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Written By ND

राजधानी पर कब्जे की जंग

राजधानी पर कब्जे की जंग -
'राजधानी' पर कब्जे के लिए चल रही चुनावी जंग पर पूरे प्रदेश की नजर है। रायपुर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र (परिसीमन से पहले रायपुर शहर) भाजपा का अभेद्य किला बन चुका है। अविभाजित मध्यप्रदेश से लेकर देश के अन्य कई राज्यों में रायपुर की यह सीट भाजपा प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल की पहचान बन चुकी है।

उन्हें चुनौती देने के लिए कांग्रेस ने इस बार 'धन्नासेठों' की बजाए युवक कांग्रेस के अध्यक्ष योगेश तिवारी पर दाँव लगाया है। प्रदेश की राज्य सरकार के खिलाफ हर मुद्दे पर झंडा लेकर खड़े होने वाले तिवारी के जुझारूपन ने पार्टी हाईकमान को भाजपा के इस किले को ढहाने का जिम्मा सौंपने को विवश किया। आक्रामक प्रचार शैली से तिवारी चुनाव को रोचक बनाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, वहीं अग्रवाल के साथ सधे हुए हाथ नियोजित रणनीति के तहत चुनाव मैदान में अपनी चालें चल रहे हैं।

रायपुर शहर विधानसभा की राजनीति पर हमेशा से पूरे प्रदेश की नजर रही है। 1990 से लेकर अब तक कांग्रेस के अनेक दिग्गजों को पछाड़ने वाले अग्रवाल के सामने इस बार युवक कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में पार्टी ने अपनी प्रतिष्ठा दाँव पर लगाई है। कांग्रेस में इस सीट से चुनाव लड़ने वालों की कमी नहीं थी, लेकिन अतीत से सबक लेते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इस बार नया प्रयोग किया। अब तक अग्रवाल से पराजित होने वाला हर प्रत्याशी अभिजात्य व पूँजीपति वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाला था, लेकिन हर बार शहर के मतदाताओं ने भाजपा के साथ अग्रवाल पर भरोसा जताया और हर बार एक करोड़पति उनसे पराजित होता चला गया।

तिवारी की पहचान पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद अजीत जोगी के कट्टर समर्थक के रूप में है। इसमें कोई शक नहीं कि जोगी के कहने पर ही तिवारी को भाजपा के कद्दावर नेता अग्रवाल के खिलाफ मैदान पर उतारने का फैसला पार्टी ने किया। कांग्रेस के साथ जोगी की भी प्रतिष्ठा रायपुर शहर की सीट से जुड़ गई है। अग्रवाल कांग्रेस की राजनीतिक चालों से वाकिफ हैं, इसलिए उन्होंने अपनी रणनीति जोगी को सामने रखकर बनाई है और उसके अनुसार ही कदम आगे बढ़ा रहे हैं।

चार बार लगातार चुनाव जीत चुके अग्रवाल को शिकस्त देना आसान नहीं है, लेकिन कांग्रेस का मानना है कि शहर की जनता अब बदलाव चाहती है। इसी जनता ने अट्ठारह साल पहले युवा बृजमोहन अग्रवाल को मौका दिया था, जब उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे स्वरूपचंद जैन को शिकस्त दी थी। अब इतिहास दोहराने को बेकरार हैं।

भाजपा - कांग्रेस के पास मुद्दे नहीं : दोनों ही दलों के प्रत्याशियों के पास मतदाताओं को रिझाने के लिए लोक लुभावन मुद्दे नहीं हैं। अग्रवाल जहाँ भाजपा सरकार के विकास का बखान करते हैं और रायपुर को देश की सबसे अच्छी व सुंदर राजधानियों में शामिल करने का सपना दिखाते हैं, वहीं तिवारी के पास भाजपा सरकार को कोसने के अलावा कोई मुद्दा नहीं है। सरकार के घोटालों पर फोकस कर वे मतदाताओं को समझाने की कोशिश करते हैं कि भाजपा की सरकार बनने पर फिर लूट-खसोट शुरू हो जाएगी। मंत्रियों के भ्रष्टाचार के किस्से सुनाकर मतदाताओं को मोहने की उनकी लगातार कोशिश जारी है।

फैसला मुस्लिम वोटरों के हाथ : रायपुर दक्षिण सीटों में मुस्लिम मतदाताओं की सर्वाधिक संख्या के कारण कांग्रेस आशान्वित थी, लेकिन इसी समाज से सात प्रत्याशियों के मैदान में उतरने से समीकरण गड़बड़ाता नजर आने लगा है। इस विधानसभा सीट में एक लाख 81 हजार मतदाताओं में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 38 हजार है। मुस्लिम मतदाताओं को कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है, लेकिन यहाँ से मुजफ्फर अली भाजश, मोइन अशरफ खान सपा, मोहम्मद वसीम रिजवी भाबपा, सैयद रशीद अली निर्दलीय के रूप में अब्दुल हन्नान रजा, जाफर हुसैन तथा साबिर मोहम्मद के चुनाव लड़ने के कारण मुस्लिम मतों के विभाजन की संभावना बन गई है, जिसका सीधा फायदा भाजपा को मिल सकता है।

ब्राह्मण भी कम नहीं : रायपुर दक्षिण सीट से बसपा की ब्राह्मण प्रत्याशी डॉ. अनिता शुक्ला के मतों का विभाजन भी होगा। इस समाज से आधा दर्जन प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें कांग्रेस के योगेश तिवारी के अलावा इंदू मिश्रा, दीपक दुबे, प्रमोद पांडे और मनीष तिवारी शामिल हैं। इससे भाजपा के हिंदू मतों में ध्रुवीकरण होने की संभावना जताई गई है।

ट्रैफिक, धूल, मच्छर का जवाब नहीं : राजधानी के मतदाता यहाँ की ट्रैफिक की विकराल समस्या के अलावा धूल और मच्छरों से त्रस्त हैं। नगर निगम में भाजपा का कब्जा है, लिहाजा अग्रवाल को प्रचार के दौरान हर जगह इन समस्याओं के बारे में सुनना पड़ता है। धूल और मच्छरों को समाप्त करने में नगर निगम की असफलता का नुकसान भाजपा को इस चुनाव में उठाना पड़ सकता है। वैसे अग्रवाल विश्वास दिलाने की कोशिश करते हैं कि इन समस्याओं के समाधान का समय आ चुका है, पर कांग्रेस प्रत्याशी तिवारी प्रचार में इन मुद्दों को शामिल करते हैं।

रायपुर दक्षिण के प्रमुख क्षेत्र : पंडरी, देवेंद्रनगर, पारस नगर, मौदहापारा, जवाहरनगर, तात्यापारा, सदरबाजार, बैजनाथपारा, छोटापारा, श्यामनगर, रविग्राम, कटोरातालाब, नेहरूनगर, संजयनगर, संतोषीनगर, मठपुरैना, टिकरापारा, पुरानी बस्ती, ब्राह्मणपारा, भाठागाँव, मठपुरैना व मठपारा। (नईदुनिया)