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Written By UN
Last Updated : बुधवार, 29 मई 2024 (12:51 IST)

भारतीय शान्तिरक्षक मेजर राधिका सेन 2023 ‘लैंगिक सैन्य पैरोकार’ पुरस्कार की विजेता

मेजर राधिका सेन इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को पाने वाली दूसरी भारतीय शान्तिरक्षक हैं

radhika sen
Photo credit: UN 
Indian woman peacekeeper Major Radhika Sen : कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र के स्थिरीकरण मिशन (MONUSCO) के साथ सेवारत एक भारतीय सैन्य शान्तिरक्षक मेजर राधिका सेन को वर्ष 2023 के लिए संयुक्त राष्ट्र 'लैंगिक सैन्य पैरोकार पुरस्कार' की विजेता घोषित किया गया है।

मेजर राधिका सेन मार्च 2023 से अप्रैल 2024 तक कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) के पूर्वी इलाक़े में भारतीय त्वरित तैनाती बटालियन (INDRDB) में, MONUSCO के सम्पर्क व संवाद दल की कमांडर के रूप में कार्यरत रहीं।

उन्हें इस अवधि में लैंगिक समावेशिता व समानता पर उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए इस पुरस्कार के लिए चुना गया है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश संयुक्त राष्ट्र शान्तिरक्षकों के अन्तरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर 30 मई को आयोजित होने वाले एक समारोह में यह पुरस्कार प्रदान करेंगे। यह अन्तरराष्ट्रीय दिवस हर वर्ष 29 मई को मनाया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र ‘लैंगिक सैन्य पैरोकार पुरस्कार’ (Military Gender Advocate of the Year) की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई, और इसे महिलाओं, शान्ति एवं सुरक्षा पर यूएन सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1325 के सिद्धांतों को बढ़ावा देने में एक सैन्य शान्तिरक्षक के समर्पण तथा प्रयासों के लिए दिया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने मेजर राधिका सेन को उनकी सेवा के लिए बधाई देते हुए कहा कि ‘मेजर सेन एक सच्ची नेता और रोल मॉडल हैं। उनकी सेवा, सम्पूर्ण संयुक्त राष्ट्र के लिए वास्तव में एक बड़ा मान है’

‘उत्तरी कीवू में बढ़ते टकराव के माहौल में उनके शान्तिरक्षक, महिलाओं और लड़कियों समेत टकराव प्रभावित समुदायों के साथ सक्रिय रूप से जुड़े रहे। उन्होंने विनम्रता, करुणा एवं समर्पण के साथ उनका विश्वास अर्जित किया’

कौन हैं राधिका सेन: 1993 में भारत के हिमाचल प्रदेश में जन्मीं मेजर राधिका सेन आठ साल पहले भारतीय सेना में शामिल हुईं। इससे पहले उन्होंने बायोटैक इंजीनियर के रूप में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और वो आईआईटी मुम्बई से मास्टर्स डिग्री हासिल कर रही थीं, जब उन्होंने सशस्त्र बलों में शामिल होने का फ़ैसला लिया।

इसके बाद मार्च 2023 में भारतीय त्वरित तैनाती बटालियन के साथ उनकी तैनाती यूएन मिशन MONUSCO में हुई और अप्रैल 2024 में अपना कार्यकाल पूरा किया।

क्‍या कहा मेजर राधिका ने: मेजर राधिका सेन ने इस सम्मान के लिए चुने जाने पर आभार व्यक्त करते हुए कहा, ‘यह पुरस्कार मेरे लिए बहुत ख़ास है, क्योंकि यह चुनौतीपूर्ण माहौल में काम कर रहे उन सभी शान्तिरक्षकों की कड़ी मेहनत को मान्यता देता है, जो डीआरसी और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपना सर्वोत्तम प्रयास कर रहे हैं’

‘लैंगिक रूप से संवेदनशील शान्तिरक्षा, केवल हम महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि सर्वजन की ज़िम्मेदारी है। हमारी सुन्दर विविधता के साथ, शान्ति की शुरुआत हम सभी से होती है’

लैंगिक समावेशिता के प्रयास: मेजर राधिका सेन ने अस्थिरता भरे माहौल में लैंगिक संवेदनशीलताओं का ध्यान रखते हुए गश्ती दल तैयार किए और गतिविधियों का नेतृत्व किया, जहां महिलाओं एवं बच्चों समेत अनगिनत लोग टकराव से बचने के लिए अपना सबकुछ छोड़कर भाग रहे थे।

मेजर राधिका सेन ने उत्तरी कीवू में एक सामुदायिक चेतावनी नैटवर्क बनाने में मदद की, जिसके ज़रिये सामुदायिक नेताओं, युवजन और महिलाओं के लिए अपनी सुरक्षा एवं मानवीय चिन्ताओं को व्यक्त करने के लिए एक मंच मिला।

मेजर राधिका सेन मिशन ने अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर उन चिन्ताओं के समाधान निकालने के प्रयास किए। मेजर राधिका सेन ने एक प्लाटून कमांडर के रूप में अपनी कमान में पुरुषों और महिलाओं को एक साथ काम करने के लिए एक सुरक्षित स्थान मुहैया कराया, जिससे वो शीघ्र ही महिला शान्तिरक्षकों व पुरुष समकक्षों, दोनों के लिए एक आदर्श बन गईं।

उन्होंने अपनी कमान में सुनिश्चित किया कि पूर्वी डीआरसी में तैनात शान्तिरक्षक, लैंगिक व सामाजिक-सांस्कृतिक मानदंडों के प्रति संवेदनशील रहकर काम करें, ताकि लोगों के बीच विश्वास क़ायम हो और उनकी टीम की सफलता की सम्भावना बढ़े।

एकजुटता, समाधानों पर बल: मेजर सेन ने बच्चों के लिए अंग्रेज़ी कक्षाएं और विस्थापित व हाशिए पर धकेले गए वयस्कों के लिए स्वास्थ्य, लैंगिक सम्बन्धी व व्यावसायिक प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान की। उनके प्रयासों ने सीधे तौर पर महिलाओं को एकजुट होने के लिए प्रेरित किया, जिससे बैठकों एवं खुले संवाद के लिए सुरक्षित स्थान प्राप्त हुए।

उन्होंने एक लैंगिक पेरोकार के तौर पर रविंडी शहर के पास, काशलीरा गांव में महिलाओं के मुद्दों के सामूहिक रूप से समाधान निकालने अपने अधिकारों की पैरोकारी करने तथा समुदाय के भीतर स्थानीय सुरक्षा व शान्ति चर्चाओं में अपनी आवाज़ बुलन्द करने के लिए संगठित होने के लिए प्रोत्साहित किया।

मेजर राधिका सेन, इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को पाने वाली दूसरी भारतीय शान्तिरक्षक हैं। इससे पहले, 2019 में मेजर सुमन गवानी को इस सम्मान की सह-विजेता के रूप में चुना गया था। उनके अलावा पिछले कुछ विजेता, ब्राज़ील, घाना, केनया, निजेर, दक्षिण अफ़्रीका और ज़िम्बाब्वे से रहे हैं।

भारत इस समय 124 महिला शान्तिरक्षकों की तैनाती के साथ, संयुक्त राष्ट्र में महिला सैन्य शान्तिरक्षकों का 11वां सबसे बड़ा योगदानकर्ता देश है।
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