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Last Modified: सोमवार, 6 मई 2024 (13:51 IST)

लोकसभा चुनाव में निर्मला सप्रे समेत 3 कांग्रेस विधायकों ने छोड़ी पार्टी, PCC चीफ जीतू पटवारी के नेतृत्व पर उठे सवाल?

लोकसभा चुनाव में निर्मला सप्रे समेत 3 कांग्रेस विधायकों ने छोड़ी पार्टी, PCC चीफ जीतू पटवारी के नेतृत्व पर उठे सवाल? - Jitu Patwari chances in the Lok Sabha elections due to 3 Congress MLAs including Nirmala Sapre leaving the party
भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस विधायकों का पार्टी छोड़ने का सिलसिला थमने का नाम नहीं रहा है। सागर की बीना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे ने अब भाजपा का दामन थाम लिया है। लोकसभा चुनाव के दौरान निर्मला सप्रे तीसरी विधायक है जो कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुई है। इससे पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता और मुरैना के विजयपुर से कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत और छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह भाजपा में शामिल हो चुके है।

पटवारी के बयान से नाराज होकर छोड़ी पार्टी- सागर की बीना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे ने पिछले दिनों कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के इमरती देवी को लेकर दिए आपत्तिजनक बयान से नाराज होकर कांग्रेस छोड़ी है। भाजपा में शामिल होने के बाद निर्मला सप्रे ने कहा कि मध्‍य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने महिलाओं के सम्मान में कुछ गलत बात कही थी। मैं भी आरक्षित वर्ग से महिला विधायक हूं और उसे बात से मुझे बहुत ठेस लगी इसलिए मैंने भाजपा को चुना यहां महिलाओं का सम्मान है।

बीना विधायक ने सागर के राहतगढ़ में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की सभा में भाजपा में शसामिल हुए। गौरतलब है कि सागर जिले की कुल आठ विधानसभा सीटों में से बीना एकमात्र विधानसभा सीट थी जो कांग्रेस जीती थी। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में निर्मला सप्रे ने भाजपा के महेश राय को हराया था। महेश राय लगातर दो बार बीना से विधायक चुने गए थे।
 

जीतू पटवारी के नेतृत्व पर सवाल- लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस विधायकों के लगातार पार्टी छोड़ने से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के नेतृत्व पर अब गंभीर सवालिया निशान लग गए है। बीना विधायक निर्मला सप्रे ने पार्टी छोड़ने के लिए जिस तरह से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के बयान को वजह बताई है उससे अब वह सीधे-सीधे निशाने पर आ गए है।

ऐसा नहीं कि कांग्रेस विधायकों का मन अचानक बदल रहा है। बीना विधायक निर्मला सप्रे पिछले एक पखवाड़े से भाजपा के संपर्क में थी। भोपाल में उनकी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश सरकार में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत से मुलाकात भी हो चुकी थी। वहीं इससे पगले कांग्रेस के 6 बार के विधायक रामनिवास रावत भी भाजपा में अचानक शामिल नहीं हुए थे। पिछले काफी लंबे समय से उनके भाजपा में शामिल होने की खबरें थी। रामनिवास रावत को पहले मुरैना में हुई पीएम मोदी की रैली में भाजपा में शामिल होना था लेकिन भाजपा ने रामनिवास रावत को उस दिन पार्टी में शामिल कराया जब मुरैना से सीट भिंड लोकसभा सीट पर राहुल गांधी चुनावी रैली कर रहे थे।

ऐसे में सवाल उठता है कि कांग्रेस आखिर क्यों अपने विधायकों को मना पा रही है। पार्टी का प्रदेश नेतृत्व आखिरी क्यों समय सहते डैमेज कंट्रोल कर पा रहा है। सीटिंग विधायकों के पार्टी छोड़ने से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मनोबल पर सीधा असर पड़ रहा है। कांग्रेस छोडने वाले नेताओं का बड़ा जनाधार है ऐसे में वह सीधे-सीधे लोकसभा चुनाव को भी प्रभावित कर रहे है। ऐसे में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी की कमान संभालने वाले जीतू पटवारी के नेतृत्व पर भी सवाल उठ रहे है। विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से कांग्रेस ने नेतृत्व परिवर्तन हुआ और जीतू पटवारी को पार्टी की कमान सौंपी गई, उससे कहीं न कहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं मे नाराजगी है। प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालने वाले जीतू पटवारी अब तक अपनी कार्यकारिणी का गठन नहीं कर पाए है, जो उनकी नेतृत्व क्षमता पर बड़ा सवाल उठाती है। जीतू पटवारी की संगठनात्मक क्षमता के साथ उनका जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं से सीधा कनेक्ट नहीं होना भी पार्टी में भगदड़ का बड़ा कारण है।
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