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Last Modified: बुधवार, 6 नवंबर 2024 (18:49 IST)

डोनाल्ड ट्रंप के US राष्ट्रपति बनने से दुनिया में गहराएगा जलवायु संकट

डोनाल्ड ट्रंप के US राष्ट्रपति बनने से दुनिया में गहराएगा जलवायु संकट - Donald Trump becoming president will deepen climate crisis in world
Donald Trump threat to climate justice: अंतरराष्ट्रीय नीति विशेषज्ञों ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप का अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचन वैश्विक जलवायु न्याय के लिए एक गहरा झटका है तथा अंतरराष्ट्रीय समझौतों के प्रति उनकी उपेक्षा और जलवायु वित्त प्रदान करने से इनकार करने से संकट और गहरा होगा।  
 
दिल्ली स्थित विचारक संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा कि ट्रंप का अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में चुनाव वैश्विक जलवायु प्रयासों के लिए एक 'बड़ा झटका' होगा, खासकर यदि वह मुद्रास्फीति न्यूनीकरण अधिनियम (IRA) जैसी महत्वपूर्ण घरेलू नीतियों को वापस ले लेते हैं। ALSO READ: कितनी गहरी है डोनाल्ड ट्रंप से पीएम मोदी की दोस्ती, अमेरिकी राष्ट्रपति को किस तरह दी बधाई?
 
और खराब होगी स्थिति : उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका ऐतिहासिक रूप से वैश्विक जलवायु प्रयासों में पीछे रह गया है, विशेष रूप से कमजोर देशों के लिए वित्तीय सहायता, डी-कार्बोनाइजेशन और विकासशील देशों के लिए वित्तीय प्रतिबद्धताओं के मामले में, तथा ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से स्थिति और भी खराब हो जाएगी। ALSO READ: हमने असंभव को संभव कर दिखाया, जीत के बाद बोले डोनाल्‍ड ट्रंप, एलन मस्‍क का भी किया जिक्र
 
नारायण ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने घरेलू जलवायु कार्यों को प्राथमिकता दी है, लेकिन ट्रंप के अभियान का फ्रैकिंग (शेल चट्टान से गैस और तेल निकालने की एक तकनीक) और तेल उत्पादन के विस्तार पर ध्यान केंद्रित करना अमेरिकी प्रतिबद्धताओं के लिए गंभीर खतरा है। ALSO READ: अमेरिका में ट्रंप को बढ़त, कैपिटल हिल्स में सुरक्षा सख्‍त, व्हाइट हाउस के बाहर बैरिकेडिंग
 
नारायण ने कहा कि आईआरए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका हरित गैसों का सबसे बड़ा ऐतिहासिक उत्सर्जक बना हुआ है और सालाना दूसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक है। यह दुनिया का सबसे बड़ा तेल और गैस उत्पादक और निर्यातक भी है, जो प्रतिदिन लगभग 1.3 करोड़ बैरल का उत्पादन करता है। आईआरए (और 2030 तक तथा 2005 के स्तर से नीचे 50 प्रतिशत उत्सर्जन में कमी लाने में इसकी भूमिका) ने दुनिया को एक महत्वपूर्ण संकेत दिया कि अमेरिका जलवायु कार्रवाई में अग्रणी हो सकता है। ALSO READ: जो बाइडेन की थकान से लेकर महंगाई तक, क्‍या हैं Donald Trump की जीत के 6 सबसे बड़े कारण?
 
अपने अभियान में ट्रम्प ने तेल और गैस उत्पादन बढ़ाने के प्रति अपने समर्थन पर जोर दिया, तथा 'ड्रिल, बेबी, ड्रिल' को मुख्य नारा बनाया। जलवायु नीति विशेषज्ञ ने कहा कि उन्होंने जलवायु परिवर्तन की चिंताओं को पूरी तरह से खारिज कर दिया।  ALSO READ: जेडी वेंस होंगे अमेरिका के उपराष्‍ट्रपति, क्या है उनका भारत कनेक्शन?
 
जलवायु न्याय के लिए गहरा झटका : जलवायु कार्यकर्ता और जीवाश्म ईंधन अप्रसार संधि पहल के लिए वैश्विक सहभागिता निदेशक हरजीत सिंह ने कहा कि ट्रंप की जीत वैश्विक जलवायु न्याय के लिए एक गहरा झटका है तथा विश्व के सबसे कमजोर समुदायों के लिए जलवायु जोखिम में खतरनाक वृद्धि है। ALSO READ: अमेरिकी चुनाव में भारतीय मूल के इन 6 दिग्गजों ने मारी बाजी
 
उन्होंने कहा कि जीवाश्म ईंधन उत्पादन को बढ़ाने के लिए ट्रंप का प्रयास, अंतरराष्ट्रीय समझौतों की अवहेलना तथा जलवायु वित्त प्रदान करने से इनकार करने से संकट और गहरा होगा तथा जीवन और आजीविका खतरे में पड़ जाएगी विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जो जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे कम जिम्मेदार हैं, लेकिन उससे सबसे अधिक प्रभावित हैं।
 
अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संस्था क्लाइमेट ग्रुप की सीईओ हेलेन क्लार्कसन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से लड़ना, परिवर्तन के लिए धन जुटाना और उत्सर्जन कम करने के लिए कार्रवाई करना एक बहुत बड़ी चुनौती बन गई है, जिसका असर सीओपी29 और आने वाले वर्षों में महसूस किया जाएगा।
 
पेरिस समझौते का भविष्य अधर में : कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत सुनिश्चित होने के बाद कहा कि जलवायु परिवर्तन से जुड़े वर्ष 2015 के पेरिस समझौते का भविष्य अधर में पड़ गया है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि अमेरिका फिर से इस समझौते से पीछे हट गया, तो यह विनाशकारी होगा।
 
रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया कि डोनाल्ड ट्रंप ने आश्चर्यजनक वापसी की है। निस्संदेह, ऐसा क्यों और कैसे हुआ, इसका अगले कुछ हफ्तों में विस्तार से विश्लेषण किया जाएगा। साथ ही यह सवाल भी उठेगा कि इस वापसी का अमेरिका और बाकी दुनिया के लिए क्या मतलब है।
 
उन्होंने कहा कि यह निश्चित है कि जलवायु परिवर्तन पर 2015 के पेरिस समझौते का भविष्य अब अधर में है। यदि अमेरिका फिर से इस समझौता से पीछे हट गया, तो यह विनाशकारी होगा। ट्रंप ने अपने पहले राष्ट्रपति कार्यकाल में अमेरिका को ऐतिहासिक पेरिस समझौते से अलग कर लिया था। अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन ने वर्ष 2021 में 46वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के कुछ ही घंटे बाद कई महत्वपूर्ण कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें वाशिंगटन द्वारा पेरिस जलवायु समझौते को फिर से स्वीकार किया जाना शामिल था। (भाषा/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 
 
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