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Written By BBC Hindi
Last Modified: शुक्रवार, 27 मार्च 2020 (14:12 IST)

कोरोना वायरस: यूरोप का एकमात्र देश जिसे नहीं है कोविड-19 का डर

कोरोना वायरस: यूरोप का एकमात्र देश जिसे नहीं है कोविड-19 का डर - only country in Europe not fearing from Corona
बीते कुछ दिनों से यूरोप कोरोना वायरस महामारी का केंद्र बना हुआ है। कई देशों में सरकारें लोगों से घरों में बंद रहने के लिए कह रही हैं और वायरस को फैलने से रोकने के लिए पाबंदियां लगा रही हैं।
 
लेकिन यूरोप में एक देश ऐसा भी है जहां अधिकारी इस वायरस के बढ़ते कदमों को रोकने के लिए आम जनजीवन पर पाबंदियां नहीं लगा रहे।
 
कोरोना महामारी से निपटने के लिए बेलारूस अपने निकट पड़ोसी यूरोपीय देश, यूक्रेन और रूस की तरह कड़े कदम नहीं उठा रहा।
 
यूक्रेन जल्द ही कोरोना को रोकने के लिए आपातकाल का ऐलान कर सकता है। रूस ने सभी स्कूलों को बंद कर दिया है, सार्वजनिक कार्यक्रमों पर पाबंदी लगाई है और देश से आने जाने वाली सभी उड़ानों को भी रद्द किया है। लेकिन बेलारूस में कामकाज आम दिनों की तरह ही चल रहा है।
 
देश की सीमाएं पहले की तरह खुली है, लोग काम पर जा रहे हैं और लोग ज़रूरी सामान खरीदने के लिए दुकानों में तरफ नहीं भाग रहे।
 
'दहशत की ज़रूरत नहीं'
बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्ज़ेंडर लूकाशेन्को कहते हैं कि फिलहाल देश में कोरोना को पैर पसारने से रोकने के लिए ऐहतियातन कदम उठाने की ज़रूरत नहीं है।
 
मंगलवार को मिंस्क में चीन के राजदूत से मुलाक़ात के बाद उन्होंने कहा, "घटनाएं तो होती रहती हैं। ज़रूरी है कि उन्हें लेकर लोगों में दहशत न फैले।"
 
बेलारूस में न तो सिनेमाघर और थिएटर बंद किए गए हैं और न ही यहां सार्वजनिक कार्यक्रम करने पर किसी तरह को पाबंदी लगाई गई है।
 
बेलारूस दुनिया के उन चंद देशों में से है जिसने यहां होने वाली फ़ुटबॉल चैंपियनशिप कैंसिल नहीं की है।
 
यहां हो रहे फ़ुटबॉल मैच सामान्य दिन की तरह कराए जा रहे हैं और पड़ोसी रूस के फ़ुटबॉल प्रेमियों के लिए टेलीविज़न पर भी मैचों का सीधा प्रसारण भी किया जा रहा है।
 
'कोरोना वायरस को रोकेगा ट्रैक्टर'
राष्ट्रपति लूकाशेन्को ने हाल में कहा था कि "कोरोना वायरस को एक ट्रैक्टर रोकेगा"। उनका ये बयान बेलारूस के सोशल मीडिया पर सुर्खियों में रहा और लोगों ने इस पर चर्चा की, कइयों ने इस बयान का मज़ाक भी बनाया।
 
हालांकि राष्ट्रपति का बयान खेतों में मेहनत करने को लेकर था। उन्होंने ये भी कहा था कि वो ख़ुद शराब नहीं पीते हैं लेकिन कोरोना को रोकने के लिए पीना पड़ा तो वो एक घूंट वोदका तो पी ही सकते हैं।
 
हालांकि बेलारूस के आम नागरिक पूरी दुनिया में हो रहे कोरोना के कहर से ख़बरों से वाकिफ़ हैं और वो इस वायरस के बढ़ते कदमों को लेकर चिंता में हैं।
 
