ice bath side effects in hindi: आजकल सोशल मीडिया और फिटनेस व्लॉग्स पर एक ट्रेंड तेजी से वायरल हो रहा है, आइस बाथ यानी बर्फ वाले पानी में शरीर को डुबोकर बैठना। इसे सेलिब्रिटीज से लेकर फिटनेस इंफ्लुएंसर्स तक फॉलो कर रहे हैं। दावा किया जाता है कि यह शरीर की थकान दूर करता है, मसल्स रिकवरी में मदद करता है और मेंटल हेल्थ के लिए भी फायदेमंद होता है। लेकिन क्या ये सच में हर किसी के लिए उतना ही फायदेमंद है? क्या बिना एक्सपर्ट गाइडेंस के आइस बाथ लेना सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकता है? इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि कौन लोग आइस बाथ से फायदा उठा सकते हैं और किनके लिए यह नुकसानदायक हो सकता है।
क्या होता है आइस बाथ?
आइस बाथ यानी बर्फ के ठंडे पानी में कुछ मिनटों तक बैठना। इसे कोल्ड वॉटर इमर्शन या क्रायोथेरेपी भी कहा जाता है। इसे करने का मकसद होता है शरीर की सूजन को कम करना, थकान मिटाना और मसल्स को रिलैक्स करना। ये तकनीक खासतौर पर एथलीट्स या हैवी वर्कआउट करने वाले लोग इस्तेमाल करते हैं। पर इसका मतलब ये नहीं कि ये आम लोगों के लिए भी हमेशा सेफ है।
आइस बाथ के फायदे
1. मसल रिकवरी में मददगार: आइस बाथ थक चुके मसल्स को शांत करता है और वर्कआउट के बाद की जकड़न को कम करता है। इसलिए बहुत से प्रोफेशनल खिलाड़ी इसे ट्रेनिंग के बाद करते हैं।
2. सूजन और दर्द कम करने में असरदार: ठंडा पानी नसों को संकुचित करता है जिससे सूजन और दर्द में राहत मिलती है। जो लोग हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज़ करते हैं, उनके लिए यह सहायक हो सकता है।
3. मानसिक स्पष्टता और शॉक थेरपी: कुछ लोग मानते हैं कि आइस बाथ शरीर और दिमाग को एक झटका देता है जिससे मानसिक अलर्टनेस बढ़ती है। यह ब्रेन को जगाने और स्ट्रेस को हटाने में सहायक हो सकता है।
क्या हर किसी के लिए सेफ है आइस बाथ?
1. हार्ट के मरीजों के लिए खतरनाक हो सकता है: आइस बाथ में शरीर अचानक से बहुत ठंड में चला जाता है, जिससे हार्ट पर जोर पड़ सकता है। जिन लोगों को ब्लड प्रेशर या हार्ट संबंधी समस्याएं हैं, उन्हें यह बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
2. लो बीपी और हाइपोथर्मिया का खतरा: आइस बाथ लेने से बॉडी टेम्परेचर अचानक गिरता है, जिससे लो ब्लड प्रेशर, चक्कर आना या बेहोशी जैसे लक्षण दिख सकते हैं। ज़्यादा देर आइस बाथ में बैठने से शरीर हाइपोथर्मिया का शिकार भी हो सकता है।
3. स्किन और मसल्स पर हो सकता है रिएक्शन: कुछ लोगों की त्वचा ठंडे पानी के प्रति संवेदनशील होती है। इससे स्किन रैशेज़, मसल क्रैम्प्स और हाथ-पैर सुन्न होने की शिकायत हो सकती है।
4. सर्दी-जुकाम और इम्युनिटी पर असर: बार-बार आइस बाथ लेने से शरीर का प्राकृतिक तापमान असंतुलित हो सकता है जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है और आप बार-बार बीमार पड़ सकते हैं।
किन लोगों को नहीं लेना चाहिए आइस बाथ?
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जिन्हें हाइपरटेंशन (ब्लड प्रेशर की समस्या) है
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जिनकी इम्युनिटी कमजोर रहती है
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जो ठंड या एलर्जी से जल्दी प्रभावित होते हैं
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जिन्हें हार्ट डिजीज या श्वसन संबंधी समस्या है
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बच्चे, बुज़ुर्ग और गर्भवती महिलाएं
अगर करना ही है तो ये जरूरी सावधानियां अपनाएं
1. ड्यूरेशन लिमिट में रखें: 5 से 10 मिनट से अधिक बिल्कुल न बैठें। शुरुआत 1-2 मिनट से करें और धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।
2. पानी का तापमान बहुत कम न हो: आइस बाथ का तापमान 10°C से कम नहीं होना चाहिए। बहुत ठंडा पानी खतरनाक हो सकता है।
3. किसी एक्सपर्ट की गाइडेंस लें:अगर आप पहली बार कर रहे हैं तो किसी फिटनेस एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।
4. शरीर की प्रतिक्रिया पर ध्यान दें: अगर शरीर में झुनझुनी, चक्कर, सांस लेने में तकलीफ या ठंड से अकड़न महसूस हो तो तुरंत बाहर आ जाएं।
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