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Written By WD Feature Desk
Last Modified: गुरुवार, 19 सितम्बर 2024 (11:25 IST)

16 shradh paksha 2024: पितृ पक्ष का तीसरा दिन : जानिए द्वितीया श्राद्ध तिथि पर क्या करें, क्या न करें

Pitru Paksha 2024: द्वितीया श्राद्ध कर्म से मिलती है प्रेतयोनि से मुक्ति

16 shradh paksha 2024: पितृ पक्ष का तीसरा दिन : जानिए द्वितीया श्राद्ध तिथि पर क्या करें, क्या न करें - Dwitiya shraddha date time kutup kaal and vidhi 2024
Shradh Paksha: 16 दिनों तक चलते वाले इस पितृपक्ष में पितरों की शांति और मुक्ति के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाता है। श्राद्ध पक्ष प्रारंभ हो गए हैं। 17 सितंबर 2024 को पूर्णिमा का श्राद्ध था। आज द्वितीया का श्राद्ध है।
 
द्वितीया श्राद्ध कर्म से मिलती है प्रेतयोनि से मुक्ति:-
16 दिनों के श्राद्ध की इन तिथियों में उनका श्राद्ध तो किया ही जाता है जिनकी तिथि विशेष में मृत्यु हुई है इसी के साथ हर तिथि का अपना खास महत्व भी है। द्वितीया श्राद्ध कर्म से मिलती है प्रेतयोनि से मुक्ति।
 
द्वितीया तिथि प्रारंभ : 19 सितंबर 2024 को प्रात: 04 बजकर 19 मिनट एएम से प्रारंभ।
द्वितीया तिथि प्रारंभ समाप्त : 20 सितंबर 2024 को 12 बजकर 39 मिनट एएम तक।
 
19 सितंबर 2024 का शुभ मुहूर्त:-
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:50 से 12:39 के बीच।
कुतुप काल : सुबह 11:50 से 12:39 तक।
रोहिणी मुहूर्त : दोपहर 12:39 से 01:28 तक।
Pitru Paksha 2024
द्वितीया श्राद्ध विधि:-
1. जिनका भी स्वर्गवास द्वितीया तिथि को हुआ है तो उनका श्राद्ध कर्म इस दिन करना चाहिए।
 
2. दूसरे दिन के श्राद्ध के समय तिल और सत्तू के तर्पण का विधान है।
 
3. सत्तू में तिल मिलाकर अपसव्य से दक्षिण-पश्चिम होकर, उत्तर-पूरब इस क्रम से सत्तू को छिंटते हुए प्रार्थना करें।
 
4. प्रार्थना में कहें कि मारे कुल में जो कोई भी पितर प्रेतत्व को प्राप्त हो गए हैं, वो सभी तिल मिश्रित सत्तू से तृप्त हो जाएं।
 
5. फिर उनके नाम और गोत्र का उच्चारण करते हुए जल सहित तिल मिश्रित सत्तू को अर्पित करें।
 
6. फिर प्रार्थना करें कि 'ब्रह्मा से लेकर चिट्ठी पर्यन्त चराचर जीव, मेरे इस जल-दान से तृप्त हो जाएं।' 
 
7. तिल और सत्तू अर्पित करके प्रार्थना करने से कुल में कोई भी प्रेत नहीं रहता है।
 
  • द्वितीया श्राद्ध के लिए स्नान आदि से निवृत्त होकर धोती और जनेऊ पहनें। 
  • अंगुली में दरभा घास की अंगूठी पहनें। 
  • अब पहले से बनाया पिंड पितरों को अर्पित करें। 
  • अब बर्तन से धीरे धीरे पानी डालें। 
  • इस दिन भगवान विष्णु और यम की पूजा करें। 
  • इसके बाद तर्पण कर्म करें।
  • पितरों के लिए बनाया गया भोजन रखें और अंगूठे से जल अर्पित करें। 
  • इसके बाद भोजन को गाय, कौवे और फिर कुत्ते और चीटियों को खिलाएं।
  • अंत में ब्राह्मण भोज कराएं। 
  • इस दिन चाहें तो गीता पाठ या पितृसूत्र का पाठ भी पढ़ें।
  • यथाशक्ति सभी दान दें।