'ये काली काली आंखें' में पहली बार नजर आने वाले गुरमीत चौधरी, निर्देशक सिद्धार्थ सेनगुप्ता और आंचल ने मीडिया से खास तौर पर बातचीत की। मीडिया ने सीरीज की स्टारकास्ट से जानने की कोशिश की कि 'काली काली आंखें का सीजन 2' को किस वजह से उन्होंने चुना और आगे बढ़ाने का फैसला किया।
गुरमीत कहते हैं कि यह मेरी पहली कोशिश है जो मेमोरियल प्रथम पर कर रहा हूं। काली काली आंखें मुझे बहुत ही पसंद आया था। यह वाला शो लॉकडाउन में मुझे याद है मैं और मेरे पूरे परिवार ने बैठकर यह वाला सीरीज को देखा है। और जब इसका ऑफर भी आया था, मैं थोड़ा सा सोचने लग गया था कि बड़ा मुश्किल होता है कि पहले से जो सीरीज चलती आई हो, उसका आप हिस्सा बन जाए। कैसे उस रोल में आप फिट बैठेंगे। अपने आप को कैसे तैयार कर पाएंगे। यह एक बहुत बड़ी चुनौती है।
गुरमीत ने कहा, लेकिन बात नेटफ्लिक्स की थी उनके शो की थी तो मैं मना नहीं कर पाया। मुझे लगता है मैंने बहुत मेहनत की है। अच्छी बात यह है कि मेरे निर्देशक भी मेरे पीछे बहुत मेहनत करते रहे। जब उनसे पहली बार मेरी मुलाकात हुई थी तो पहली मीटिंग के बारे में मैंने तय कर लिया था कि इस बार कुछ अच्छा करने को मिलने वाला है। मुझे याद है कि हमारा एक सीन था जो मनाली में शूट हुआ। उसके पहले मुझे एक्शन करना था और फिर आकर पूछना था कि पूर्वा कहां है? सर ने यह सारा फुटेज देखा और फिर मुझे आकर कहा कि सीन बहुत अच्छा नहीं हुआ है। इसे दोबारा करते हैं। उस समय मैं इतना खुश हो गया कि मेरे पीछे एक ऐसे निर्देशक का हाथ है जो मुझे बेहतर से बेहतरीन करने पर विश्वास रखता है।
अपने किरदार के बारे में बात करते हुए आंचल बताती हैं कि अभी तक आपने मेरे और मेरे पिताजी के बीच में कैसी बॉन्डिंग है वह देखा है लेकिन इस बार आप देख रहे होंगे कि कैसे मेरे और मेरे मां के बीच की बॉन्डिंग कैसी रही है। वो रिश्ता कैसा रहा है। मेरी जिंदगी में पहले क्या घट चुका है, वह दिखाया जा रहा है और यह भी आपको देखना मिलेगा की एक लड़की जो बहुत ज्यादा दिल से सोचती है। सारी परेशानियां जरूर खड़ी कर देती है। लेकिन जब बात आती है प्यार की तो वह इतने दिल से सोचते कि वह सब कुछ भूल जाती है।
मैं तो बिल्कुल भी अपने कैरेक्टर जाने की पूर्वा जैसी नहीं हूं और भगवान करे कोई लड़की ऐसी ना ही हो। (हंसते हुए) इतना पागल कोई कैसे हो सकता है लेकिन वह एक किरदार है। मेरी बात अगर मैं करती हूं तो मैं इतना धीमे से बोलती थी। कई लोग मुझे आकर बोलते हैं जरा जोर से बोलिए यहां तक कि जब मैं डबिंग कर रही थी तुम मुझे बार-बार सामने वाले बोलते थे कि डबिंग में तो कम से कम आवाज ज्यादा जोर से रखिए रिकॉर्ड करने होने में तकलीफ कर रही थी।
