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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 20 सितम्बर 2024 (18:37 IST)

16 shradh paksha 2024: पितृ पक्ष का पांचवां दिन : जानिए चतुर्थी श्राद्ध तिथि पर क्या करें, क्या न करें

16 shradh paksha 2024: पितृ पक्ष का पांचवां दिन : जानिए चतुर्थी श्राद्ध तिथि पर क्या करें, क्या न करें - Five day of chaturthi Shradh Paksha Date time and kutup kaal 2024
Pachava Shradh Paksha: पितृ पक्ष के 16 श्राद्ध का पांचवां दिन 21 सितंबर 2024 शनिवार के दिन रहेगा। इस दिन चतुर्थी का श्राद्ध रखा जाएगा। पितृपक्ष में पितरों की शांति और मुक्ति के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाता है। इस दिन महाभरणी श्राद्ध भी रहेगा। इसलिए चतुर्थी के श्राद्ध का महत्व बढ़ जाता है।ALSO READ: 16 shradh paksha 2024: अकाल मृत्यु जो मर गए हैं उनका श्राद्ध कब और कैसे करें?
 
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 20 सितंबर 2024 को रात्रि 09 बजकर 15 मिनट से।
चतुर्थी तिथि समाप्त: 21 सितम्बर 2024 को शाम 06 बजकर 13 मिनट तक।
 
21 सितंबर 2024 का शुभ मुहूर्त:-
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:49 से 12:38 तक।
कुतुप काल : दोपहर 11:49 से 12:38 तक।
रोहिणी मुहूर्त : दोपहर 12:38 से 01:27 तक।
अपराह्न काल- अपराह्न 01:27 से 03:53 तक।
 
भरणी नक्षत्र प्रारम्भ- 21 सितम्बर 2024 को 02:43 एएम बजे से।
भरणी नक्षत्र समाप्त- 22 सितम्बर 2024 को 12:36 एएम बजे तक।
 
महाभरणी श्राद्ध का महत्व: भरणी नक्षत्र के स्वामी यम हैं, जो कि मृत्यु के देवता हैं। इसीलिए पितृपक्ष के समय भरणी नक्षत्र को अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जाता है। इस नक्षत्र में किया गए श्राद्ध से पितरों की शंति तुरंत होती है। भरणी श्राद्ध करने से, गया में किए गए श्राद्ध के समान लाभ प्राप्त होता है। ALSO READ: कैसा हो श्राद्ध का भोजन, जानें किन चीजों को न करें ब्राह्मण भोज में शामिल
 
किन पितरों के लिए करते हैं चतुर्थ का श्राद्ध?
जिन लोगों का देहांत इस दिन अर्थात तिथि अनुसार दोनों पक्षों (कृष्ण या शुक्ल) चतुर्थी तिथि हो हुआ है उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है। चतुर्थी या पंचमी तिथि में उनका श्राद्ध किया जाता है जिसकी मृत्यु गतवर्ष हुई है।
 
कैसे करें चतुर्थी का श्राद्ध?
  • गंगाजल, कच्चा दूध, जौ, तुलसी और शहद मिश्रित जल की जलां‍जलि देने के बाद गाय के घी का दीप जलाएं, धूप दें, गुलाब का फूल चढ़ाएं और चंदन अर्पित करें।
  • इसके बाद पिता से प्रारंभ करके पूर्वजों के जहां तक नाम याद हों वहां तक के पितरों के नामोच्चारण करके स्वधा शब्द से अन्न और जल अर्पित करें।
  • इस दिन भगवान विष्णु और यम की पूजा करें। इसके बाद तर्पण कर्म करें।
  • पितृ के निमित्त श्री हरि विष्णु और गरूड़ भगवान का ध्यान करके गीता का तीसरा अध्याय का पाठ करें।
  • पिर श्राद्ध में कढ़ी, भात, खीर, पुरी और सब्जी का भोग लगाते हैं।
  • पितरों के लिए बनाया गया भोजन रखें और अंगूठे से जल अर्पित करें।
  • इसके बाद भोजन को गाय, कौवे और फिर कुत्ते और चीटियों को खिलाएं।
  • तृतीय श्राद्ध में चार ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।
  • उन्हें शक्कर, वस्त्र, चावल और यथाशक्ति दक्षिणा देकर उन्हें तृप्त करें।
  • इस दिन गृह कलह न करें, चरखा, मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तील, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसो का साग, चना आदि वर्जित माना गया है। कोई यदि इनका उपयोग करना है तो पितर नाराज हो जाते हैं।
  • शराब पीना, मांस खाना, श्राद्ध के दौरान मांगलिक कार्य करना, झूठ बोलना और ब्याज का धंधा करने से भी पितृ नाराज हो जाता हैं।