...तो कुंभ मेले में आइए !
डॉ. रामकृष्ण सिंगी | बुधवार,जनवरी 15,2025
देखना हो सन्यासियों के फक्कड़ शिव-शंकरी श्रृंगार।
बैठकर भोजन प्रसादी पाने भक्तों की अन्तहीन कतार।।
खिलाकर खुश होते ...
हां, यह सब हुआ कुंभ के मेले में
डॉ. रामकृष्ण सिंगी | मंगलवार,जनवरी 14,2025
Hindi poem on Kumbh: सनातनी आस्थाओं का धर्मध्वज फहरा, कुंभ के मेले में। श्रद्धाजनित दैवी शक्तियों ने दिया पहरा, कुंभ के ...
हिन्दी कविता : अयोध्या में राम आए हैं
डॉ. रामकृष्ण सिंगी | सोमवार,जनवरी 22,2024
Lord Ram Poem: घर-घर वंदनवार सजाओ। घर के आंगन सजाओ रांगोली। अयोध्या में राम आए हैं। दीये लगाओ, आरती उतारो। आज खेलों ...
काव्य रचना: अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव
डॉ. रामकृष्ण सिंगी | सोमवार,जनवरी 22,2024
प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव है हम सब की महाविजय का प्रतीक। जिससे ले रहा जन-मन भारत का आनंद के सागर में हिलोर। आध्यात्मिकता ...
Poem on Holi : होली का मादक रंग
डॉ. रामकृष्ण सिंगी | सोमवार,मार्च 22,2021
हवाओं की सरसराहटों में कैसी अबूझ तान, पतझड़ी पत्तों की खड़क में बज रही मृदंग। प्रेमियों के विकल मन में दस्तकों से ...
अब इन कंडों की होली हो...
डॉ. रामकृष्ण सिंगी | शनिवार,मार्च 7,2020
होली हो ओछी राजनीति की, टुच्चे बयानों की होली हो।
येन-केन सत्ता हथियाने के बेशर्म अरमानों की होली हो।।
हमारी सफल अंतरराष्ट्रीय नीति...
डॉ. रामकृष्ण सिंगी | सोमवार,मार्च 2,2020
हमारी दक्ष कूटनीति की
यह सचमुच बड़ी विजय है।
रूस हो, चीन या अमेरिका सभी से
हमारे संबंधों में समन्वय है।।
हिन्दी कविता : लानत है राष्ट्रविरोधी धंधों पर
डॉ. रामकृष्ण सिंगी | सोमवार,दिसंबर 30,2019
यह सर्दी बरपा रही है कैसा कहर। आलम को गिरफ्त में लिए है शीतलहर। ठिठुरन के आगोश में हर बस्ती, गांव, शहर। पारा और भी ...
हिन्दी कविता : दो आंसू प्रजातंत्र के लिए...
डॉ. रामकृष्ण सिंगी | गुरुवार,दिसंबर 12,2019
महाराष्ट्र में तीन होटलों में रुकी थी तीन बारातें। बारातियों से बाहर वालों के मिलने के लाले थे || क्योंकि अन्दर की ...
महाराष्ट्र की राजनीति पर कविता : ओ मतदाता ! मत हो उदास ... !
डॉ. रामकृष्ण सिंगी | सोमवार,दिसंबर 2,2019
अंततः मुबारक महाराष्ट्र को एक तिमुही सरकार।
एक राजनीतिक मंडप जिसके हैं तीन मुख्य द्वार ||