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Written By BBC Hindi
Last Modified: मंगलवार, 18 जनवरी 2022 (07:36 IST)

पंजाब चुनाव: पीएम नरेंद्र मोदी की 'सुरक्षा में चूक' और अरविंद केजरीवाल की 'नई सियासत' पर क्या बोले नवजोत सिंह सिद्धू

पंजाब चुनाव: पीएम नरेंद्र मोदी की 'सुरक्षा में चूक' और अरविंद केजरीवाल की 'नई सियासत' पर क्या बोले नवजोत सिंह सिद्धू - Sidhu on PM Modi security breach and Kejriwal new politics
अरविंद छाबड़ा, बीबीसी संवाददाता
पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए मतदान अब 14 फ़रवरी की जगह 20 फ़रवरी को होगा एक ओर जहां मतदान की नई तारीख़ का एलान हो चुका है वहीं राजनीतिक दल भी अपनी ओर से कोई कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहते। पंजाब में सियासत की लड़ाई यूं भी कांटे की होती है, लेकिन इस बार हो रहा ये चुनाव कई मायनों में ख़ास बन गया है।
 
जहां एक ओर सत्तारूढ़ कांग्रेस सत्ता में लौटने के लिए हर कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी तरफ़ अकाली दल और बहुजन समाज पार्टी अपने गठबंधन के साथ सत्ता हासिल करने के प्रयास में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। पिछले विधान सभा चुनाव में मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर उभरी आम आदमी पार्टी इस बार पहले से अधिक आक्रामक नज़र आ रही है।
 
वहीं कांग्रेस छोड़कर जाने वाले पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई राजनीतिक पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस पर भी सबकी निगाहें हैं, जो भारतीय जनता पार्टी और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींढसा की शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के साथ मिल कर चुनावी मैदान में उतर रही है।
 
इसके अलावा एक नई पार्टी जिसे किसान आंदोलन में शामिल 22 किसान संगठनों ने मिलकर बनाया है, वो भी मैदान में है।
 
लेकिन कांग्रेस पार्टी के लिए यह चुनाव ख़ुद को साबित करने वाली लड़ाई है पहली वजह तो यही है कि एक समय में कांग्रेस आलाकमान के विश्वसनीय रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह इस बार विरोधी ख़ेमे में हैं और दूसरी कि पार्टी ने कुछ ही महीने पहले एक नया मुख्यमंत्री बनाया है, जो बहुत चर्चित चेहरा नहीं था ऐसे में सत्ता में वापसी करना कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती है।
 
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू से बीबीसी संवाददाता अरविंद छाबड़ा ने आगामी चुनाव, सीएम कैंडिडेट, मुख्यमंत्री चन्नी और विपक्षी दलों से जुड़े कई अहम सवाल पूछे पढ़िए, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष के जवाब-
 
सवाल-अकाली दल अपने सीएम पद के चेहरे की घोषणा कर चुकी है आने वाले दिनों में आम आदमी पार्टी भी अपने सीएम फ़ेस की घोषणा कर देगी, लेकिन आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले क्या कांग्रेस अपने सीएम पद के उम्मीदवार की घोषणा करेगी?
जवाब- देखिए, 70 साल जिन्होंने पार्टी चलाई, जिन्होंने देश को आज़ादी दिलाई, जिन्होंने इस देश के संविधान निर्माताओं को जन्म दिया, वो पार्टी कोई कच्चा फल नहीं है। वह पका हुआ फल है। उसमें बीज भी है और रस भी है। उसमें फ़्यूचरिस्टिक इन्वेस्टमेंट भी है। इसलिए वे सयाने हैं। वो बेहतर जानते हैं कि कब क्या करना है। बतौर पार्टी हमें अनुशासित सैनिकों की तरह काम करना होता है। जो अनुशासन पालेगा, वही शासन पा लेगा।
 
सवाल- लेकिन क्या कांग्रेस पार्टी सीएम पद का उम्मीदवार घोषित करने में देर नहीं कर रही, बाक़ी पार्टियाँ कर चुकी हैं, अकाली दल भी घोषणा कर चुकी है।
जवाब- धरती पर डायनासोर दोबारा जन्म ले सकते हैं, लेकिन अकाली दल दोबारा नहीं आ सकती है। उसका क्या महत्व है। चौदह सीटें मिली थीं पिछले चुनाव में। गुरु की बेअदबी कराने वाले लोग, खुले सांडों की तरह घूम रहे हैं। यह एक सिस्टम को चेंज करने की लड़ाई है। हाँ, ये ठीक है कि आम आदमी पार्टी पहले भी रेस में थी। लेकिन वो पिछली बार भी कहा करते थे कि 110 सीटें आएंगी लेकिन कितनी सीटें आईं। ये जो सर्वे हैं, पचास-पचास लाख रुपये देकर, सोशल मीडिया पर पैसे देकर, बूस्टिंग करवाकर, ये सब बकवास चीज़ें हैं। लोग बहुत सयाने हैं।
 
