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Last Updated :नई दिल्ली , गुरुवार, 10 जुलाई 2025 (14:57 IST)

हिन्दी विवाद के बीच क्या बोले अरुणाचल के सीएम पेमा खांडू

बोले कि हिन्दी अरुणाचल के लिए जोड़ने वाली भाषा है, सीखने में कोई दिक्कत नहीं

Pema Khandu
Hindi controversy: अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू (Pema Khandu) ने कहा है कि उनके राज्य में प्रत्येक जनजाति अपनी अलग बोली और भाषा बोलती है तथा ऐसे में हिन्दी उनके राज्य को जोड़ने वाली भाषा है। खांडू ने 'पीटीआई वीडियोज' से एक साक्षात्कार में कहा कि हिन्दी (Hindi) अरुणाचल प्रदेश में शुरुआत से ही स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा रही है और इसे सीखने में कोई समस्या नहीं है।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में इतनी विविधता है कि 26 प्रमुख जनजातियां और 100 से अधिक उप-जनजातियां अपनी अलग-अलग भाषाएं और बोलियां बोलती हैं। उन्होंने कहा कि अगर मैं अपनी बोली, अपनी भाषा में बात करूंगा तो दूसरी जनजाति के लोग समझ नहीं पाएंगे। इसलिए हर कोई हिन्दी बोलता है। व्याकरण संबंधी गलतियां अवश्य हो सकती हैं। लेकिन अगर आप किसी गांव में भी जाएंगे तो सभी ग्रामीण हिन्दी समझेंगे और बोलेंगे। हम चुनाव प्रचार के दौरान और विधानसभा में भी हिन्दी बोलते हैं।ALSO READ: अमित शाह बोले, हिन्दी सभी भारतीय भाषाओं की सखी, किसी विदेशी भाषा का विरोध नहीं हो
 
हिन्दी निश्चित रूप से एक जोड़ने वाली भाषा : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता ने महाराष्ट्र और कुछ दक्षिणी राज्यों में हिन्दी को लेकर जारी विवाद के बीच कहा कि हिन्दी निश्चित रूप से एक जोड़ने वाली भाषा है। इसे सीखने में कोई समस्या नहीं है। इसे सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश रणनीतिक रूप से अहम स्थान है, जहां सुरक्षा बल के जवान विभिन्न राज्यों से आते हैं और अधिकतर जवान हिन्दी में बात करते हैं। उन्होंने कहा कि वहां सीमा सड़क संगठन भी है इसलिए कई अन्य माध्यम हैं जिनके जरिए हमने हिन्दी को तेजी से सीखा।
 
हर किसी की अपनी मातृभाषा होती है : मुख्यमंत्री ने कुछ राज्यों में हिन्दी का विरोध होने के बारे में सवाल पूछे जाने पर कहा कि हर किसी की अपनी मातृभाषा होती है, हर राज्य की अपनी भाषा होती है और हर जनजाति की भी अपनी भाषा होती है। उन्होंने उनकी सरकार द्वारा स्वदेशी भाषाओं और संस्कृति के प्रचार एवं संरक्षण के लिए आदिवासी मामलों का एक विभाग शुरू किए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि इसे महत्व दिया जाना चाहिए। यहां तक कि मैं भी अपने राज्य में मानता हूं कि जनजातियों की विभिन्न भाषाओं को संरक्षित किया जाना चाहिए।ALSO READ: फडणवीस सरकार बैकफुट पर, महाराष्ट्र में अब हिन्दी सीखना वैकल्पिक
 
खांडू ने कहा कि वह शिक्षा के लिए राज्य से बाहर जाने वाले युवाओं से कहते हैं कि वे घर लौटकर अपनी भाषा में बात करें। उन्होंने कहा कि क्योंकि यही उनकी पहचान है, क्योंकि हमारे देश में इतने सारे समुदाय, विभिन्न धार्मिक समूह, विभिन्न पृष्ठभूमियां हैं इसलिए अपने स्थान पर अपनी भाषा को संरक्षित रखना बहुत महत्वपूर्ण है।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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