अमेरिका में आगामी 2024 राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की वापसी की संभावनाएं अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण विषय हैं। ट्रम्प की वापसी से केवल अमेरिका ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है। उनके विवादास्पद लेकिन दृढ़ नीतिगत फैसलों ने हमेशा दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है। ऐसे में यह समझना महत्वपूर्ण है कि उनके दोबारा राष्ट्रपति बनने पर अमेरिका और दुनिया में क्या बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
ट्रम्प की घरेलू नीतियां: अमेरिकी समाज पर प्रभाव1. अमेरिकी अर्थव्यवस्था और टैक्स कटौती
2017 में ट्रम्प द्वारा किए गए टैक्स कटौती सुधारों ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में एक नई ऊर्जा भर दी थी। माना जा रहा है कि अगर वह दोबारा राष्ट्रपति बने, तो वह इस नीति को और अधिक विस्तारित कर सकते हैं। ट्रम्प का दृष्टिकोण मुख्यतः अमेरिकी कंपनियों के करों में कटौती और उनकी मदद करने पर केंद्रित है, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में रोजगार वृद्धि हो सकती है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की कटौती से अमेरिकी बजट घाटे पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
2. इमिग्रेशन और सीमा सुरक्षा
मेक्सिको-अमेरिका सीमा पर दीवार निर्माण, ट्रम्प प्रशासन के समय में एक विवादास्पद लेकिन केंद्रीय मुद्दा रहा। ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने पर इमिग्रेशन पर सख्त नीतियां जारी रखने की उम्मीद की जा सकती है। इसका असर अमेरिका में अवैध प्रवासियों की संख्या और आव्रजन नीतियों पर पड़ सकता है।
3. सामाजिक नीतियां और ध्रुवीकरण
ट्रम्प की सामाजिक नीतियां और उनके बयानों ने अमेरिकी समाज में ध्रुवीकरण बढ़ाया है। एक और कार्यकाल मिलने पर उनके समर्थक और विरोधी के बीच यह खाई और गहरी हो सकती है, जिससे सामाजिक समरसता पर असर पड़ सकता है।
अमेरिकी विदेश नीति पर संभावित प्रभाव
1. चीन और व्यापार युद्ध: ट्रम्प का चीन के प्रति कड़ा रुख सर्वविदित है। ट्रम्प प्रशासन के समय चीन-अमेरिका व्यापार युद्ध की शुरुआत हुई, जिसमें दोनों देशों ने एक-दूसरे पर भारी शुल्क लगाए थे। ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने पर यह स्थिति फिर से उभर सकती है और यह अमेरिका-चीन संबंधों पर और तनाव पैदा कर सकती है। उनके तहत, चीन को आर्थिक और व्यापारिक क्षेत्र में अमेरिकी दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
2. रूस और यूरोपीय संबंध: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ ट्रम्प के संबंध अक्सर सुर्खियों में रहे हैं।
ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने पर रूस के प्रति नर्म रुख की संभावना है, जिससे यूक्रेन और नाटो के साथ अमेरिका के संबंध प्रभावित हो सकते हैं। यूक्रेन में युद्ध को लेकर ट्रम्प की नीति स्पष्ट नहीं है, लेकिन संभावना है कि वे नाटो सहयोगियों के बजाए रूस के साथ सहमति बनाने की कोशिश करें।
3. मध्य पूर्व और ईरान नीति
ट्रम्प ने अपने पिछले कार्यकाल में ईरान न्यूक्लियर डील से अमेरिका को हटा लिया था। ट्रम्प के व्हाइट हाउस लौटने पर संभावना है कि वे ईरान पर और अधिक सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगा सकते हैं। उनके तहत, ईरान-अमेरिका संबंध और तनावपूर्ण हो सकते हैं, जिससे मध्य पूर्व में अस्थिरता बढ़ सकती है।
4. भारत-अमेरिका संबंध
ट्रम्प प्रशासन के दौरान भारत-अमेरिका संबंधों में एक नया सकारात्मक मोड़ आया। ट्रम्प के लिए भारत एक महत्वपूर्ण रणनीतिक सहयोगी है, विशेषकर चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए। ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने से भारत-अमेरिका संबंधों में और मजबूती आ सकती है, जिसमें सुरक्षा, व्यापार, और तकनीकी सहयोग मुख्य बिंदु हो सकते हैं।