सवाल- क्या आप कांग्रेस पार्टी के सीएम कैंडिडेट होंगे?
जवाब- मेरी सिर्फ़ एक ही तमन्ना है कि मैं पंजाब में सिस्टम को बदलने का एक ज़रिया बनूँ । एक नए सिस्टम के निर्माण का ज़रिया बनूं। जो सिस्टम पंजाब के रिसोर्सेज़ की चोरी करके उसे निजी जेबों में डाल रहा है, उसे उन जेबों से निकालकर पंजाब के ख़जाने में डालूं। वो तीस हज़ार करोड़ रुपये सरकारी ख़ज़ाने में आएं। टैक्सेस की कम्प्लाएंसेंस को बढ़ाकर सेंटर की स्कीम में डालिए, जैसे बड़े बड़े राज्य आत्मनिर्भर होने के लिए करते हैं, तो पंजाब खड़ा हो सकता है। लेकिन अगर क़र्ज़ लेकर क़र्ज़ वापिस करोगे और स्टेट के रिसोर्सेज़ को खाते रहोगे तो सोने का अंडा देने वाली मुर्ग़ी भी मर जाएगी।
 
क्या आपने कोई ऐसा घर देखा है जो दस करोड़ का हो और सौ करोड़ का उस पर क़र्ज़ हो… क्या बर्तन बेचकर आप घर चलाएँगे। उचित को जानकर उस पर अमल नहीं करना, ये कायरता का आभास है। सयाना आदमी वो है जो बादलों को देखकर जामा पहनता है। प्रीवेंटिव मैकेनिज़्म चाहिए। सूबा कैसे चलेगा, जब तक आप चोरी नहीं बंद करेंगे। तब तक आप एक नए सिस्टम का निर्माण नहीं कर पाएंगे।
 
सवाल- कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस छोड़ने के पीछे आपकी भूमिका की बात कही जाती है।।।
जवाब- (सवाल को बीच में ही काटते हुए) मैंने नहीं हटवाया उन्हें। कांग्रेस की सीएलपी की मीटिंग हुई थी और उसमें 78 विधायकों ने उनके ख़िलाफ़ वोट किया और हटाया।
 
सवाल- कैप्टन अमरिंदर सिंह के हटने के बाद चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया। जिस तरह से चन्नी काम कर रहे हैं क्या आप उससे संतुष्ट हैं?
जवाब- संतुष्टि मेरी नहीं, पंजाब के लोगों की चाहिए। अगर पंजाब के लोग संतुष्ट होंगे तो सरकार दोबारा बन सकती है और अगर लोग संतुष्ट ना हुए और वो विश्वसनीयता, वो भरोसा, वो टूटा हुआ भरोसा हम वापस हासिल नहीं कर सके तो मैं यह मानता हूँ कि फिर बहुत बड़ा नुक़सान हो जाएगा।
 
सवाल- जिस तरह से आप चीज़ें चाहते थे क्या अब मौजूदा सरकार में उस तरह से चीज़ें हो रही हैं?
जवाब- देखिए, कोई मुकम्मल नहीं है। हाँ ये है कि हम बेहतर करने का प्रयास करें। कहीं ना कहीं लोगों में एक आस और उम्मीद जगी है और आस-विश्वास की राजनीति से बड़ी दुनिया में कोई ताक़त नहीं। लोगों के बीच अच्छा किरदार लेकर जाएं और वो विश्वसनीयता पाएं। अमरिंदर सिंह के राज में कांग्रेस वो विश्वसनीयता खो चुकी थी। 10 प्रतिशत सेवा थी और 90 फ़ीसदी मेवा था। पहले पहुँच नहीं थी, आज वो सब कुछ है।
 
सवाल- पहले आप कैप्टन अमरिंदर सिंह की आलोचना करते थे और अब आप मुख्यमंत्री चन्नी की योजनाओं पर बोलते हैं…
जवाब- (सवाल को बीच में ही काटते हुए) मैं बिल्कुल भी ऐसा नहीं करता हूँ। बिल्कुल भी ऐसी बात नहीं है। मैं ये कहता हूँ कि धरती पर उतरना चाहिए और वो बजट आवंटन से आएगा, घोषणाएँ कर देने से नहीं आएगा। मैं ये कहता हूँ कि पॉलीसीज़ से लोगों का उत्थान होना चाहिए। गंभीरता से की गई रिसर्च से लोगों का उत्थान होना चाहिए। सिर्फ़ घोषणाओं से कुछ नहीं होगा।
 