मेरे साथ यह था कि सेट पर मुझे इतना मजा आता था, सिद्धार्थ डायरेक्टर है मैं उनके साथ पहले भी एक शो कर चुकी हूं। मेरी आदत थी और सर ने भी हमको बोल कर रखा था कि कहीं कोई भी तकलीफ होती है, परेशानी होती है, कोई दुविधा में पड़ते हो रोल को लेकर तो सीधे मेरे पास आ जाना और वही आदत मेरी इस शो में भी जारी रही। थोड़ी भी परेशानी होती थी मैं सीधे सर के पास चली जाती थी और सर को देखकर सभी लोग बड़े आश्चर्य में पड़ जाते थे। कितने आसानी से मैं उनसे बात कर ले रही हूं। अब हुआ यह क इस शो के अंत तक आते-आते चाहे वह अरुणोदय हो, चाहे वह ताहिर हो या कोई भी हो सर से जाकर ऐसे घुल मिलकर बात करें कि मैं तो कहीं पीछे छूट गई। यही लोग सर की फेवरेट हो गए थे।
सीक्वल या प्रीक्वल बनाना कितना अधिक मुश्किल होता है। इसपर निर्देशक सिद्धार्थ सेनगुप्ता ने कहा, मुश्किल तो दोनों होती है सीक्वल जब हम बनाते हैं तब कोई लोग आपसे बड़ी एक्सपेक्टेशन से लेकर नहीं बैठ रहे होते हैं। आप काली काली आंखें का पहला जो भाग है, वह लोगों को बड़ा पसंद आया। अब बहुत जरूरी हो जाता है कि दूसरा पार्ट भी लोगों को उतना ही पसंद आए तो सीक्वल भी मुश्किल हो जाता है और फिर बात यह है कि सीख कर लिया।
प्रीक्वल हो, वह मुश्किल हो या आसान हो उससे ज्यादा बड़ी बात अब यह हो गई है कि लोगों का अटेंशन टाइम बहुत कम हो गया है। लोग शो या सीरीज को देखे उसको देख कर देखते ही रहे और पूरी सीरीज देख डालें। ऐसा करना बड़ी चुनौती भरा हो गया है। अब टीवी खोल कर आपको यह नहीं मालूम होता है कि आज हम क्या देखने वाले क्योंकि इतना सारा कंटेंट है आपके सामने क्या आप उसे चुन कर देख सकूं? मेरे हिसाब से तो आज के समय में सबसे ज्यादा मुश्किल होता है। लोगों को पकड़ कर रखना कि लोग आपका सिरीज देख ले।
गुरमीत आने वाले दिनों में और क्या-क्या प्रोजेक्ट कर रहे हैं और सिद्धार्थ जी को क्या आप को फिल्म निर्देशित करते हम देख सकेंगे?
इस बात का जवाब देते हुए गुरमीत कहते हैं। फिलहाल तो मैं काली काली आंखों के बारे में ही सोच रहा हूं। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर मेरा डेब्यू होना और वह भी नेटफ्लिक्स जैसे बड़े प्लेटफार्म पर भी होना बहुत बड़ी बात है। अभी तो मैं इसी के बारे में सोचता रहता हूं। मुझे बहुत खुशी इस बात की कि काली काली आंखें इस सीरीज के साथ था। मैं लोगों के सामने आ रहा हूं। नए रुप में हूं अपना बेस्ट करने की कोशिश की है।
सिद्धार्थ बताते हैं कि जो सामने आएगा, मैं वह करता रहूंगा। पहले जरूर ऐसा हुआ करता था कि मुझे थ्रिलर पसंद है। अलग-अलग फिल्में देखता रहता था तो मैं सोचता था कि फिल्म करूंगा तो इस इस तरीके की होगी लेकिन अब मेरी सोच बिल्कुल उलट हो गई है। अब लगता है कि कोई बेहतरीन स्क्रिप्ट होगी तो वह मुझे अपनी तरफ खींच लेगी। वह मुझे अपनी तरफ बुलाएगी और फिर उस फिल्म के लिए मैं काम करूंगा। जब वह होगा तो फिल्म भी बन जाएगी लेकिन फिलहाल तो सिर्फ पर ही ध्यान दे रहा हूं काली काली आंखें लोगों के सामने हैं। आशा करता हूं, लोगों को पसंद आएगी।