vakri brihaspati ka fal: देवगुरु बृहस्पति 18 अक्टूबर 2025 से अपनी उच्च की राशि कर्क राशि में गोचर कर रहे हैं और अब 11 नवंबर 2025 की रात को 10 बजकर 11 मिनट पर वक्री चाल चलेंगे। गुरु 11 मार्च 2026 तक इसी अवस्था में रहेंगे, लेकिन 5 दिसंबर 2025 को वे पुन: मिथुन में लौट आएंगे। इसका अर्थ है कि गुरु के कर्क में रहने तक 5 राशियों के लिए करियर, वित्त और निजी जीवन में विशेष चुनौतियां खड़ी हो सकती है। ज्योतिष में गुरु को ज्ञान, भाग्य, धन और विवाह का कारक माना जाता है। जब गुरु उच्च राशि में होते हुए वक्री होते हैं, तो वे आत्मनिरीक्षण और पिछले फैसलों पर पुनर्विचार करने का मौका देते हैं, लेकिन कुछ राशियों के लिए यह अवधि अस्थिरता और तनाव ला सकती है।
1. मेष राशि (Aries): निजी जीवन और संपत्ति पर दबाव
मेष राशि वालों के लिए गुरु का यह वक्री गोचर आपके चौथे भाव (सुख, माता, वाहन, संपत्ति) में हो रहा है।
पारिवारिक तनाव: निजी और पारिवारिक जीवन में अस्थिरता आ सकती है। माता के स्वास्थ्य या संबंधों को लेकर चिंता बढ़ सकती है।
वित्तीय और संपत्ति: संपत्ति से जुड़े मामलों में कोई भी बड़ा फैसला 25 दिन के लिए टाल दें। भूमि या वाहन खरीदने की योजना में रुकावटें आ सकती हैं।
मानसिक शांति: सुख भाव के प्रभावित होने से मानसिक अशांति या बेचैनी महसूस हो सकती है। कार्यक्षेत्र की चिंताएं घर के माहौल को प्रभावित करेंगी।
सलाह: घर की साज-सज्जा पर खर्च करने से बचें। अनावश्यक विवादों से दूर रहें और जल्दबाजी में कोई भी समझौता न करें।
2. मिथुन राशि: पारिवारितक जीवन और आर्थिक हालात पर प्रभाव:
देवगुरु बृहस्पति का कर्क राशि में वक्री गोचर मिथुन राशि वालों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि गुरु आपके सप्तम भाव (विवाह, साझेदारी) और कर्म स्थान (दसवें भाव) के स्वामी हैं। यह गोचर आपके दूसरे भाव (धन, वाणी, परिवार) में हो रहा है।
आर्थिक अस्थिरता:: यह दूसरा भाव धन का होता है, जिसके चलते वक्री गुरु अनावश्यक खर्चों को बढ़ाएंगे। खर्च बढ़ने से आपके आर्थिक हालात खराब हो सकते हैं या धन संचय में बड़ी बाधा आ सकती है।
पारिवारिक सुख: वक्री गोचर पारिवारिक सुख-समृद्धि में बाधा उत्पन्न कर सकता है और मतभेद बढ़ा सकता है। आपकी वाणी में अस्थिरता आ सकती है। आपको अपनी बोलचाल पर नियंत्रण रखना होगा, ताकि परिवार में अनावश्यक चुनौती खड़ी न हो। संपत्ति से संबंधित मामलों में भी रुकावटें आ सकती हैं।
करियर और व्यवसाय में नकारात्मक परिणाम: चूंकि बृहस्पति कर्म स्थान के स्वामी हैं, इसलिए वक्री स्थिति के कारण आपके काम-धंधे या नौकरी में नकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं। आपके प्रयासों में विलंब होगा और मेहनत के अनुरूप फल मिलने में कठिनाई होगी।
सलाह: इस अवधि में किसी भी बड़े निवेश या लेन-देन से बचें और अपनी वाणी पर संयम रखें।
3. तुला राशि (Libra): करियर और आर्थिक अनिश्चितता
तुला राशि वालों के लिए गुरु का वक्री होना आपके दशम भाव (करियर, कर्म, मान-सम्मान) को सीधे प्रभावित करेगा।
करियर में चुनौती: कार्यक्षेत्र में अचानक रुकावटें आ सकती हैं। आपको अपनी मेहनत का सही श्रेय या परिणाम मिलने में देरी होगी। बॉस या उच्च अधिकारियों के साथ मतभेद पैदा हो सकता है।