मिंस्क में कई युवा और स्कूली छात्र बीमारी का बहाना बना तक छात्रों से भरी क्लास में जाने से बच रहे हैं।
 
छात्रों की परेशानी कम करने के लिए कॉलेज और युनिवर्सिटीज़ ने अपने क्लासेस का वक़्त कुछ घंटे पहले कर दिया है, ताकि छात्र सार्वजनिक परिवहन में होने वाली भीड़ से बच सकें।
 
मिंस्क की सड़कों पर लोग कम ही दिख रहे हैं और लोगों का कहना है कि उन्हें पता है कि बूढ़े लोगों को इस वायरस से अधिक ख़तरा है। लेकिन कोरोना को लेकर इस तरह का कोई जागरूकता अभियान अधिकारियों की तरफ से नहीं कराया जा रहा।
 
राष्ट्रपति लूकाशेन्को ने कहा है कि इस कारण चिंता करने की कोई बात नहीं है क्योंकि विदेशों से बेलारूस आने वाले सभी लोगों के कोरोना वायरस टेस्ट कराए जा रहे हैं।
 
वो दावा करते हैं कि, "एक दिन में दो या तीन लोगों के टेस्ट के नतीजे पॉज़िटिव आ रहे हैं। ऐसे मामलों में उन्हें क्वारंटीन में भेजा जा रहा है और फिर उन्हें डेढ़ सप्ताह या दो सप्ताह बाद छोड़ा जा रहा है।"
 
'अफ़वाह फैलाने वालों को नहीं बख्शेंगे'
लूकाशेन्को कहते हैं कि चिंता करना और मानसिक तनाव लेना बेहद ख़तरनाक़ है, शायद ये वायरस से भी अधिक घातक है।
 
उन्होंने देश की ख़ुफ़िया एजेंसी बेलारूसी केजीबी को, "आम लोगों के बीच अफ़वाह फैलाने और दहशत फैलाने वालों को पकड़ने" का आदेश दिया है।
 
अब तक देश में कोरोना वायरस के कुल 86 मामले सामने आए हैं और यहां इस कारण मात्र दो मौतें हुई हैं। बेलारूस ने आधिकारिक तौर पर इस बात की पुष्टि नहीं की है कि मौतों का कारण कोरोना है लेकिन माना जा रहा है कि इन मौतें का कारण वायरस ही है।
 
बेलारूस कई अर्थों में यूरोप के दूसरे देशों से अलग है। ये यूरोप का आख़िरी ऐसा देश है जहां अब भी मौत की सज़ा का प्रावधान है।
 
देश की विपक्षी एक्टिविस्ट एंड्रे किम सरकार के कड़े आलोचक रहे हैं, लेकिन इस मामले में वो राष्ट्रपति की बात से इत्तेफाक़ रखते हैं।
 
किम ने अपने फ़ेसबुक पन्ने पर लिखा कि लूकाशेन्को बिल्कुल सही हैं क्योंकि "अगर वो पूरे देश के लोगों पर बाहर निकलने से जुड़े प्रतिबंध लगाते हैं तो बेलारूस की अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी। यहां चीज़ें अलग हैं और बेलारुस फिलहाल दुनिया का ऐसा एक मात्र देश है जहां सरकार लोगों का भला सोच कर काम करती है न कि जनकल्याणकारी योजनाओं पर निर्भर करती है।"
 
"मैं मानता हूं कि ये कहने पर मुझे कड़ी आलोचना झेलनी पड़ेगी लेकिन जब हर तरफ पागलपन हो तो आप चुप नहीं रह सकते।"
 
वो कहते हैं "पागलपन" से मेरा मतलब कोरोना वायरस को लेकर दुनिया भर में जिस तरीके के कदम उठाए जा रहे हैं उनसे है। वो कहते हैं कि कुछ न कर के वो बेलारूस को दहशत से दूर रख रहे हैं।
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