क्या कोरोना के मरीजों में चेहरे पर लकवा होने का खतरा अधिक होता है
इस महामारी के दौर ने 1 साल में अपने अलग –अलग विकराल रूप दिखाए है। कुछ दिन गुजरते ही नई बीमारी दस्तक दे देती है। कोरोना वायरस पर लगातार जारी रिसर्च में खुलासा हुआ है कि कोरोना के मरीजों में चेहरे पर लकवा होने का खतरा 7 गुना अधिक है। वैज्ञानिक भाषा में इसे बेल्स पॉल्सी कहा जाता है। वैक्सीनेटेड मरीजों के मुकाबले कोरोना से संक्रमित मरीजों में अधिक खतरा है। हालांकि बहुत अधिक मामले सामने नहीं है लेकिन खतरा जरूर है। इस बात का दावा यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल क्लीवलैंड मेडिकल सेंटर और केस वेस्टर्न यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने किया है।
आइए जानते हैं क्या है बेल्स पॉल्सी, लक्षण और कब तक ठीक होती है यह बीमारी -
बेल्स पॉल्सी मांसपेशियों और पैरालिसिस से जुड़ी एक बीमारी है। इसका असर सीधा मरीज के चेहरे पर दिखाई देता है। इसके लक्षण इस प्रकार से है –
- चेहरा लटक जाना, सीधे स्माइल नहीं कर पाता, दूसरी तरफ का गाल नहीं फूलना, आंख,आइब्रो पर भी असर दिखना।
बेल्स पॉल्सी होने के लक्षण
जॉन्स हॉपकिंस हॉस्पिटल के विशेषज्ञों के मुताबिक यह बीमारी डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या किसी प्रकार के गंभीर घाव और संक्रमित लोगों के लिए अधिक खतरा है।
बेल्स पॉल्सी बीमारी होने का एक और कारण सामने आ रहा है वह यह कि रोगों से बचाव के लिए इम्यून सिस्टम में ओवर रिएक्शन होने पर सूजन आ जाती है और नर्व डैमेज हो जाती है, जिससे चेहरे पर बुरा असर पड़ता है।
उपचार –
यह बीमारी कैसे हो रही है इसका सटीक कारण नहीं मिल सका है लेकिन वैज्ञानिकों द्वारा दावा किया जा रहा है कि 2 महीने में और सही समय पर उपचार मिलने पर यह बीमारी से ठीक हो सकते हैं। हालांकि कुछ लोग होते है जिन्हें ठीक होने में 6 महीने लग सकते हैं लेकिन ऐसा बहुत कम होता है।
वैक्सीन ट्रायल में मामले सामने आए
मॉडर्ना और फाइजर के कोविड वैक्सीन के ट्रायल के बाद बेल्स पॉल्सी के मामले सामने आए हैं। रिसर्च में 74 हजार में से करीब 37 हजार ने वैक्सीन ली थी। जिसके बाद 8 लोगों में बेल्स पॉल्सी के मामले सामने आए।