Baramati Lok Sabha Seat : बारामती लोकसभा सीट
Baramati Lok Sabha Seat: महाराष्ट्र की बारामती लोकसभा सीट पर दिग्गज मराठा नेता शरद पवार का अनुभव भारी पड़ा। राकांपा (शरद चंद्र पवार) गुट सुप्रिया सुले ने अपनी ही भाभी और एनसीपी के मुखिया अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा को 1 लाख 58 हजार 333 वोटों से हरा दिया। इस सीट पर परिवार के साथ वोटर भी बंटा हुआ नजर आया, लेकिन बाजी अन्तत: चाचा शरद के पक्ष में रही। भतीजे अजित को मुंह की खानी पड़ी।
भतीजे के निशाने पर चाचा : किसी समय शरद पवार के साथ परछाई की तरह रहने वाले अजित पवार इस चुनाव में चाचा के सामने प्रतिद्वंद्वी के रूप में नजर आए। अजित ने जुबानी हमले भी किए। उन्होंने कहा- अगर मैं सीनियर (शरद पवार) के घर में पैदा होता तो स्वाभाविक रूप से एनसीपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाता और पूरी पार्टी मेरे नियंत्रण में होती।
सबसे लंबे समय तक सांसद रहे शरद पवार : बारामती सीट का इतिहास पर नजर डालें तो इस सीट पर केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा का कभी भी सांसद नहीं बना। 1952 में पहली बार यहां से कांग्रेस उम्मीदवार केशवराव जेधे ने चुनाव जीता था। इस सीट पर सर्वाधिक 13 बार (उपचुनाव सहित) कांग्रेस ने जीत हासिल की, जबकि आपातकाल के बाद हुए चुनाव में यहां से जनता पार्टी के संभाजीराव काकड़े सांसद बने।
व्यक्तिगत रूप से देखें तो इस सीट पर सबसे ज्यादा समय तक सांसद रहने का रिकॉर्ड शरद पवार के नाम पर ही हैं। वे 1984 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने। इसके बाद वे 1991 में यहां से सांसद ने। इसके बाद से 2009 तक शरद पवार इस सीट से लगातार सांसद रहे। 1998 तक वे कांग्रेस के टिकट पर सांसद रहे, जबकि 1999 से 2009 तक वे एनसीपी के टिकट पर सांसद रहे। अजित पवार भी एक बार 1991 में लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। 2009, 2014 और 2019 में इस सीट से पर शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले सांसद चुनी गईं।
बारामती संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली 6 विधानसभाओं- दौंड, इंदापुर, बारामती, पुरंदर, भोर और खड़गवासला में से 2 पर भाजपा, 2 पर कांग्रेस और 2 पर एनसीपी का कब्जा है। हालांकि अजित पवार के पक्ष में एक बार यह है कि दौंड और खडकवासला सीट पर भाजपा का कब्जा है, जबकि इंदापुर और बारामती से विधानसभा चुनाव जीतने वाले एनसीपी विधायक अजित पवार के खेमे में हैं।
सुप्रिया ने 2019 से भी बड़ी जीत दर्ज की : 2024 के लोकसभा चुनाव में पवार बनाम पवार की इस लड़ाई में परिवार ही बंटा हुआ नजर आया। कुछ लोग अजित के साथ तो कुछ शरद पवार के साथ थे। अजित के भाई और भतीजे शरद पवार के समर्थन में खड़े नजर आए। मतदाताओं के बीच भी स्थिति कुछ इसी तरह की रही। मायावती की पार्टी बसपा ने भी प्रियदर्शिनी कोकरे को उम्मीदवार बनाकर त्रिकोणीय मुकाबला बनाने की कोशिश की, लेकिन कोकरे कुछ कर नहीं पाईं। इस सीट पर 23 लाख के लगभग मतदाता हैं। सुप्रिया ने 2019 का लोकसभा चुनाव 1 लाख 55 हजार से ज्यादा वोटों से जीता था, जबकि 2024 के चुनाव में उन्होंने अपनी जीत के आंकड़े में सुधार ही किया।