाली भाजपा के लिए इस बार कुछ सीटों पर कड़ी चुनौती मिल रही है। सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को क्षत्रिय समाज के विरोध के कारण देखने को मिल रहा है। पुरुषोत्तम रूपाला की आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद भाजपा नेतृत्व से क्षत्रिय समाज ने राजकोट सीट पर टिकट बदलने की मांग की थी, लेकिन भाजपा द्वारा अनसुनी किए जाने से नाराज क्षत्रिय समाज भाजपा के विरोध में खुलकर आ गया। गुजरात के वित्तमंत्री कनुभाई देसाई के बयान से कोली पटेल समुदाय नाराज है। इस बार आधा दर्जन से ज्यादा सीटें ऐसी हैं, जहां भाजपा को कड़ी चुनौती मिल रही है। आइए जानते हैं, वे सीटें जहां कांग्रेस और उसकी सहयोगी आप मुकाबले में दिखाई दे रहे हैं.... 
 
राजकोट : क्षत्रियों के खिलाफ परषोत्तम रूपाला की टिप्पणी के बाद राजकोट सीट पर मुकाबला कांटे का हो गया है। क्षत्रिय समाज जहां रूपाला और भाजपा के खिलाफ हो गया है, वहीं पाटीदार समाज के वोट 2 हिस्सों में बंटते दिखाई दे रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी रूपाला कड़वा पाटीदार हैं, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार परेश धनानी लेउवा पाटीदार हैं। हालांकि क्षत्रिय समाज की नाराजगी सिर्फ राजकोट सीट पर ही नहीं पूरे गुजरात में देखने को मिल रही है। ALSO READ: गुजरात में क्षत्रिय समाज की नाराजगी बढ़ाएगी भाजपा की मुश्किल
 
सुरेंद्रनगर : सुरेन्द्रनगर लोकसभा सीट पर मुकाबला कोली बनाम कोली हो गया है। कोली समाज यहां दो हिस्सों में बंटा हुआ है। एक तलपड़ा कोली और दूसरा चुमवालिया कोली। भाजपा ने चुमवालिया कोली चंदूभाई शिहोर को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने ऋ‍ित्विक मकवाणा को मैदान में उतारा। मतदाताओं की संख्‍या के मामले में इस सीट पर तलपड़ा समुदाय की संख्‍या ज्यादा है। यहां 4.5 लाख कोलियों में से तलपड़ा कोली समुदाय की संख्या करीब 3 लाख है। यदि जातिगत आधार पर वोट पड़ते हैं तो यहां कांग्रेस का पलड़ा भारी हो सकता है। विरोध के चलते क्षत्रिय समाज का साथ भी कांग्रेस को मिल सकता है। क्षत्रिय समाज का रुख काफी हद तक परिणाम को प्रभावित करेगा। पिछले चुनाव में भाजपा के डॉ. महेन्द्र मुंजापारा ने कांग्रेस सोमाभाई गंडा कोली पटेल को 2 लाख 77 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। हालांकि इस बार दोनों ही उम्मीदवार नहीं है। ALSO READ: मायावती के राजनीतिक उत्तराधिकारी आकाश आनंद की पहली चुनावी रैली, बोले नहीं चाहिए गुजरात मॉडल
 
साबरकांठा : कांग्रेस ने साबरकांठा सीट से गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री अमर सिंह चौधरी के बेटे डॉ. तुषार चौधरी को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने यहां से पहले भीखाजी ठाकोर के नाम की घोषणा की थी, लेकिन ठाकोर द्वारा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला करने के बाद भाजपा ने यहां से कम अनुभवी शिक्षिका शोभना बरैया को उम्मीदवार बनाया। शोभना की उम्मीदवारी का भाजपा में ही विरोध देखने को मिल रही है। इसके अलावा इस सीट पर इडर-वडाली सबसे अहम निर्वाचन क्षेत्र है, जहां भाजपा विधायक रमनलाल वोरा का जमकर विरोध हो रहा है। इसका असर लोकसभा चुनाव में दिख सकता है। इस लोकसभा सीट पर 20 फीसदी ठाकोर वोटर हैं। क्षत्रिय समुदाय का भाजपा विरोध इस सीट पर भी देखने को मिल सकता है। ALSO READ: डिम्पल यादव बोलीं, BJP अगर लोकसभा चुनाव जीती तो भारत 15 साल पीछे चला जाएगा
 
बनासकांठा : कांग्रेस ने इस सीट पर गनीबेन ठाकोर को उतारा है, वहीं भाजपा ने रेखाबेन चौधरी को को को टिकट दिया है। इस सीट से पिछले तीन ‍चुनावों में भाजपा जीतती आ रही है। रेखाबेन गनीबेन जितनी अनुभवी नहीं हैं। जिसका असर वोटिंग पर भी देखने को मिल सकता है। इस सीट पर करीब 19 लाख ठाकोर और चौधरी मतदाता हैं। हर बार यही समाज तय करता है कि चुनावी पलड़ा किधर झुकेगा। कांग्रेस को प्रियंका गांधी की सभा और क्षत्रिय आंदोलन का फायदा मिल सकता है। परिणाम कुछ भी हो सकता है, लेकिन फिलहाल इस सीट पर गनीबेन की स्थिति मजबूत दिख रही है।
 
