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Written By BBC Hindi
Last Updated : गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020 (15:29 IST)

दिल्ली हिंसा : मुसलमानों ने जब मंदिर को दंगाइयों से बचाया

दिल्ली हिंसा : मुसलमानों ने जब मंदिर को दंगाइयों से बचाया - When Muslims saved the temple from rioters in Delhi violence
फैसल मोहम्मद अली (बीबीसी)
 
दिल्ली के उत्तर-पूर्वी हिस्से में जिन इलाक़ों में हिंसा फैली है, उनमें से एक है चांदबाग। यहां भी भीड़ आई और तबाही मचाकर चली गई। घर, गाड़ियां, मंदिर-मस्जिद इस कहर से लोग और इमारतें कुछ नहीं बचा पाया। लेकिन इस तनाव में भी इस इलाक़े के लोग भाईचारे के साथ मजबूती से खड़े हुए हैं। लोगों ने यहां डटकर उपद्रवियों का सामना किया और भाईचारे की मिसाल कायम की।
चांदबाग में जब एक मंदिर पर हमला हुआ तो उस इलाक़े में रहने वाले मुसलमानों ने एकजुट होकर मंदिर को बचाया। चांदबाग में रहने वाले मोहन सिंह तोमर ने बताया कि किस तरह हिंसा वाले दिन वहां रहने वाले मुसलमानों ने मंदिर को तोड़ने से बचाया था।
 
मोहन सिंह तोमर कहते हैं, 'यहां पर 17 प्रतिशत मुस्लिम हैं और 30 प्रतिशत हिन्दू और सभी बड़े प्यार से रहते आए हैं। हमें कोई तकलीफ़ नहीं है। हमारे मुसलमान भाईयों ने मंदिर की ख़ुद रक्षा की है। वहां आकर खड़े हो गए ताकि कोई आकर दंगा ना फैला दे।'
 
'पहले ऐसा कभी नहीं हुआ'
 
राजेंद्र कुमार मिश्रा चांदबाग में 40 सालों से रह रहे हैं और बताते हैं कि वहां कभी ऐसा नहीं हुआ। राजेंद्र मिश्रा ने कहा, 'हमारे इस इलाक़े में 3 मंदिर हैं। मुझे यहां रहते हुए 40 साल हो चुके हैं। हमारी कॉलोनी में आज जैसा हुआ है, ऐसा मैंने कभी नहीं देखा। दंगा-फसाद बाहर के लोगों ने किया है जिसे हम लोग भुगत रहे हैं। हम लोगों में इतना भाईचारा है कि होली में सब मिलकर काम करते थे। आज भी जो त्योहार आता है, चाहे ईद हो या राखी, उसमें सब मिलकर काम करते हैं।'
'चांदबाग का उसमें कोई आदमी नहीं था। हमारी गली में भी करीब 50-60 आदमी आए थे जिसमें चांदबाग का कोई बच्चा नज़र नहीं आया था। मैं बाहर ही खड़ा हुआ था। इसके बाद मेरा झगड़ा हो गया।' राजेंद्र मिश्रा ने भी बताया कि किस तरह पुलिया से लौटते वक़्त वहां रहने वाले मुसलमानों ने लोगों को बचाया।
 
वे कहते हैं, 'चांदबाग वाली पुलिया तोड़ दी है। वहां पर हम क़रीब 15-20 आदमी गए हुए थे। हममें मुसलमान और हिन्दू दोनों थे। वहां से वापसी आने पर रास्ते में एक जैन स्टोर पड़ता है, परचून का। तो यह सही बात है कि इन लोगों ने बहुत ही बचाव किया है। हमारे लोगों पर तो इनकी मेहरबानी है। आज हिंसा हुई है, हम बड़े-बड़े आदमी सामने आएंगे और बच्चों को रोकेंगे, हिंसा नहीं होने देंगे।'
 
मोहन सिंह तोमर ने कहा कि जब हमारे भाई साथ हैं तो सब सुरक्षित है। सब लोग इकट्ठे हैं और ऐसे ही रहेंगे। अभी जिस तरह भीड़ को हटा रहे हैं वैसे ही हटाते रहेंगे।
 
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में बीते कुछ दिनों से हिंसा की घटनाएं हो रही हैं। इलाक़े में हालात बिगड़े हुए हैं और तनाव पसरा हुआ है। कई इलाक़ों में हिंसा और आगज़नी की घटनाएं हुई हैं। जाफ़राबाद, भजनपुरा, खजूरी ख़ास इलाक़ों में झड़पें और पथराव के मामले भी सामने आए।
3 दिनों तक जारी हिंसा को लेकर बुधवार को दिल्ली पुलिस ने कहा था कि अब अधिकतर इलाक़ों में शांति क़ायम हो गई है। दिल्ली हिंसा में मरने वालों की संख्या अब 32 तक पहुंच चुकी है। इस हिंसा में सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए हैं।
 
समाचार एजेंसी पीटीआई ने स्वास्थ्य विभाग एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा है कि अब तक हिंसा के कारण मरने वालों की कुल संख्या 32 पहुंच चुकी है। इस हिंसा को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट करके दिल्ली के लोगों के शांति और भाईचारा कायम करने की अपील की है।
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