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Last Updated : सोमवार, 27 दिसंबर 2021 (12:11 IST)

15-18 साल की उम्र के किशोरों के वैक्‍सीनेशन के सरकार के फैसले पर एम्स के वरिष्ठ महामारी रोग विशेषज्ञ ने सवाल उठाए

15-18 साल की उम्र के किशोरों के वैक्‍सीनेशन के सरकार के फैसले पर एम्स के वरिष्ठ महामारी रोग विशेषज्ञ ने सवाल उठाए - government decision to vaccinate children unscientific says senior aiims epidemiologist
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार रात राष्ट्र के नाम संबोधन में घोषणा की थी कि 15 से 18 साल की आयु तक के बच्चों का कोविड-19 रोधी टीकाकरण 3 जनवरी से शुरू किया जाएगा। एक तरफ जहां अधिकतर विशेषज्ञ सरकार के इस फैसले की प्रशंसा कर रहे हैं तो वहीं ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (AIIMS) के वरिष्ठ महामारी विशेषज्ञ और अस्पताल में वयस्कों और बच्चों पर हुए कोवैक्सीन ट्रायल के मुख्य जांचकर्ता ने सरकार के फैसले पर आपत्ति जाहिर की है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के वरिष्ठ महामारी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर संजय के. राय ने बच्चों को कोविड रोधी टीका लगाने के केंद्र सरकार के निर्णय को 'अवैज्ञानिक' करार देते हुए कहा है कि इससे कोई अतिरिक्त लाभ नहीं होगा।
 
एम्स में वयस्कों और बच्चों पर 'कोवैक्सीन' टीके के परीक्षणों के प्रधान जांचकर्ता और 'इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन' के अध्यक्ष राय ने कहा कि इस निर्णय पर अमल करने से पहले बच्चों का टीकाकरण शुरू कर चुके देशों के आंकड़ों का भी विश्लेषण करना चाहिए।
 
इस कदम से स्कूल तथा कॉलेज जाने वाले विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों की चिंताएं कम होने तथा महामारी से लड़ने में मजबूती मिलने और विद्यालयों में पढ़ाई को पटरी पर लाने में मदद मिलने की उम्मीद है।
 
राय ने प्रधानमंत्री कार्यालय को टैग करते हुए ट्वीट किया, 'मैं राष्ट्र की नि:स्वार्थ सेवा और सही समय पर सही निर्णय लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का बड़ा प्रशंसक हूं, लेकिन मैं बच्चों के टीकाकरण के उनके अवैज्ञानिक निर्णय से पूरी तरह निराश हूं।'
उन्होंने अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हुए कहा कि किसी भी निर्णय का उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए। राय ने कहा कि टीकाकरण का उद्देश्य या तो कोरोनावायरस संक्रमण की रोकथाम है या गंभीरता अथवा मृत्यु को रोकना है।
 
राय ने पीटीआई से कहा कि लेकिन टीकों के बारे में हमारे पास जो भी जानकारी है, उसके अनुसार वे संक्रमण के मामलों में महत्वपूर्ण कमी लाने में असमर्थ हैं। कुछ देशों में, लोग बूस्टर खुराक लेने के बाद भी संक्रमित हो रहे हैं। 
 
इसके अलावा, ब्रिटेन में टीका लगवाने के बाद भी संक्रमित होने के रोजाना 50,000 मामले सामने आ रहे हैं। इसलिए यह साबित होता है कि टीकाकरण कोरोना वायरस संक्रमण को नहीं रोक रहा है, लेकिन टीके संक्रमण की गंभीरता और मृत्यु को रोकने में प्रभावी हैं।'
 
उन्होंने कहा कि अतिसंवेदनशील आबादी के बीच कोविड​​​​-19 के कारण मृत्यु दर लगभग 1.5 प्रतिशत है, जिसका अर्थ है कि प्रति 10 लाख जनसंख्या पर 15,000 लोगों की मौत।
 
राय ने कहा कि टीकाकरण के माध्यम से, हम इनमें से 80-90 प्रतिशत मौतों को रोक सकते हैं, जिसका अर्थ है कि प्रति 10 लाख (जनसंख्या) में 13,000 से 14,000 मौतों को रोका जा सकता है।"
 
उन्होंने कहा कि टीकाकरण के बाद प्रतिकूल प्रभाव के मामले प्रति दस लाख आबादी पर 10 से 15 के बीच होते हैं। राय ने कहा कि इसलिए, यदि आप वयस्कों के बीच इनके जोखिम और लाभ का विश्लेषण करते हैं, तो यह एक बड़ा लाभ है।
 
उन्होंने कहा कि बच्चों के मामले में संक्रमण की गंभीरता बहुत कम होती है और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, प्रति 10 लाख जनसंख्या पर केवल दो मौतों की सूचना मिली है।
 
राय ने कहा कि इस खंड (बच्चों) में, 15,000 (लोग) नहीं मर रहे हैं और प्रतिकूल प्रभावों को भी ध्यान में रखते हुए, यदि आप जोखिम और लाभ का विश्लेषण करते हैं, तो उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर लाभ से अधिक जोखिम की बात सामने आती है। उन्होंने कहा कि बच्चों का टीकाकरण शुरू करने से दोनों उद्देश्य पूरे नहीं हो रहे हैं।
 
राय ने कहा कि अमेरिका समेत कुछ देशों ने चार-पांच महीने पहले बच्चों का टीकाकरण शुरू किया था और बच्चों का कोविड टीकाकरण शुरू करने से पहले इन देशों के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाना चाहिए।
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