• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. Maharashtra politics Kavita

हिन्दी कविता : दो आंसू प्रजातंत्र के लिए...

Maharashtra politics
महाराष्ट्र में तीन होटलों में रुकी थी तीन बारातें। 
बारातियों से बाहर वालों के मिलने के लाले थे || 
क्योंकि अंदर की सरगर्मी थी गोपनीय, पर्दे में,
और बाहर दरवाजों पर लगे हुए ताले थे || 1 || 
 
एक बड़ी बारात बाहर से अंदर झांक रही थी। 
अपनी घुसपैठ की संभावनाएं रुक-रुक आंक रही थी || 
बाहर की हवा न जाती थी अंदर, न अंदर की आती बाहर।
जो स्थिति बनी वह किसी के लिए भी ना हितकर थी, ना सुखकर || 2 || 
 
अंतत: एक बड़े ड्रामे का पटाक्षेप हुआ। 
हर दल द्वारा दूसरे पर 'प्रजातंत्र की हत्या' का आक्षेप हुआ।।
सत्ता के लिए जोड़-तोड़ में 'प्रजातंत्र की हत्या' एक बड़ा नारा है। 
(सच पूछो तो) प्रजातंत्र अपनी दुर्दशा पर कहीं आंसू बहा रहा बेचारा है || 3 || 
 
मतदाता के निर्मल प्रजातंत्र को किसने, कहां संवारा है।  
अपने निहित स्वार्थों में सबने उसका नूर उतारा है। 
जो जीता है उसके लिए ही बस प्रजातंत्र जीता है। 
जो हारा है उसके लिए तो प्रजातंत्र हारा है। || 4 ||