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Written By BBC Hindi
Last Modified: बुधवार, 25 मार्च 2020 (12:22 IST)

कोरोना वायरस : भारत में 21 दिन के लिए लॉकडाउन क्यों?

कोरोना वायरस : भारत में 21 दिन के लिए लॉकडाउन क्यों? - Corona Virus : 21 days lockdown
मंगलवार रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले 21 दिन तक देश की जनता को घर में क़ैद रहकर कोविड-19 बीमारी को हराने का फ़ैसला सुनाया, तो लोगों के मन में कई सवाल आए? आख़िर 21 दिन ही क्यों? क्या ये आगे भी बढ़ सकता है? इससे आख़िर क्या हासिल होगा?
 
हालांकि पिछले तीन महीने से विश्वभर में फैले इस महामारी से निपटने के लिए हर देश लॉकडाउन का तरीका ही अपना रहा हैं। इस लिहाज़ से अब ये शब्द जनता के लिए नया नहीं रह गया है। 
 
क्या हैं लॉकडाउन के मायने? : लॉकडाउन एक तरह की आपातकालीन व्यवस्था को कहा जाता है। जिसके तहत सार्वजनिक यातायात के साथ-साथ निजी प्रतिष्ठानों को भी बंद कर दिया जाता है। मौजूदा वक़्त में हेल्थ इमरजेंसी के तहत देश के तमाम हिस्सों में लॉकडाउन लगाया गया है।
 
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने सोमवार को प्रेस ब्रीफ़िंग में लॉकडाउन के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन जनता के बीच पहले से प्रचलित शब्द है। इस दौरान जो भी क़दम उठाए जा रहे हैं या आगे उठाए जाएंगे वो एपिडेमिक डिज़ीज़ एक्ट, डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट, आईपीसी और सीआरपीसी के तहत लिए जा रहे हैं।
 
लव अग्रवाल ने साथ ही यह भी कहा कि जब हम लॉकडाउन शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं तो यह साफ़ करना चाहते हैं कि इस दौरान बेहद ज़रूरी सेवाओं के अलावा अन्य चीजों को बंद किया जाएगा। इससे संक्रमण के फैलने की दर को कम किया जा सकेगा। इसके साथ ही लॉकडाउन के दौरान जो मामले पॉज़िटिव पाए जाएंगे, उन्हें नियंत्रित तरीक़े से मैनेज किया जा सकेगा।
 
21 दिन के लिए ही लॉकडाउन क्यों? : इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है। लेकिन जानकारों के अनुसार इसके पीछे की वजह है कोरोना वायरस का चरित्र। डॉक्टर सुरेश कुमार राठी पब्लिक हेल्थ फ़ाउंडेशन ऑफ इंडिया में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
 
बीबीसी से बातचीत में उन्होंने बताया कि इस वायरस का 'इनक्यूबेशन पीरियड' 14 दिन का होता है। यानी 14 दिन के अंदर कभी भी इसके संक्रमण का पता चल सकता है। उसके बाद 5-7 दिन तक ये दूसरों को फैला सकता है। वायरस के इस लाइफ़-साइकल को ब्रेक करने के लिए सरकार ने 21 दिन का फ़ैसला लिया है।"
 
डॉक्टर राठी का दावा है कि डॉक्टरों और एक्सपर्ट की सलाह पर ही 21 दिन लॉकडाउन रखने का फ़ैसला लिया गया है।
 
तो क्या आगे नहीं बढ़ेगा लॉकडाउन? : ये इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत में रोज़ कितने मरीज़ अब भी आ रहे हैं। भारत सरकार पूरी पहल इस बात के लिए कर रही है कि कोरोना संक्रमण को तीसरे चरण में जाने से रोक दिया जाए। अगर इस लॉकडाउन के ज़रिए हम संक्रमण के चेन ऑफ़ ट्रांसमिशन को रोक देंगे, तो हो सकता है कि लॉकडाउन ज्यादा दिन तक ना चले। लेकिन अगर ये बीमारी तीसरे चरण में पहुंच गई तो लॉकडाउन महीनों तक चल सकता है।
 
क्या लॉकडाउन एक सही फ़ैसला? : कोरोना के तेज़ी से बढ़ते ख़तरे को देखते हुए कई देशों में लॉकडाउन किया गया है। इसकी शुरुआत चीन से हुई। इसके बाद अमेरिका, इटली, फ्रांस, आयरलैंड, ब्रिटेन, डेनमार्क, न्यूज़ीलैंड, पोलैंड और स्पेन में भी कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए इसी तरीके को अपनाया गया। लेकिन लॉकडाउन पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक वरिष्ठ अधिकारी के बयान ने इस तरीके पर सवाल उठा दिए है।
 
डब्ल्यूएचओ के एग्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर माइक रायन ने कहा कि कोरोना वायरस को रोकने के लिए सिर्फ़ लॉकडाउन किया जाना ही कारगर तरीका नहीं है।
 
