Afghanistan Crisis : बाइडन ने G-7 नेताओं को किया निराश, आगे नहीं बढ़ेगी एयरलिफ्ट की सीमा
वाशिंगटन। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बीच मंगलवार को G-7 के नेता अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा इस युद्धग्रस्त देश से लोगों की निकासी की तय समयसीमा को नहीं बढ़ाए जाने के रुख को बदलने में नाकाम रहे।
वहीं, आंशिक तौर पर एकजुटता प्रदर्शित करते हुए जी-7 नेता भविष्य में तालिबान-नीत अफगानिस्तान सरकार के साथ वार्ता एवं मान्यता को शर्तों के साथ स्वीकार करने पर सहमत हुए। हालांकि, हजारों अमेरिकियों, यूरोपीय व अन्य देशों के नागरिकों और सभी जोखिम वाले अफगानों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने के लिए बाइडन को काबुल हवाई अड्डे पर अमेरिकी अभियान का विस्तार करने के लिए राजी नहीं कर पाने को लेकर साफ तौर पर निराशा दिखाई दी।
जी-7 समूह के नेताओं ने मंगलवार को डिजिटल तरीके से आपातकालीन बैठक के बाद एक संयुक्त बयान में कहा कि अफगानिस्तान से विदेशियों और अफगान भागीदारों की सुरक्षित निकासी तत्काल प्राथमिकता बनी हुई है। नेताओं ने जोर देकर कहा कि वे अफगान पक्षों का आंकलन उसके कर्मों से करेंगे, ना कि उसकी कथनी से।
नेताओं ने कहा, 'हम पुन: इस बात की पुष्टि करते हैं कि तालिबान को आतंकवाद को रोकने के अलावा विशेष रूप से महिलाओं, लड़कियों और अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों के संबंध में की गई कार्रवाई को लेकर जवाबदेह ठहराया जाएगा।'
इस बीच, जर्मनी की चासंलर एंजेला मर्केल ने बर्लिन में कहा, 'मैं फिर से जोर देना चाहती हूं कि यहां निश्चित रूप से अमेरिका के पास नेतृत्व है। बिना अमेरिका के, हम एवं अन्य देश निकासी अभियान को जारी नहीं रख सकते।'
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने प्रयास जारी रखने की प्रतिबद्धता जताते हुए स्वीकार किया कि वे निकासी अभियान की समयसीमा को बढ़ाने के संबंध में बाइडन को मनाने में नाकाम रहे।
उधर, फ्रांस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रपति एमैनुअल मैक्रों ने 31 अगस्त की समयसीमा को विस्तार देने के लिए जोर डाला था। हालांकि, वह अमेरिकी के निर्णय को स्वीकार करेंगे क्योंकि यह अमेरिका के हाथ में है।
जी-7 नेताओं की बैठक के तुरंत बाद व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने यह पुष्टि की कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी और सहयोगी अफगान नागरिकों की निकासी के लिये तय 31 अगस्त की समयसीमा को नहीं बढ़ाने का फैसला किया है। (भाषा)