सुरेखा अब्बूरी, बीबीसी संवाददाता
तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद की सड़कें भगवा और गुलाबी रंगों से रंगी हुई हैं। भारतीय जनता पार्टी की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की शनिवार से शुरू हुई बैठक ने शहर का रंग बदल दिया है लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या इससे तेलंगाना और दक्षिण भारत के बाकी राज्यों के वोटरों पर भी पार्टी का रंग चढ़ पाएगा।
भारतीय राजनीति पर नज़र रखने वाले कई विश्लेषकों की राय है कि बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का एक अहम मक़सद ये भी है। हालांकि, तेलंगाना की सत्ताधारी टीआरएस बीजेपी की इस कोशिश के रास्ते में कई अवरोध खड़े करने को तैयार है।
बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में तीन सौ से ज़्यादा प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। इनमें कई केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री और पार्टी के बड़े पदाधिकारी हैं। लेकिन सबसे ज़्यादा चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हो रही है।
योगी आदित्यनाथ रविवार सुबह भाग्यलक्ष्मी मंदिर में दर्शन करके आए हैं। इसके भी सांकेतिक महत्व देखे जा रहे हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की शुरुआत शनिवार को हो चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी भी शनिवार को ही हैदराबाद पहुंच गए। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के। चंद्रशेखर राव का उनके स्वागत के लिए हवाई अड्डे न जाना सुर्खियों में रहा।
उन्होंने प्रधानमंत्री पर निशाना भी साधा। बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और दूसरे नेताओं ने उन पर पलटवार किया।
बैठक के दूसरे दिन शनिवार को सुबह 10 बजे से साढ़े तीन बजे तक कई सत्र होंगे और उसके बाद सिकंदराबाद के परेड ग्राउंड पर प्रधानमंत्री मोदी की रैली होगी। बीजेपी इस रैली की ज़रिए राज्य में अपनी ताक़त दिखाना चाहती है।
हैदराबाद को क्यों चुना गया?
साल 2004 के बाद तेलंगाना में बीजेपी की ये पहली अहम बैठक है। इस वक़्त इस शहर को चुनने के कई मायने निकाले जा रहे हैं। विश्लेषकों की राय है कि पार्टी दक्षिण भारत में दायरा बढ़ाने के अपने मंसूबों को साफ़ कर चुकी है और यहां से बिगुल बजा रही है। बीजेपी अब तक दक्षिण भारत में कर्नाटक को छोड़ किसी और राज्य में दबदबा नहीं दिखा पायी है।
तेलंगाना राज्य बनने के बाद से बाकी विपक्षी पार्टियां कमज़ोर हुई हैं और बीजेपी को अपना संगठन मज़बूत करने मौका मिला है। कांग्रेस से डी।के अरुण, पी सुधाकर , विजय शांति जैसे नेताओं को अपनी पार्टी में आमंत्रित करना हो या फिर केसीआर के दाहिने हाथ माने जाने वाले राज्य के पूर्व मंत्री ई। राजेंद्र को अपनी पार्टी में शामिल कर पार्टी को मज़बूत करना हो, पिछले दो तीन सालों में बीजेपी ने टीआरएस के सामने मज़बूत दावेदारी पेश की है। बीजेपी अब राज्य के कार्यकर्ताओ में जोश भरना चाहती है
इस बीच, टीआरएस अपने आप को केंद्र सरकार से बेहतर बता रही है। उधर, बीजेपी भी राज्य में टीआरएस सरकार से बेहतर विकल्प देने की घोषणा कर रही है। पार्टी नेताओं की राय है कि जब ये घोषणा पीएम मोदी तेलंगाना में आकर करेंगे तो इसके मायने कुछ और ही होंगे। बीजेपी ने इस बैठक से पहले तेलंगाना की सभी 119 विधान सभा क्षेत्रों में अपने नेताओं को भेज कर वहां की नब्ज़ टटोलने की कोशिश की है।
बीजेपी ने इसे "संपर्क अभियान" का नाम दिया। बीजेपी के नेताओं ने माना कि अभियान का जायज़ा इस बैठक में लिया जा सकता है। साफ़ है कि इस बैठक से बीजेपी तेलंगाना में अपनी दिशा तय कर लेना चाहती है ताकि चुनाव से पहले की रणनीति तैयार हो सके।
हालांकि बैठक में चर्चा सिर्फ़ तेलंगाना की नहीं होगी। बड़ी योजनाएं तय होंगी। बीजेपी केंद्र और राज्य सरकारों का रिपोर्ट कार्ड भी पेश करेगी। जो योजनाएं इस वक्त लागू हैं वो बीजेपी शासित राज्यों में किस तरह जनता तक पहुंचाई जा रही हैं, इसकी भी चर्चा भी होगी।
केसीआर का पलटवार
राज्य की सत्ताधारी टीआरएस का ये दूसरा कार्यकाल है। मुख्यमंत्री के। चंद्रशेखर राव के सामने इस वक़्त करो या मारो वाली स्थिति है। मुख्यमंत्री के केंद्र पर अचानक आक्रामक होने की वजह भी यही मानी जा रही है। जानकारों की राय है कि वो समझ गए हैं कि भाजपा का अगला निशाना तेलंगाना है। इसलिए वो भाजपा से हार मानने के बजाये उसे टक्कर दे रहे हैं।
पिछले दो दिन से हैदराबाद के शहर भर में दिख रही होर्डिंग्स की होड़ इसका सबूत है। सभी बड़ी सड़कों पर जहाँ बीजेपी ने बड़े-बड़े पोस्टर लगाए हैं, ठीक उसके आस-पास तेलंगाना राष्ट्र समिति ने या तो पार्टी के झंडे लगाए या फिर मुख्यमंत्री की तस्वीर के साथ राज्य सरकार की उपलब्धियों को गिनाया है। पोस्टर वॉर में प्रधानमंत्री मोदी और केंद्र सरकार पर हमला भी किया गया है।
तेलंगाना सरकार में मुख्यमंत्री के बाद अहम भूमिका निभा रहे केसीआर के बेटे केटीआर ने ट्विटर के माध्यम से मोदी का स्वागत करते हुए लिखा, आओ ,देखो और सीखो।" माना जा रहा है कि विपक्षी पार्टी के इस तंज़ का जवाब भी पीएम मोदी शनिवार को अपने अंदाज़ में दे सकते हैं।
भाग्यलक्ष्मी मंदिर भी फिर से चर्चा में
जब से बीजेपी तेलंगाना में पैर पसारने की कोशिशों में जुटी है तभी से चारमीनार से सटे भाग्यलक्ष्मी मंदिर भी चर्चा में है। शनिवार को बीजेपी के कई नेता इस मंदिर में पहुंचे। रविवार सुबह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी मंदिर जाकर दर्शन किए।
इस मंदिर को बीजेपी अपने सभी कार्यक्रमों से जोड़ने लगी है। लेकिन क्या मंदिर जाने से इस राज्य और दक्षिण भारत में बीजेपी का भाग्य बदलेगा, सभी राजनीतिक पंडित ये समझने की कोशिश में जुटे हैं।