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने माइक रायन के हवाले से कहा कि लॉकडाउन के साथ-साथ सभी देशों को कोरोना वायरस की सही तरह से टेस्टिंग भी करनी होगी। क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता है और जब लॉकडाउन ख़त्म किया जाएगा तो कोरोना का संक्रमण बहुत तेज़ी से फैलने लगेगा। माइक ने अपना यह बयान अमेरिका के संदर्भ में पूछे गए सवाल के जवाब में दिया।
 
उन्होंने बताया कि सभी देशों की सामाजिक संरचना अलग-अलग, है लेकिन सिर्फ लोगों को घरों में रखने से ही संक्रमण को रोक नहीं सकते।
 
जब बीबीसी ने डब्ल्यूएचओ से भारत के संदर्भ में सवाल पूछा कि भारत में लॉकडाउन कितना कामयाब हो सकता है? इस पर डब्ल्यूएचओ के दक्षिण-पूर्वी एशिया में स्थानीय आपातकालीन सेवाओं के निदेशक डॉक्टर रॉड्रिको ऑफ़रिन ने लिखित जवाब दिया।
 
उन्होंने अपने जवाब में लिखा कि कोविड-19 के संक्रमण को रोकने की दिशा में भारत सरकार ने जो क़दम उठाए हैं वो सराहनीय हैं। भारत सरकार ने 75 ज़िलों में लॉकडाउन किया साथ ही ट्रेन और बस सेवाओं को रोकने का फैसला किया। इससे संक्रमण के फ़ैलने की दर में कमी आएगी। लेकिन इसके साथ ही लगातार टेस्टिंग और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग को भी बढ़ाना होगा।
 
आईसीएमआर की स्टडी के मुताबिक भी आईसोलेशन, लॉकडाउन जैसे कदम उठाकर भारत कोविड19 के मरीज़ों की संख्या 62 फीसदी से 89 फीसदी कम कर सकता है। भारत में कोरोना वायरस संक्रमितों का आंकड़ा 500 के पार पहुंच चुका है साथ ही इससे मरने वालों की संख्या भी 9 हो चुकी है।
 
लव अग्रवाल के मुताबिक, जब लॉकडाउन के तहत लोग घरों में रहेंगे तो इस संक्रमण को नियंत्रित करने में भी निश्चित तौर पर मदद मिलेगी। स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस ब्रीफिंग के दौरान ही गृह मंत्रालय की तरफ से एक अधिकारी पुण्य सलिला श्रीवास्तव भी मौजूद रहीं।
 
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के दौरान जितनी भी पाबंदियां लगाई गई हैं, उन्हें सख्ती से लागू करवाने के लिए सभी राज्यों के डीजीपी की बैठक भी करवाई गई और निर्देश दिए गए कि जो भी इन पाबंदियों का पालन नहीं करेगा उनके ख़िलाफ़ सख्त कदम उठाए जाएंगे। सवाल उठता है कि भारत में लॉकडाउन कितना कारगर हो सकता है?
 
इसे लेकर दिल्ली स्थित एम्स हॉस्पिटल में आरडब्ल्यूए (रेजिडेंट डॉक्टर्स वेलफेयर) के पूर्व अध्यक्ष हरजीत भाटी बहुत अधिक आश्वान्वित नहीं दिखते।
 
हरजीत भाटी कहते हैं कि लॉकडाउन करने का एक ही मक़सद होता है कि लोग एक-दूसरे के संपर्क में ना आएं। लेकिन भारत में इसे पूरी तरह से लागू कर पाना संभव नहीं है। हम देख चुके हैं कि जनता कर्फ्यू के दौरान भी लोग शाम के वक़्त रैलियां निकालते हुए सड़कों पर आ गए थे। बस उम्मीद की जा सकती है कि इस बार ये 21 दिन का किया गया है तो लोगों को बीमारी कितनी ख़तरनाक है इसका अंदाज़ा लग गया होगा।
 
हरजीत भाटी कहते हैं कि सेल्फ क्वारंटाइन या आइसोलेशन जैसी चीज़ें भारतीय लोगों के लिए बहुत नई हैं। वो कहते हैं कि सरकार बहुत देरी से कदम उठा रही है। हरजीत कहते हैं कि अब हम तीसरी स्टेज की तरफ़ जा रहे हैं, इसके आलावा अब कोई दूसरा रास्ता भी नहीं बचा था"।
 
हालांकि, डॉक्टर सुरेश कुमार राठी का मानना है कि लॉकडाउन एक बेहतर फ़ैसला है, सरकार ने इसे सही वक़्त पर लिया है। डॉक्टर सुरेश कुमार राठी पब्लिक हेल्थ फ़ाउंडेशन ऑफ इंडिया में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
 
डॉक्टर राठी कहते हैं कि सरकार ने लॉकडाउन करके बहुत सही कदम उठाया है लेकिन सब कुछ अकेले सरकार ही नहीं कर सकती। आम लोगों को भी सरकार का साथ देना होगा और खुद को एक-दूसरे के संपर्क में आने से रोकना होगा।
 
कुल मिलाकर सरकार की तरफ से किया गया लॉकडाउन एक ज़रूरी कदम तो है लेकिन इसके साथ ही हमें टेस्टिंग और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग को भी बढ़ाना होगा ताकि लोगों को बेहतर इलाज मिल सके।
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