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Last Modified: मंगलवार, 5 फ़रवरी 2019 (14:01 IST)

एक मुस्लिम डायरेक्टर द्वारा तीन तलाक पर बनाई फ़िल्म 'कोड ब्लू' का बर्लिन फ़िल्म फ़ेस्टिवल में होगा प्रीमियर

एक मुस्लिम डायरेक्टर द्वारा तीन तलाक पर बनाई फ़िल्म 'कोड ब्लू' का बर्लिन फ़िल्म फ़ेस्टिवल में होगा प्रीमियर - Berlin Festival World Premiere for Code Blue, A Muslim woman director film on Triple Talaq
तीन तलाक जैसे संजीदा विषय पर आधारित और जल्द ही बर्लिन फ़िल्म फ़ेस्टिवल में प्रीमियर होने जा रही फ़िल्म 'कोड ब्लू' की निर्देशक अलीना खान ने जज़्बाती होते हुए कहा, "मेरी फ़िल्म तीन ऐसे लफ़्ज़ों पर आधारित है जो तीन सेकंड में लाखों महिलाओं की ज़िंदगी को बर्बाद कर देते हैं।" 
 
तीन तलाक एक ऐसी विवादित प्रथा है जिसके ज़रिए एक मुस्लिम मर्द को ये हक़ हासिल है कि वो तीन बार 'तलाक' बोलकर अपनी पत्नी को हमेशा के लिए छोड़ सकता है। वह तलाक न सिर्फ़ मौखिक रूप से दे सकता है बल्कि ऐसा वह लिखित रूप से और इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में भी कर सकता है। ऐसे में अलीना खान की फ़िल्म फ़ौरी तलाक से मुस्लिम समाज पर पड़नेवाले गहरे असर को रेखांकित करती है।
 
तीन तलाक मुस्लिम मर्द के लिए अपनी बीवी से छुटकारा पाने का सबसे आसान ज़रिया है और इसके लिए उसे किसी ठोस वजह की भी ज़रूरत नहीं महसूस होती है। इसकी वजह से निकाह हलाला की प्रथा को भी निभाना पड़ता है, जिसमें होता ये है कि अगर तलाकशुदा मुस्लिम महिला को अपने पहले पति के साथ दोबारा से रहना हो तो ऐसे में उस महिला को पहले दूसरी शादी करनी पड़ती है।  
 
मुस्लिम महिलाओं के संगठन भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) ने इस प्रथा के विरोध में पुरज़ोर अंदाज़ में अपनी आवाज़ को बुलंद किया था। प्रैक्टिसिंग मुस्लिम डॉक्टर अलीना खान ने‌ तीन तलाक की शिकार होकर बर्बाद होनेवाली महिलाओं की कहानी को फ़िल्म के माध्यम से कहने का फ़ैसला किया। 
मौखिक रूप से तलाक देनेवाली प्रथा के ग़लत इस्तेमाल की शिकार हुईं कई महिलाओं से मिलने‌ के बाद अलीना खान ख़ुद भी उसी तरह के ट्रॉमा से गुज़रीं। अलीना ने बताया, 'मैं एक बार एक ऐसी गर्भवती महिला से मिली, जिनके पति ने उन्हें बिना‌ किसी वजह से उन्हें तलाक दे दिया था। एक मुस्लिम मर्द को अपनी गर्भवती बीवी को तलाक देने का अधिकार नहीं है। इसके बावजूद वो शख़्स आज़ाद घूमता रहा। इसमें उसे न सिर्फ़ धार्मिक प्रतिनिधियों की मदद शामिल थी बल्कि उसका ये विश्वास भी गहरा था कि उसकी करतूत क़ुरान और हदीद द्वारा मान्य है।"
 
अलीना कहती हैं‌, "हमारे जैसे पूरी तरह से पितृसत्तात्मक समाज में उस महिला के लिए आत्मसम्मान के साथ जीना आसान नहीं है, जो फ़ौरी तौर पर दिए गए तलाक का शिकार हो गई हो, वो भी तब जब वो अशिक्षित हो और उसके पास कमाई का कोई साधन भी न हो। ऐसी महिलाएं आसानी से इस तरह के अन्याय का शिकार हो जाती हैं। मगर मैं चाहती हूं कि हर महिला सशक्त बने और अपने लिए लड़े। ऐसे में मुझे उम्मीद है 'कोड ब्लू' लाखों-करोड़ों महिलाओं को प्रेरित करेगी।"
 
तीन तलाक के कॉन्सेप्ट के बारे में अलीना खान कहती हैं कि पीड़ित महिलाओं के दर्द को समझने और उसे दुनिया के सामने लाने का सबसे अच्छा माध्यम कोई है तो वो फ़िल्म है। आज मुस्लिम महिलाएं अपने लिए कानूनी सुरक्षा चाहती हैं। ग़ैर-कानूनी होने के बावजूद फ़ौरी तौर‌ पर तलाक देने की प्रथा बदस्तूर जारी है और हम चाहते हैं कि इसे अपराध की श्रेणी में लाया जाए।"
बीएमएमए का सर्वे अलीना खान के विचारों से मेल खाता है। सर्वे से जाहिर होता है कि 90 फ़ीसदी भारतीय मुस्लिम महिलाएं एकतरफ़ा ढंग से तलाक देने के मनमाने फ़ैसले के ख़िलाफ़ हैं। ग़ौरतलब है कि पाकिस्तान और सऊदी अरब जैसे इस्लामिक देशों में तीन तलाक को मान्यता नहीं है, लेकिन तमाम कानूनों के बावजूद दुनिया के तमाम मुस्लिमों में से एक तिहाई मुस्लिम आबादी वाले भारत में ये प्रथा अब भी बरकरार है। 
 
अलीना खान के लिए इस विषय पर फ़िल्म बनाना कतई आसान नहीं था। उन्हें हर कदम पर विरोध का सामना करना पड़ा। अलीना खान ने इस पर हंसते हुए कहा, "मगर परिवार ने मेरा हमेशा साथ दिया और मेरे लिए इससे बढ़कर और क्या बात हो सकती है भला?" अलीना कहती हैं, "बदलाव की बातें करने का कोई मतलब नहीं है। ख़ुद हमें ही वो बदलाव बनना होगा, जो हम चाहते हैं।"
 
'कोड ब्लू' को राहत काज़मी फ़िल्म्स के सहयोग से बनाया गया है। फिल्म‌ में आलोकनाथ, रिषी भूटानी, सुष्मिता मुखर्जी और अलीना खान लीड रोल में नज़र आएंगे. जल्द ही बर्लिन फ़िल्म फ़ेस्टिवल में फ़िल्म का वर्ल्ड प्रीमियर होगा। 
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