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Last Updated : मंगलवार, 27 फ़रवरी 2024 (19:42 IST)

I.N.D.I.A गठबंधन की वापसी को लेकर क्या बोले दीपांकर भट्टाचार्य?

हमारा गठबंधन पूरी तरह से एकजुट होकर काम कर रहा

I.N.D.I.A गठबंधन की वापसी को लेकर क्या बोले दीपांकर भट्टाचार्य? - What did Dipankar Bhattacharya say about the withdrawal of India alliance?
Dipankar Bhattacharya : भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (एमएल) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य (Dipankar Bhattacharya) ने नई दिल्ली में भरोसा जताया है कि काफी समय बर्बाद होने के बावजूद 'इंडिया' गठबंधन ('India' alliance) वापसी कर रहा है और विभिन्न राज्यों में विपक्षी दलों के बीच सीट-बंटवारे के लिए समझौतों को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
 
पीटीआई के साथ एक वीडियो साक्षात्कार में भाकपा (माले) नेता भट्टाचार्य ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को लेकर भी चिंता जताई और 100 प्रतिशत 'वीवीपैट' की गिनती की मांग की। ईवीएम मुद्दे को लेकर कई विपक्षी दलों ने चिंता जताई है। 'इंडिया' गठबंधन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि समूह वापसी कर रहा है।

 
'इंडिया' गठबंधन को कई झटके : 'इंडिया' गठबंधन को हाल में कई झटके लगे हैं। पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) गठबंधन से बाहर हो गई। उसके बाद पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के साथ सीट-बंटवारे की बातचीत में बाधा आई।
 
गठबंधन पूरी तरह से एकजुट होकर काम कर रहा : भट्टाचार्य ने 'पीटीआई वीडियो' से कहा कि पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम, उत्तरप्रदेश, दिल्ली में सीट-बंटवारे पर सहमति। मुझे लगता है कि गठबंधन पूरी तरह से एकजुट होकर काम कर रहा है। जमीनी स्तर पर चीजें काफी संकुचित हैं, नाराजगी बढ़ रही है, खासकर किसानों के साथ जिस प्रकार से व्यवहार किया जा रहा है, शुभकरण सिंह की शहादत। मुझे लगता है कि यह सिर्फ नाराजगी को बढ़ा रहा है।

 
नीतीश कुमार का बाहर जाना एक झटका : उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार का बाहर जाना एक झटका प्रतीत हो सकता है, लेकिन गठबंधन वापसी कर रहा है। 'इंडिया' गठबंधन वापसी कर रहा है, नीतीश कुमार का बाहर जाना मनोवैज्ञानिक रूप से कुछ हद तक परेशान करने वाला था, ऐसी धारणा थी। इसके साथ ही मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की हार शायद इसलिए हुई, क्योंकि 'इंडिया' कारक ठीक से परिलक्षित नहीं हुआ। अगर परिलक्षित होता तो परिणाम भिन्न होते। मुझे यकीन है कि आने वाले दिनों में यह और प्रभावी होगा।
 
भाकपा (माले) नेता ने कहा कि भले ही काफी समय बर्बाद हो गया हो, लेकिन समझौतों को अंतिम रूप दिया जा रहा है जिसका मकसद अधिकतम सीट-बंटवारा है। मुझे यकीन है कि भले ही हमने बहुत समय बर्बाद कर दिया हो, लेकिन इन सबके बावजूद गठबंधन कायम है और एकजुट होकर काम करने में सक्षम है इसलिए इससे लोगों की उम्मीदें बंधती हैं। और वैसे भी हमें शुरू से पता था कि विविधतापूर्ण राजनीतिक स्थिति को देखते हुए 100 प्रतिशत सीटों का तालमेल संभव नहीं होगा। हमारा लक्ष्य अधिकतम सीट-बंटवारे का है और हम उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

 
विपक्षी दल ईवीएम का विरोध कर रहे : भट्टाचार्य ने कहा कि 3 मार्च को पटना में विपक्षी गठबंधन की रैली से पहले बिहार में सीट बंटवारे को अंतिम रूप दिए जाने की पूरी संभावना है। विपक्षी दल ईवीएम का विरोध कर रहे हैं और आगामी चुनाव में 100 प्रतिशत 'वीवीपैट' गिनती की मांग कर रहे हैं। इस संबंध में भाकपा (माले) नेता ने उम्मीद जताई कि उनकी चिंताओं पर गौर किया जाएगा।
 
उन्होंने कहा कि एक मूल मांग है कि हम फिर से मतपत्रों को अपनाएं। ये मशीनें हैं, इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता, खासकर तब, जब आप मशीन का संचालन करने वाले लोगों पर भरोसा नहीं कर सकते। जब निर्वाचन आयोग में पहले जैसी तटस्थता नहीं रह गई हो। हमने चंडीगढ़ में देखा कि क्या हुआ? अगर भाजपा महापौर चुनाव में सिर्फ 36 वोटों के लिए ऐसा कर सकती है तो कल्पना करें कि जब 543 सीटों के लिए मतदान हो रहा हो तो चुनाव मशीनरी क्या कर सकती है?

 
भट्टाचार्य ने कहा कि मुझे लगता है कि लोगों की आशंका बिलकुल जायज है। हम एक वैकल्पिक फॉर्मूला लेकर आए हैं - 100 प्रतिशत वीवीपैट की गिनती। अगर उन पर्चियों की गिनती की जाती है तो यह कुछ हद तक मकसद को पूरा कर सकता है।
 
सरकार स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए तैयार नहीं : मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए नए कानून का जिक्र करते हुए भट्टाचार्य ने कहा कि यह कानून उच्चतम न्यायालय के एक फैसले को पलटने के लिए लाया गया था जिससे साफ होता है कि सरकार स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए तैयार नहीं है।
 
चुनावी बॉण्ड रद्द करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले के संबंध में भट्टाचार्य ने कहा कि फैसला भले ही कुछ देर से आया, लेकिन यह बहुत महत्वपूर्ण है। अन्य बात यह है कि भाजपा ने चुनावी बॉण्ड के जरिए जो पैसा जमा किया, वह पैसा उनके ही पास है। यह गलत तरीके से अर्जित पैसा है। उच्चतम न्यायालय ने जो कुछ नहीं कहा, वह अब लोगों की अदालत में है। यदि यह योजना असंवैधानिक थी तो इस असंवैधानिक योजना को जान-बूझकर लागू करने वाली सरकार को दंडित किया जाना चाहिए। इसके लिए लोगों को इस सरकार के खिलाफ वोट देकर उसे सत्ता से हटाना होगा।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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