ट्रम्प की विदेश नीति और इजराइल-हमास और यूक्रेन-रूस युद्धों पर संभावित दृष्टिकोण
1. इजराइल-हमास संघर्ष में अमेरिका की भूमिका: ट्रम्प ने अपने पिछले कार्यकाल में इजराइल के प्रति मजबूत समर्थन दिखाया था। यरूशलेम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने का उनका कदम, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादास्पद था, यह बताता है कि वे इजराइल के समर्थन में साहसिक कदम उठा सकते हैं। ट्रम्प की वापसी से संभावना है कि वे इजराइल को सैन्य और राजनैतिक समर्थन बढ़ा सकते हैं, जिससे हमास पर दबाव बनेगा।
संभावित प्रभाव: ट्रम्प का रुख इसराइल-हमास संघर्ष में फिलिस्तीनी क्षेत्र के मुद्दों को नजरअंदाज कर सकता है, जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ने की संभावना है। उनकी नीतियों का असर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति पर पड़ेगा, खासकर अमेरिका और अरब देशों के संबंधों में।
2. यूक्रेन-रूस युद्ध पर ट्रम्प का दृष्टिकोण: ट्रम्प ने कई बार यूक्रेन के समर्थन को लेकर संदेह जताया है। उनके राष्ट्रपति बनने पर यूक्रेन के प्रति अमेरिका की सहायता कम हो सकती है। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के लिए यूरोप को भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। ट्रम्प रूस के साथ कूटनीतिक संबंधों को सुधारने पर जोर दे सकते हैं, जिससे रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों में कमी हो सकती है।
संभावित प्रभाव: ट्रम्प के नेतृत्व में अमेरिका रूस के प्रति अपने दृष्टिकोण में बदलाव ला सकता है, जिससे यूरोपीय सुरक्षा और नाटो के साथ अमेरिका के संबंधों में नई चुनौतियां आ सकती हैं। यदि यूक्रेन को अमेरिकी समर्थन में कमी आती है, तो यह रूस को और आक्रामक बना सकता है, जिससे यूरोप में अस्थिरता बढ़ सकती है।
जलवायु परिवर्तन पर ट्रम्प का दृष्टिकोण
पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को अलग करने का निर्णय ट्रम्प के जलवायु परिवर्तन के प्रति उदासीन रवैये को दिखाता है। उनके दोबारा राष्ट्रपति बनने से अमेरिका की पर्यावरण नीतियों में कटौती की संभावना है। जबकि दुनिया जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एकजुट हो रही है, ट्रम्प का नकारात्मक दृष्टिकोण अमेरिका की स्थिति और वैश्विक जलवायु समझौतों को प्रभावित कर सकता है।
वैश्विक व्यापार और सुरक्षा पर असर : ट्रम्प की नीतियों का एक प्रमुख बिंदु "अमेरिका फर्स्ट" है। यह दृष्टिकोण उनके विदेश व्यापार और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा समझौतों में भी झलकता है। नाटो और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रति ट्रम्प का दृष्टिकोण कठिन हो सकता है, जिससे वैश्विक सुरक्षा और व्यापार सहयोग प्रभावित हो सकता है।
नाटो और अन्य संगठनों से सहयोग : ट्रम्प ने अपने पिछले कार्यकाल में नाटो पर अमेरिकी बजट का बोझ कम करने की बात कही थी। यदि वे वापस आते हैं, तो इस पर और अधिक सख्ती से कदम उठाए जा सकते हैं, जिससे नाटो में अमेरिका की भूमिका सीमित हो सकती है। इससे यूरोप और अमेरिका के संबंधों में तनाव आ सकता है।
ट्रम्प की वापसी से संभावित वैश्विक परिवर्तन का आरंभ : डोनाल्ड ट्रम्प के दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति बनने से अमेरिका और दुनिया में बड़े बदलाव संभव हैं। उनके कठोर विदेश नीति के दृष्टिकोण, व्यापार नीति और आंतरिक मुद्दों पर उनके दृढ़ रुख से वैश्विक स्तर पर ध्रुवीकरण बढ़ सकता है। हालांकि उनके कार्यकाल में कुछ क्षेत्रों में सहयोग की संभावना है, लेकिन उनके अन्य नीतिगत दृष्टिकोण अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अस्थिरता ला सकते हैं। वैश्विक उथल-पुथल के कारण अगले कुछ वर्ष अमेरिकी और दुनिया के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होने वाले हैं।