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Written By WD Feature Desk

Sarvapitri amavasya 2024: सर्वपितृ अमावस्या की 10 अनसुनी बातों को जानकर आप सोच में पड़ जाएंगे

Sarvapitri amavasya 2024: सर्वपितृ अमावस्या की 10 अनसुनी बातों को जानकर आप सोच में पड़ जाएंगे - Sarva Pitru Amavasya 10 Untold Things
sarva pitru amavasya 2024
Highlights 
 
सर्वपितृ अमावस्या के 10 रहस्य। 
सर्वपितृ अमावस्या की दस बातें जानें। 
सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के बारे में जानिए।
Sarva pitru amavasya 2024: हिंदू कैलेंडर के अनुसार 17 सितंबर 2024, दिन मंगलवार से श्राद्ध महालय/ पितृ श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हो चुकी है और इसका समापन 02 अक्टूबर, बुधवार के दिन होगा यानि आश्विन कृष्ण अमावस्या के दिन सर्वपितृ अमावस्या को श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होगा। धार्मिक शास्त्रों में सर्वपितृ अमावस्या का खास महत्व माना गया है, क्योंकि यह पितृ पक्ष की समाप्ति का दिवस होता है। 
 
आइए यहां जानते हैं आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या अर्थात् सर्वपितृ अमावस्या के 10 अनसुने रहस्य:
 
1. शास्त्रों के अनुसार कुतुप, रोहिणी और अभिजीत काल में श्राद्ध करना चाहिए। प्रात:काल देवताओं का पूजन और मध्याह्न में पितरों का, जिसे 'कुतुप काल' कहते हैं।
 
2. कहते हैं कि जो नहीं आ पाते हैं या जिन्हें हम नहीं जानते हैं उन भूले-बिसरे पितरों का भी इसी दिन श्राद्ध करते हैं। अत: इस दिन श्राद्ध जरूर करना चाहिए। सर्वपितृ अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों का श्राद्ध करने की परंपरा है। 
 
3. अगर कोई श्राद्ध तिथि में किसी कारणवश से श्राद्ध न कर पाया हो या फिर श्राद्ध की तिथि मालूम न हो तो सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या पर श्राद्ध किया जा सकता है। मान्यता है कि इस दिन सभी पितर आपके द्वार पर उपस्थित हो जाते हैं।
 
4. सर्वपितृ अमावस्या पर तर्पण, पिंडदान और ऋषि, देव एवं पितृ पूजन के बाद पंचबलि कर्म करके 16 ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है या यथाशक्ति दान किया जाता है। यदि कोई भी उत्तराधिकारी न हो तो प्रपौत्र या परिवार का कोई भी व्यक्ति श्राद्ध कर सकता है।
 
5. श्राद्ध पक्ष के दिनों में और खासकर अंतिम तिथि यानि अमावस्या के दिन तो गृह कलह, क्लेश करना, शराब पीना, चरखा, मांसाहार, बैंगन, प्याज, लहसुन, बासी भोजन, सफेद तिल, मूली, लौकी, काला नमक, सत्तू, जीरा, मसूर की दाल, सरसो का साग, चना आदि वर्जित माना गया है।
 
6. शास्त्र कहते हैं कि 'पुन्नामनरकात् त्रायते इति पुत्रः' जो नरक से त्राण (रक्षा) करता है वही पुत्र है। इस दिन किया गया श्राद्ध पुत्र को पितृदोषों से मुक्ति दिलाता है।
 
7. श्राद्ध आप घर में, किसी पवित्र नदी या समुद्र तट पर, तीर्थ क्षेत्र या वट-वृक्ष के नीचे, गौशाला, पवित्र पर्वत शिखर और सार्वजनिक पवित्र भूमि पर दक्षिण में मुख करके श्राद्ध किया जा सकता है।
 
8. आप चाहे तो संपूर्ण गीता का पाठ करें या सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए और उन्हें मुक्ति प्रदान का मार्ग दिखाने के लिए गीता के दूसरे और सातवें अध्याय का पाठ करने का विधान भी है।
 
9. सर्वपितृ अमावस्या पितरों को विदा करने की अंतिम तिथि होती है। 15 दिन तक पितृ घर में विराजते हैं और हम उनकी सेवा करते हैं फिर उनकी विदाई का समय आता है। अत: इसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या, पितृविसर्जनी अमावस्या, महालय समापन और महालय विसर्जन भी कहते हैं।
 
10. सर्वपितृ अमावस्या पर पितृ सूक्तम् पाठ, रुचि कृत पितृ स्तोत्र, पितृ गायत्री पाठ, पितृ कवच पाठ, पितृ देव चालीसा और आरती, गीता पाठ और गरुड़ पुराण का पाठ करने का अत्यधिक महत्व है।

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