सवाल- फिर वो आपकी बात सुनते क्यों नहीं हैं?
जवाब- वो मुख्यमंत्री हैं। वो प्रशासनिक प्रमुख हैं। जिसे एडमिनिस्ट्रेशन की ताक़त मिल जाती है, मुख्यमंत्री के पास पूरी ताक़त है, तो वो अपने तरीक़े से काम करेगा। लेकिन मैं कोई नहीं जज करने या परखने वाला। ये लोगों के ऊपर है कि वो देखें। आदमी जब मुख्यमंत्री बन जाता है तो उसे हर निर्णय लेने की छूट होती है और जज करने की ताक़त पंजाब के लोगों के पास है। इसमें मैं कहीं नहीं आता हूँ।
 
सवाल- अमरिंदर सिंह सरकार के दौर के कुछ मंत्री, अभी भी मंत्री हैं और वे चुनाव भी लड़ने वाले हैं। उनके बारे में आप क्या सोचते हैं?
जवाब- अगर आप सिस्टम में एक ईमानदार शख़्स को ऊपर बिठा देंगे तो पापी तो नहीं मरेंगे, लेकिन पाप ज़रूर मर जाएगा। एक नए सिस्टम के साथ काम करना पड़ेगा। ये सिस्टम करप्ट है। ये सिस्टम लोगों से पाप करवाता है। मैंने तो कहा है कि पंजाब के लॉ एंड ऑर्डर को छोड़कर पंजाब की हर समस्या का हल इनकम है। इस इनकम को सुलझा लो, हर गुत्थी सुलझ जाएगी।
 
सवाल- आने वाले चुनावों में कांग्रेस को कहां खड़ा देखते हैं?
जवाब- मैं चुनावों के मद्देनज़र कांग्रेस को एक बहुत प्रॉमिस लेकर आने वाली पार्टी के रूप में देखता हूँ। कांग्रेस पॉलिसी में बदलाव लेकर आएगी। एक हज़ार वादे नहीं 10-12 वादे और अगर वो भरोसे योग्य हुए, अगर वो साधारण लेकिन लोगों के मन को छूने वाले हुए तो कांग्रेस दोबारा ताक़त में आ सकती है और आज उस कगार पर खड़ी है।
 
सवाल- आम आदमी पार्टी ने कुछ दिनों पहले घोषणा की है कि उनका सीएम कैंडिडेट लोग तय करेंगे। आप की क्या टिप्पणी है?
जवाब- तो क्या जब अरविंद केजरीवाल दिल्ली के सीएम बने थे तो लोगों ने तय किया था पहले? लोगों ने वोट किया वो सही है, लेकिन वो तो ख़ुद ही घोड़ी पर चढ़ गए थे। ये ड्रामा क्यों? पिछली बार लोगों से क्यों नहीं तय करवाया…इस बार क्यों कहा जा रहा है कि हम नहीं अनाउंस करेंगे। वो ख़ुद मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। आप देखेंगे कि पिछली बार आम आदमी पार्टी हारी ही इस वजह से थी। तब क्यों नहीं लोगों की सूझी। तब क्यों रिमोट कंट्रोल से दिल्ली से चलाना था।
 
सवाल- लेकिन वो तो कह चुके हैं कि वो रेस में नहीं हैं…
जवाब- वो तो पिछली बार भी यही कहते थे लेकिन सब लोग कहते थे कि वही रेस में हैं। कुमार विश्वास ने उनका भंडा फोड़ा कि नहीं फोड़ा। ये आदमी इतना असुरक्षित है कि वो किसी अच्छे लीडर को ऊपर आने ही नहीं देना चाहता है।
 
सवाल- प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक पर आप क्या सोचते हैं?
जवाब- वो सुरक्षा में चूक नहीं थी। पीएम की रैली में लोग नहीं इकट्ठा हुए थे। वो बीजेपी की विफलता थी। वो बीजेपी की सहयोगी पार्टी की विफलता थी। तो उसको ढकने के लिए ये स्वाँग रचा गया। वरना पीएम के पास एसपीजी सुरक्षा होती है और दसियों हज़ार लोग ऐसे हैं जो पंजाब पुलिस पर निर्भर नहीं हैं। उनका हेलिकॉप्टर अगर वहाँ उड़ता तो इतिहास हो जाता कि 70,000 कुर्सियों पर सात सौ लोगों को पीएम कैसे संबोधित करते।

दिल्ली की सीमा पर किसान डेढ़ साल तक रहे किसी ने उफ़्फ़ तक नहीं की। उन्हें ख़ालिस्तानी कहा गया, मवाली कहा गया, लेकिन किसी ने उफ़ तक नहीं की। विरोध तो हो सकता है लेकिन जान को ख़तरा, वाली बात को मैं बिल्कुल भी मानने को तैयार नहीं हूँ। वो हमारे पीएम हैं, इज़्ज़तदार हैं, उनका सम्मान होना चाहिए। हर जगह होना चाहिए। लेकिन क्योंकि पतली गली से निकलना था तो कोई बहाना चाहिए था इसलिए ये सुरक्षा में चूक का स्वाँग रचा गया।
 
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