सोमवार, 23 दिसंबर 2024
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कितना क्षोभ होता है !

कितना क्षोभ होता है ! - Gujarat elections Narendra Modi Rahul Gandhi poetry on politics
'हिन्दू' और 'हिन्दुत्व' उच्चतम आदर्शों के बोधशब्द।
'मंदिर दर्शन' व 'यज्ञोपवीत' युगीन परम्परा के अलंकरण।
 
 
हाय! इन बाजारू लोगों ने इन्हें,
बाजारू चर्चा तक पहुंचा दिया।
विवेकशील, आस्थावानों के मनों को,
अंदर तक तिलमिला दिया।।
...कितना क्षोभ होता है।
 
 
सत्ता की चाह में ये बेहया जाने क्या-क्या कर सकते हैं।
युगीन आस्थाओं की ये बेझिझक हत्या कर सकते हैं।।
राजनीति में अल्प लाभ पाने को, इनके लिए सब कुछ गौण है।
अफ़सोस कि इस सब पर बुद्धिजीवी-वर्ग तटस्थ है, मौन है।।
...कितना क्षोभ होता है।

 
 
अशोभन जुमले सुन-सुनकर जन-मन
कितना उचाट है, ऊब रहा है।
गंगा-सा पवित्र प्रजातंत्र, गंदे पानी में डूब रहा है।।
वंशवादी खुशामदियों में नज़रें-इनायत
पाने की कैसी मेराथन दौड़ लगी है।
अधिकतम वफादारी दिखाने की
कितनी बेशर्म-सी होड़ लगी है।।
...देखकर कितना क्षोभ होता है!

 
 
ओखी तूफान से भी अधिक देश का नुकसान कर जाएगा यह चुनाव!
राजनीति की हवा को पूरी बेईमान कर जाएगा यह चुनाव।।