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Last Updated : शुक्रवार, 3 जनवरी 2020 (16:13 IST)

Exclusive Interview : मुझे हमेशा नारी शक्तिशाली लगी : रानी मुखर्जी

Exclusive Interview : मुझे हमेशा नारी शक्तिशाली लगी : रानी मुखर्जी - i always found women powerful rani mukerji
मेरी फिल्म मर्दानी में मैं ये बात महिलाओं को बताना चाहती हूं कि हम आज उस समय में आ चुके हैं जहां हमें अपनी सुरक्षा को बारे में सोचना होगा। आज हम पर हमला करने वाला या बुरा करने वाला कोई भी हो सकता है। वो किसी भी उम्र या चेहरे का हो सकता है। यहां तक कि वो अनजान चेहरा 18 साल से कम उम्र वालों का भी हो सकता है।


पहले जैसे फिल्मों में होता था कि विलेन है तो वो ऐसा दिखता है अब ऐसा नहीं है। तो अब ज्यादा जरूरत हो गई है कि लड़कियां ये समझे कि हमें बहुत जागरुक होना होगा और हमें बचाने कोई नहीं आने वाला। ये काम हमें ही करना होगा।

इस हफ्ते की रिलीज होने वाली फिल्म 'मर्दानी 2' के प्रमोशनल इंटरव्यू के दौरान रानी मुखर्जी ने वेबदुनिया से बातें करते हुए कहा कि 'इन दिनों एक के बाद एक कई ऐसे वाकये हुए जिसे जान कर बुरा लगता है। लेकिन कभी कोई बच्चा ऐसा पैदा नहीं होता कि एक दिन वह ऐसा काम करे। ये वो अपने आस-पास के माहौल को देखता होगा और एक दिन जा कर ऐसे काम कर लेता होगा।
 
मसलन अगर कोई बच्चा बचपन से ही देखता है कि उसकी मां को पीटा जा रहा हा तो उसे लगेगा कि जब मेरी मां पिट सकती है तो बाकी की महिला तो मेरी मां या बहन नहीं है तो उससे भी बुरा सलूक किया जा सकता है।

उस दौरान आप एडीजी एसआरपीएफ अर्चना त्यागी से मिलीं। कोई झलक आपके किरदार में दिखेंगी?
मैं मर्दानी और मर्दानी 2 के दौरान अर्चना त्यागी से मिली थी तो उनके हाव भाव उनके तौर तरीके देखे। बल्कि सिर्फ उनके ही क्यों मैंने कई महिला पुलिस के तौर तरीके देखे और उन सब को मिला कर शिवानी का किरदार बनाया जो आप फिल्म रिलीज होने के बाद देखेंगे ही।

अर्चना से जब मैं मिली तो उन्होंने बताया की आईपीएस पास करने के बाद उनकी पहली पोस्टिंग महाराष्ट्र के कर्हाड़ शहर में हुई थी। तब कैसे उन्होंने वहां का क्राइम रोकने की कोशिश की। आप अगर हमारे देश की महिला पुलिस को देखेंगे तो पाएंगे कि वो एक से बढ़ कर एक है। और ऐसे ऐसे खतरों से लड़ती हैं। वैसे भी पुलिस का कोई जैंडर नहीं होता वो तो हम कह देते हैं कि ये महिला पुलिस है।

आप रियल लाइफ में कभी मर्दानी बनी हैं?
बहुत बार, मैं तो जब मौका आता था अपना हाथ घुमा कर दे देती थी। हम बंगाली लोगों में मां दुर्गा, मां काली की उपासना करते हैं। हम महिषासुर को मां के कदमों में पड़ा देखते है तो कभी नारी को कमज़ोर देखा ही नहीं। मेरे पापा झांसी से हैं, हम बचपन में झांसी अपने घर जाते थे तो पापा सुबह 5.30 बजे दूध जलेबी खिलाते हुए मॉर्निंग वॉक पर रानी लक्ष्मीबाई की जगह पर ले जाते थे जहां वो घोड़े से कूदीं थी। और पापा कहते जाते थे खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी, क्योंकि मेरा नाम रानी है। मुझे हमेशा नारी शक्तिशाली लगी। मुझे समझ ही नहीं आता कि नारी कैसे मर्दों से कमतर हुई बल्कि उल्टा है मर्द औरतों से कमज़ोर होते हैं।

हाल ही में एडीजी भोपाल, पल्लवी त्रिवेदी ने पालकों से यौन अपराधों से निपटने के लिए कुछ टिप्स दिए हैं। आपका रिएक्शन?
मुझे लगता है कि देश की हर महिला पुलिस को आवश्यक रूप से इन सब बातों पर टिप्स देना चाहिए। स्कूलों में जा कर या सेमिनार ले कर लोगों को ऐसे अपराधों के खिलाफ जागरुक करते रहना चाहिए। इजराइल में देखिए हर महिला को स्वरक्षा के गुर यानी क्रामागा, सिखाया जाता है।


इजराइल की महिला से कोई पंगा नहीं ले सकता है वैसे ही हमारे देश में भी लड़कियों को महिलाओं को कोई गुर सिखाने चाहिए। महाराष्ट्र में ही मर्दानी होती हैं जो तलवार बाज़ी करती हैं वो सिखा सकते हैं। अगर बच्चों को बचपन से ही स्वयं की सुरक्षा सिखाई जाए तो हमारे आप पास की दुनिया में बहुत बदलाव आ जाएगा।