आर्थिक दबाव: करियर में अनिश्चितता के चलते आर्थिक मामलों में परेशानी झेलनी पड़ सकती है। निवेश या लेन-देन में भारी सावधानी बरतने की जरूरत है।
निर्णय लेने में कठिनाई: नौकरी बदलने या किसी बड़े प्रोजेक्ट से जुड़ने का विचार फिलहाल स्थगित कर दें। भ्रम की स्थिति आपके निर्णय को प्रभावित कर सकती है।
सलाह: कोई भी बड़ा करियर फैसला 5 दिसंबर तक टाल दें। अपनी गलतियों को पहचानें और उन्हें सुधारने पर ध्यान दें। अनावश्यक अहंकार से बचें।
4. मकर राशि (Capricorn): साझेदारी और वैवाहिक जीवन में कठिनाई
मकर राशि के जातकों के लिए गुरु का वक्री होना आपके सप्तम भाव (विवाह, साझेदारी, दैनिक व्यापार) में हो रहा है।
वैवाहिक जीवन: जीवनसाथी के साथ तालमेल बिगड़ सकता है। छोटी-छोटी बातें बड़े विवाद का रूप ले सकती हैं। यदि आप अविवाहित हैं, तो विवाह या सगाई के मामलों में विलंब या अनिश्चितता बनी रहेगी।
व्यावसायिक साझेदारी: यदि आप साझेदारी में व्यापार करते हैं, तो पार्टनर के साथ विश्वास में कमी आ सकती है। महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों या अनुबंधों को ध्यान से पढ़ें।
स्वास्थ्य: इस अवधि में आपको अपने जीवनसाथी के स्वास्थ्य को लेकर भी चिंता हो सकती है।
सलाह: अपने साथी के साथ धैर्य और समझदारी से पेश आएं। कोई भी नया समझौता या साझेदारी शुरू न करें। हनुमान चालीसा का पाठ करना शुभ रहेगा।
5. कुंभ राशि: करियर में उतार, शत्रु होंगे सक्रिय:
कुंभ राशि के जातकों के लिए, देवगुरु बृहस्पति आपकी कुंडली में धन भाव (दूसरा भाव) और लाभ भाव (ग्यारहवां भाव) के स्वामी हैं। कर्क राशि में होने वाला यह वक्री गोचर आपके छठे भाव (रोग, शत्रु और ऋण) में हो रहा है। छठे भाव में वक्री बृहस्पति को सामान्यतः शुभ नहीं माना जाता, जिससे निम्नलिखित क्षेत्रों में चुनौती आ सकती है:
करियर और शत्रु पक्ष: नौकरी में सतर्कता: कार्यक्षेत्र में आपको अत्यधिक सतर्कता से काम लेना होगा। सहकर्मी या शत्रु आपके विरुद्ध सक्रिय होकर नुकसान पहुँचाने का प्रयास कर सकते हैं। शासन-प्रशासन से संबंधित विवादों या कानूनी मामलों से बचकर रहें। छोटी सी गलती भी बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है।
स्वास्थ्य और संतान: सेहत की चिंता: आपको अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा। इस राशि के कुछ लोगों को विशेष रूप से उदर (पेट) या गले से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। संतान या उनसे जुड़े मामलों में भी यह वक्री गोचर कमजोर परिणाम देने वाला माना गया है।
आर्थिक मोर्चे पर दबाव: धन की हानि: बृहस्पति धन (दूसरे भाव) और लाभ (ग्यारहवें भाव) के स्वामी होकर छठे भाव में वक्री हैं, इसलिए आर्थिक मोर्चे पर संभलकर चलना चाहिए। संचित धन का व्यय: इस दौरान आपका संचित धन खर्च होने की आशंका है। फिजूलखर्ची और बड़े खर्चों पर नियंत्रण रखें।
सलाह: आपको संयम और समझदारी से काम लेना होगा। व्यर्थ के वाद विवाद से दूर रहें।
वक्री गुरु के दौरान क्या करें?
1. गुरुवार का व्रत रखें या पीली वस्तुओं (चने की दाल, हल्दी) का दान करें।
2. प्रतिदिन "ॐ बृं बृहस्पतये नमः" मंत्र का जाप करें।
3. इस अवधि में अनावश्यक जोखिम लेने से बचें और पुराने कार्यों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करें।
4. अपने गुरुजनों, शिक्षकों और पिता का सम्मान करें।