आणंद : भाजपा ने आणंद सीट पर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अमित चावड़ा के खिलाफ मितेश पटेल को मैदान में उतारा है। प्रधानमंत्री मोदी ने यहां दबदबा बनाने के लिए पटेल के समर्थन जनसभा की, लेकिन क्षत्रिय आंदोलन का प्रभाव ग्रामीण इलाकों में में ज्यादा देखने को मिल रहा है। भाजपा को यहां कड़ी चुनौती मिल रही है। कांग्रेस का नेटवर्क इस सीट पर मजबूत बताया जा रहा है। दूसरी ओर, मितेश पटेल के कुछ वीडियो वायरल होने के बाद यहां भाजपा के खिलाफ नाराजगी देखने को मिल रही है। ALSO READ: साक्षी मलिक फिर हुई गुस्सा, क्यों दिया बृजभूषण के बेटे को भाजपा ने लोकसभा कैसरगंज सीट से टिकट ?
 
पाटन : पाटन लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार भरत सिंह ठाकोर और कांग्रेस उम्मीदवार चंदन सिंह ठाकोर के बीच सीधा मुकाबला है। कांग्रेस के चंदन ठाकोर का समाज में दबदबा है। इस संसदीय क्षेत्र के सिद्धपुर, चाणस्मा और खेरालु भाजपा के गढ़ हैं, जबकि राधनपुर और पाटन चुनौतियां हैं। वडगाम में क्षत्रिय, अल्पसंख्यक और दलित समुदाय का वर्चस्व है। ‍क्षत्रिय समाज लगातार भाजपा का विरोध कर रहा है। दलित और अल्पसंख्यक मत किधर जाएंगे, इसका भी चुनाव परिणाम पर असर देखने को मिलेगा। 
 
जामनगर : शुरुआती दौर में जामनगर सीट पर भाजपा उम्मीदवार पूनमबेन माडम काफी मजबूत उम्मीदवार मानी जा रही थीं, लेकिन क्षत्रिय समाज के खिलाफ रूपाला के बयान का प्रभाव इस सीट पर देखा जा रहा है। कांग्रेस ने वकील जेपी मराविया को मैदान में उतारा है। क्षत्रिय समाज के विरोध के चलते पूनमबेन को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पूनमबेन की रैलियों में क्षत्रिय समाज के लोगों द्वारा हंगामा किया जा रहा है। इस सीट पर जातीय समीकरण देखें तो पाटीदार 2.47 लाख, मुस्लिम 2.36 लाख, अहीर 1.74 लाख, दलित 1.62 लाख, क्षत्रिय 1.35 लाख और सतवाड़ा समाज 1.21 लाख मतदाता हैं।
 
भरूच : भाजपा ने भरूच सीट पर अपने वर्तमान सांसद मनसुख वसावा पर एक बार फिर से भरोसा किया है, जबकि गठबंधन के तहत इस सीट पर आम आदमी पार्टी के चैतर वसावा मैदान में हैं। क्षेत्र में मनसुख वसावा की जुझारू छवि है। साथ ही भरूच और अंकलेश्वर के शहरी मतदाताओं के बीच अभी भी भाजपा का अच्छा प्रभाव है। लेकिन इस बार कांग्रेस और आप के संयुक्त उम्मीदवार युवा चैतर वसावा मनसुख को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। आप आदिवासी और मुस्लिम वोटों के मेल से यह सीट जीतने की उम्मीद कर रही है। 36 साल के चैतर आदिवासी समुदाय के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो चैतर की जीत मुस्लिम वोटों और कांग्रेस नेताओं के समर्थन पर टिकी है। भाजपा की जीत इस बात पर भी निर्भर करेगी कि वह किस हद तक तक आदिवासी वोटरों को चैतर के पक्ष में जाने से रोक पाती है। 
 
वलसाड : दक्षिण गुजरात की वलसाड लोकसभा सीट को लेकर ऐसी मान्यता है कि जो पार्टी यहां से चुनाव जीतती है, वही केंद्र में सरकार बनाती है। यहां से कांग्रेस ने वांसदा से विधायक और आदिवासी नेता अनंत पटेल को टिकट दिया है। जबकि भाजपा ने यहां से नए चेहरे धवल पटेल को टिकट दिया है। कांग्रेस उम्मीदवार अनंत पटेल को एक तेजतर्रार आदिवासी नेता के रूप में जाना जाता है। विश्लेषकों का मानना ​​है कि इससे कांग्रेस को फायदा होगा। लंबे समय तक कांग्रेस प्रत्याशी अनंत पटेल ने आदिवासी समाज के मुद्दों- पार-तापी परियोजना, सागरमाला परियोजना जैसी कई लड़ाइयों का नेतृत्व किया है। यहां भाजपा प्रत्याशी को संगठन की ताकत और नरेंद्र मोदी के नाम पर निर्भर रहना पड़ेगा। 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala
ये भी पढ़ें
Baramati Lok Sabha Seat : बारामती लोकसभा सीट